युद्धविराम नहीं, यह भारत की रणनीतिक विजय है!: एक राष्ट्रवादी दृष्टिकोण से स्पष्ट और सशक्त उत्तर
“जिसे तुम समझ रहें हो समझौता, वह है भारतीय सामर्थ्य की सधी हुई गर्जना। जिसे तुम मान रहे हो मौन, वह है प्रचंड प्रतिशोध की पूर्वपीठिका।”
Operation Sindoor
डॉ. आशीष जोशी-
“जिसे तुम समझ रहें हो समझौता, वह है भारतीय सामर्थ्य की सधी हुई गर्जना।
जिसे तुम मान रहे हो मौन, वह है प्रचंड प्रतिशोध की पूर्वपीठिका।”
7 मई को जब भारत ने पाकिस्तानी आतंकी अड्डों पर निर्णायक प्रहार किया, तो पूरा राष्ट्र एकस्वर में गूंज उठा-“अब बहुत हो गया।”
परंतु जब युद्धविराम की घोषणा हुई, तो स्वाभाविक ही था कि देशभक्तों के मन में असंतोष, संशय और आक्रोश ने सिर उठाया।
“क्या पाकिस्तान ने माफी मांगी?”
“क्या उसने आतंकी अड्डे बंद किए?”
“क्या वह बदल जाएगा?”
इन सवालों का उत्तर, हम सब जानते हैं नहीं।
परंतु राष्ट्रनीति केवल तात्कालिक भावनाओं से नहीं चलती। वह दीर्घकालिक सोच, वैश्विक समीकरण और अपने देश के सामर्थ्य की सामरिक पुनर्रचना से चलती है।
1. यह युद्धविराम नहीं, भारत की ‘रणनीतिक पकड़’ है
पाकिस्तान की सेना, सत्ता और साख-तीनों हताश हैं।
वह भारत के ‘नए युद्ध सिद्धांत’ को अब भलीभाँति समझ चुका है-
“भारत अब केवल सहता नहीं, वह पहले चेतावनी देता है, फिर विध्वंस करता है!”
भारत ने पहले आतंक के ठिकानों को नष्ट किया, फिर स्पष्ट कर दिया:
“This is not the old India that responds with dossiers; this is the new Bharat that responds with fire!”
2. जो अमेरिका कभी भारत को ‘संयम’ की सलाह देता था, अब मध्यस्थता की भीख मांगता है
बहुतों ने कहा कि ट्रंप ने कहा और हमने मान लिया।
पर सच्चाई यह है कि अमेरिका ने बीच में आकर युद्ध रुकवाया नहीं,
बल्कि भारत की निर्णायक स्थिति से घबराकर Damage Control करने की कोशिश की।
और भारत ने केवल यही कहा:
“We are not aggressors—but if provoked, we shall not stop midway.”
3. सवाल यह नहीं कि पाकिस्तान झुका या नहीं,
सवाल यह है कि क्या भारत को और अधिक चाहिए था?
बिना किसी सैनिक क्षति के, हमने आतंकी ठिकाने ध्वस्त किए।
पाकिस्तान की नीयत, नीति और नाक—तीनों उजागर हुईं।
विश्व मंच पर भारत का पक्ष मजबूत हुआ और पाकिस्तान अलग-थलग पड़ा।
क्योंकि भारत जानता है—युद्ध का उद्देश्य केवल जीत नहीं होता,
बल्कि शांति की निर्णायक स्थापना होती है।
4. युद्धविराम का अर्थ यह नहीं कि युद्ध नहीं होगा—
बल्कि यह है कि अगला युद्ध भारत की शर्तों पर होगा!
भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है:
“अगर आतंक फिर आया, तो LOC नहीं—Rawalpindi की गलियों में प्रतिशोध गूंजेगा।”
यह संदेश केवल पाकिस्तान को नहीं, विश्व को गया है।
5. राष्ट्रवाद का अर्थ आवेश नहीं—अविस्मरणीय संकल्प है
जो आज कह रहे हैं कि “ना proud feel हुआ, ना good feel हुआ”
उन्हें याद रखना चाहिए—
भारत अब Instant Reaction नहीं देता—India delivers calculated retribution.
“भारत अब भावनाओं में बहता नहीं—वह इतिहास रचता है।
भारत अब भीष्म की भांति मौन है, पर जब वाण उठते हैं—वह समर समाप्त करता है।”
अंत में एक बात स्पष्ट है:
यह युद्धविराम हमारी पराजय नहीं,
बल्कि पाकिस्तान की अस्थिरता, असमर्थता और असंगठित नेतृत्व की पराजय है।
भारत अब रणनीति में अर्जुन है-
जो लक्ष्य पर एकाग्र है, और बाण तभी छोड़ता है जब विजय सुनिश्चित हो।
भारत का राष्ट्रवादी उत्तर
• भारत ने न झुककर, न रुककर, केवल सोच-समझकर युद्धविराम स्वीकार किया है।
• हमारा लक्ष्य आतंक का समूल नाश है-वह अभी अधूरा नहीं, अपितु प्रक्रिया में है।
• यदि पाकिस्तान फिर आतंक की राह पर चला, तो युद्धविराम उसके लिए युद्ध-निमंत्रण बन जाएगा।
यह राष्ट्र अब केवल सीमा नहीं संभालता-यह दुनिया की सोच को दिशा देता है।
यह नया भारत है-जहाँ क्षमा भी है, लेकिन कायरता नहीं।
जहाँ शांति भी है, पर शस्त्र उठाने का संकल्प भी।
जय हिंद!
भारत माता की जय!