चीन में मुसलमानों की पहचान पर सख्त व्यवहार सरकार

Update: 2018-07-18 07:05 GMT

बीजिंग। इस्लामी आतंक के मद्देनजर चीन अपने मुस्लिम बहुल प्रांतों में सख्त व्यवहार कर रहा है। छोटा मक्का कहे जाने वाले पश्चिमी चीन के मुस्लिम बहुल प्रांत लिंक्शिया में मुसलमानों को अब पहले जैसी आजादी नहीं रही। सरकार उनकी धार्मिक स्वतंत्रता समाप्त करने का हर संभव उपाय कर रही है। यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट से मिली।

चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ने यहां के 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने से मना कर दिया है। यहां के हुइ मुस्लिम समुदाय के लिए अपनी धार्मिक मान्यताओं का पालन करना मुश्किल होता जा रहा है। चीन के अन्य मुस्लिम बहुल प्रांत के लोगों को भी डर सता रहा है। उनका मानना है कि इस मनमाने रवए से उनकी धार्मिक पहचान खतरे में आ जाएगी।

हाल यह है कि जिस मस्जिद में एक हजार से ज्यादा बच्चे कुरान की बारीकियां सीखने के लिए सर्दियों और गर्मियों की छुट्टियों में आया करते थे, अब उस मस्जिद में बच्चों के प्रवेश पर ही रोक लगा दी गई है।

इतना ही नहीं अभिभावकों को समझाया गया है कि कुरान की पढ़ाई पर इसलिए रोक लगाई गई है ताकि बच्चे धर्मनिरपेक्ष पाठ्यक्रम पर ध्यान दे सकें।

लिंक्शिया प्रांत में स्थानीय प्रशासन ने उन छात्रों की संख्या भी कम कर दी है जिन्हें 16 साल से अधिक उम्र के चलते मस्जिदों में पढ़ने की अनुमति मिली हुई है। नए इमामों के लिए प्रमाणपत्र हासिल करने की प्रक्रिया को भी सीमित कर दिया है।

जनवरी में यहां के स्थानीय अधिकारियों ने इन समुदायों को चेतावनी दी कि वे नाबालिगों को कुरान पढ़ने, धार्मिक गतिविधियों के लिए मस्जिदों में जाने की न तो अनुमति देंगे और न ही समर्थन करेंगे। साथ ही धार्मिक मान्यताओं को मानने के लिए मजबूर करेंगे।

यहां की मस्जिदों को राष्ट्रीय झंडा लगाने की हिदायत दी गई है। साथ ही ध्वनि प्रदूषण कम करने के लिए नमाज के लिए बुलावा देने से भी मना किया गया है। पड़ोसी प्रांत की सभी 355 मस्जिदों से लाउड स्पीकरों को हटा दिया गया है।

इसके अलावा शिंजियांग प्रांत में सरकार धार्मिक उन्माद और अलगाववाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रही है। यहां के रहने वाले उइगुर समुदाय के लोगों को शिक्षा शिविरों में डाल दिया गया है जहां उन्हें कुरान रखने या दाढ़ी बढ़ाने की भी इजाजत नहीं है। 

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