Tahawwur Rana: 26/11 हमले के मास्टरमाइंड तहव्यूर राणा के ख़िलाफ़ एनआईए ने दाखिल की एक और चार्जशीट; हमले की साजिशों को लेकर कई अहम खुलासे!

Update: 2025-07-23 16:48 GMT

26/11 हमले का मुख्य आरोपी , जिसे प्रत्यर्पण नीति के अंतर्गत भारत सरकार अमेरिका से भारत लेकर आई उस तहव्वूर राणा के ख़िलाफ़ एनआईए ने एक और चार्जशीट दाखिल की है । एनआईए की चार्जशीट में कई महत्वपूर्ण खुलासा हुआ गई ।

चार्जशीट में बताया गया है कि 26/11 मुंबई आतंकी हमले में कनाडाई नागरिक तहव्वुर हुसैन राणा ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी डेविड हेडली की मदद करने के लिए मुंबई में एक नकली ऑफिस बनाकर उसकी जासूसी गतिविधियों को अंजाम दिलवा रहा था। बता दें इस हमले में 170 से अधिक लोग मारे गए थे।

एनआईए के अनुसार तहव्वुर राणा ने ‘इमीग्रेंट लॉ सेंटर’ नाम से एक नकली कॉर्पोरेट ऑफिस मुंबई में खोला था। यह ऑफिस असली व्यावसायिक गतिविधियों के बिना ही दो साल तक संचालित होता रहा और इसका एकमात्र उद्देश्य हेडली को मुंबई में हाई-प्रोफाइल जगहों की रेकी कराने में मदद करना था और इन्ही जुटाई गई जानकारी के आधार पर 2008 में मुंबई पर बड़ा हमला हुआ। इस ऑफिस के माध्यम से हेडली को हमलों की तैयारी के लिए मुंबई भर में कई हाई-प्रोफाइल ठिकानों की विस्तृत निगरानी करने में मदद मिलती रही।

एनआईए ने चार्जशीट में बताया गया है कि तहव्वुर राणा ने हेडली को भारत में मूवमेंट और लोकेशन की पहचान के लिए मदद की थी । हेडली ने भारत में कई संवेदनशील स्थानों जैसे ताज होटल, ओबेरॉय होटल, नरीमन हाउस और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस की भी रेकी की थी। इन इनफार्मेशन के आधार पर तहव्वुर राणा ने हेडली के साथ मिल कर इस 26/11 हमलों की नींव तैयार की थी ।

जांच में यह भी सामने आया है कि राणा 2005 से ही पाकिस्तान में बैठे साजिशकर्ताओं के संपर्क में था। उनका मकसद भारत की संप्रभुता और सुरक्षा को चोट पहुंचाना और आतंक के जरिए युद्ध जैसी स्थिति बनाना था। साथ ही बड़े पैमाने पर आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देकर भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना था।

चार्जशीट में एनआईए ने आरोप लगाया कि राणा की कार्रवाइयों का उद्देश्य भारतीय आबादी में आतंक फैलाना और राष्ट्रीय हितों को कमजोर करना था। इसीलिए उसके विरुद्ध भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत कई आरोप लगाए गए।

एनआईए की रिपोर्ट के मुताबिक, राणा ने हिरासत में कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी हैं। इन बयानों की पुष्टि के लिए एनआईए द्वारा अमेरिका को भी म्युचुअल लीगल असिस्टेंस रिक्वेस्ट भेजी गई है। अधिकारियों का कहना है कि अमेरिका से मिलने वाली जानकारी इस पूरे षड्यंत्र में शामिल अन्य चेहरों को उजागर कर करने में मददगार साबित हो सकती है। अंतर्राष्ट्रीय माध्यमों से प्राप्त जानकारी षड्यंत्रकारियों के व्यापक नेटवर्क को उजागर करने और कार्रवाई योग्य सबूत जुटाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं ।

गौरतलब है कि तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत 2025 की शुरुआत में प्रत्यर्पित किया गया था । अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में प्रत्यर्पण के ख़िलाफ़ उसकी याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उसे अप्रैल में एनआईए की हिरासत में लिया गया था ।उसे दिल्ली की विशेष एनआईए अदालत द्वारा जारी गैर-जमानती वारंट के तहत गिरफ्तार किया गया था ।

राणा पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (षड्यंत्र), 121 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध), 302 (हत्या), 468 और 471 (जालसाजी), और यूएपीए की धारा 16 व 18 के तहत आरोप तय किए गए हैं। उस समय उसकी प्रत्यर्पण प्रक्रिया को भारत-अमेरिका के बीच आतंकवाद के खिलाफ सहयोग की एक बड़ी उपलब्धि माना गया था।

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