Gujarat Bridge Collapse: गुजरात पुल हादसे में हुई 10 मौतों का जिम्मेदार कौन? जब मीडिया दे चुका था अलर्ट तो क्यों नहीं हुई कार्रवाही…
अहमदाबाद। गुजरात के आणंद-वडोदरा को जोड़ने वाला गंभीरा पुल बुधवार सुबह अचानक टूट गया, जिससे अब तक 10 लोगों की जान जा चुकी है, और कई गंभीर रूप से घायल हैं। यह हादसा एक बार फिर सरकारी लापरवाही, घटिया निर्माण और सिस्टम के भ्रष्टाचार की पोल खोल गया है। सवाल यही है क्या सरकार को इस दिन का इंतजार था?
मीडिया ने चेताया, सरकार सोती रही
स्थानीय मीडिया पिछले कई महीनों से इस ब्रिज की जर्जर हालत पर रिपोर्टिंग कर रही थी। बार-बार चेताया गया था कि यह पुल कभी भी गिर सकता है, लेकिन न सरकार ने सुध ली, न प्रशासन ने। अब जब 9 शव नदी से निकाले जा चुके हैं, तब जाकर अफसर हरकत में आए हैं।
Same Bridge!
— Facts (@BefittingFacts) July 9, 2025
9 Days old video.
11 Bodies have been recovered so far. pic.twitter.com/hftkIMUU1q
क्या गुजरात सरकार को इन मौतों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए?
क्या किसी मंत्री या इंजीनियर पर कार्रवाई होगी या फिर यह मामला भी 'जांच के बहाने दबा दिया जाएगा'?
हादसे के वक्त क्या हुआ?
सुबह लगभग 7:45 बजे जब लोग रोज़ की तरह पुल पार कर रहे थे, तभी अचानक ब्रिज का एक हिस्सा टूट गया और दर्जनों वाहन नीचे महिसागर नदी में जा गिरे। स्थानीय लोगों और बचाव दल ने तुरंत राहत कार्य शुरू किया, लेकिन तब तक कई ज़िंदगियां खत्म हो चुकी थीं।
वडोदरा कलेक्टर डॉ. अनिल धामेलिया के अनुसार, अब तक 9 शव बरामद किए जा चुके हैं, और कई घायलों का इलाज एसएसजी हॉस्पिटल में चल रहा है।
45 साल पुराना ब्रिज और सुसाइड ब्रिज की पहचान
स्थानीय लोगों के मुताबिक, यह पुल करीब 45 साल पुराना था, और इसे कई बार 'सुसाइड ब्रिज' के नाम से भी जाना जाता था क्योंकि इसकी सुरक्षा व्यवस्था बेहद लचर थी। इलाके के नागरिकों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने बार-बार ब्रिज की मरम्मत और नया निर्माण कराने की मांग की थी, लेकिन सरकारी फाइलों में यह पुल मौत की लाइन पर पड़ा रहा।
राजनीति गरमाई, विपक्ष हमलावर
कांग्रेस नेता अमित चावड़ा ने कहा: "सरकार तब तक क्यों सोती रहती है जब तक लोग मर न जाएं? ये प्रशासन की असफलता नहीं, हत्या है।"
आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष इसुदान गढ़वी ने कहा: "यह हादसा नहीं, मानव निर्मित नरसंहार है। मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए।”
सवाल जो गुजरात सरकार से पूछे जाने चाहिए:
- जब लोकल मीडिया पहले से इस ब्रिज की हालत को लेकर अलर्ट कर रहा था तो कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
- क्या किसी इंजीनियर, ठेकेदार या अधिकारी को अब तक निलंबित किया गया?
- क्या किसी मंत्री या जिम्मेदार अफसर पर जवाबदेही तय की जाएगी या सिर्फ बयानबाज़ी चलेगी?
- जिन परिवारों ने अपनों को खोया है, उन्हें सिर्फ मुआवज़ा मिलेगा या न्याय भी?