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फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह का निधन, सोने का तमगा वाला पहला खिलाड़ी

Update: 2021-06-19 07:16 GMT

नईदिल्ली। भारत के महान धावक मिल्खा सिंह का शुक्रवार देर रात निधन हो गया। वे 91 वर्ष के थे और कोरोना वायरस से संक्रमित थे। उन्होंने चंडीगढ़ के पीजीआई अस्पताल में अंतिम सांस ली। मिल्खा सिंह 20 मई को कोरोना वायरस की चपेट में आए गए थे। कुछ दिन पहले उनकी पत्नी निर्मल मिल्खा सिंह का भी कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण निधन हो गया था।

फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह ने 1956 के मेलबर्न ओलंपिक खेलों में 200 और 400 मीटर मुकाबले में भारत की नुमाइंदगी की। साल 1958 में मिल्खा सिंह ने कटक में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय खेलों में 200 और 400 मीटर दौड़ में रिकॉर्ड स्थापित किया और इसी फॉर्मेट में एशियाई खेलों में सोने का तमगा जीता। इसी वर्ष मिल्खा सिंह ने ब्रिटिश एंपायर के कॉमनवेल्थ खेलों में 400 मीटर दौड़ को रिकॉर्ड तोड़ समय में जीतकर सोने का तमगा प्राप्त किया। इस उपलब्धि के चलते मिल्खा सिंह आजाद भारत के पहले सोने का तमगा वाले खिलाड़ी बने।

मिल्खा सिंह के बाद विकास गोंडा ने वर्ष 2014 में सोने का तमगा जीता था। वर्ष 1962 में जकार्ता शियाई खेलों में मिल्खा सिंह ने 400 मीटर और 400 मीटर रिले रेस में भी सोने का तमगा जीता था। उन्होंने वर्ष 1964 में टोक्यो ओलंपिक खेलों में भी हिस्सा लिया।

एथलेटिक रिकॉर्ड और सम्मान -

  • प्रथम स्थान, 1958 एशियाई खेल में 200 मीटर दौड़
  • प्रथम स्थान, वर्ष 1998 एशियाई खेल में 400 मीटर।
  • प्रथम स्थान,1958 कॉमनवेल्थ खेल 440 मीटर यार्ड।
  • प्रथम स्थान, 1960 दोस्ताना दौड़ 200 मीटर पाकिस्तान में ( यहीं से उन्हें उड़ता सीख कहा जाने लगा)
  • चतुर्थ स्थान, वर्ष 1960 समर ओलंपिक 400 मीटर (नेशनल रिकॉर्ड)।
  •  प्रथम स्थान, 1962 एशियाई खेल 400 मीटर।
  • प्रथम स्थान, 1962 एशियाई खेल 400 मीटर रिले दौड़।
  • दूसरा स्थान 1964 कोलकाता राष्ट्रीय खेल।
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