कर्नाटक: RSS ड्रेस पहनने वाले सरकारी कर्मचारी का निलंबन रद्द, हाईकोर्ट का स्टे
कर्नाटक में RSS की वर्दी पहनने वाले सरकारी कर्मचारी के निलंबन पर रोक लगाई। सार्वजनिक स्थानों पर शाखा पर प्रतिबंध पर हाईकोर्ट का स्टे।
कर्नाटक में हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े मामलों में कई महत्वपूर्ण कानूनी घटनाक्रम सामने आए हैं। इनमें एक सरकारी कर्मचारी के RSS की वर्दी पहनने पर निलंबन पर कर्नाटका राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण द्वारा रोक और सार्वजनिक स्थानों पर RSS शाखाओं के आयोजन पर कर्नाटक सरकार के प्रतिबंध पर उच्च न्यायालय द्वारा अंतरिम रोक शामिल हैं।
सरकारी कर्मचारी का निलंबन और ट्रिब्यूनल का आदेश
अक्टूबर 2025 में कर्नाटका के रायचूर जिले के पंचायत विकास अधिकारी (PDO), प्रवीण कुमार के.पी. को एक पथ संचलन में RSS की वर्दी पहनकर भाग लेने के कारण निलंबित कर दिया गया था। सरकार ने उन्हें कर्नाटका सिविल सेवा (आचरण) नियमावली, 2021 के नियम 3 का उल्लंघन करने का दोषी ठहराया था, जिसके तहत सरकारी कर्मचारियों को राजनीतिक रूप से तटस्थ रहने का निर्देश दिया गया है।
30 अक्टूबर 2025 को कर्नाटका राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने इस निलंबन पर अंतरिम रोक लगा दी। न्यायाधिकरण ने इसे 'बिना अधिकार क्षेत्र' और 'बिना ठोस आधार' के रूप में देखा और कहा कि इस मामले में कोई ठोस प्रमाण नहीं था, जिससे यह साबित हो सके कि प्रवीण कुमार ने सरकारी आचार संहिता का उल्लंघन किया था।
इससे पहले, कर्नाटक के बसवकल्याण क्षेत्र में एक सरकारी छात्रावास के रसोइए को भी RSS के एक कार्यक्रम में भाग लेने के कारण निलंबित कर दिया गया था। इन मामलों ने सरकारी कर्मचारियों की राजनीतिक गतिविधियों पर सवाल उठाए हैं, खासकर जब वे सार्वजनिक रूप से संघ से जुड़े होते हैं।
सार्वजनिक स्थानों पर शाखाओं के आयोजन पर प्रतिबंध
18 अक्टूबर 2025 को कर्नाटक सरकार ने एक विवादास्पद परिपत्र जारी किया था, जिसके तहत सरकारी परिसरों, पार्कों और मैदानों में 10 से अधिक लोगों के इकट्ठा होने के लिए पूर्व अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य कर दिया गया। इस आदेश को राज्य में RSS शाखाओं के आयोजन पर रोक लगाने के रूप में देखा गया।
इस आदेश को लेकर कई पक्षों में विरोध और असंतोष था, खासकर RSS और अन्य संगठन जिन्होंने इसे अपने मौलिक अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए चुनौती दी थी। 28 अक्टूबर 2025 को कर्नाटका उच्च न्यायालय की धारवाड़ पीठ ने इस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। न्यायालय ने कहा कि कर्नाटक सरकार का यह आदेश नागरिकों के संघ के अधिकार और सभा की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है।
उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने की तैयारी
कर्नाटका सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने की बात कही है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस फैसले पर कहा कि यह आदेश राज्य सरकार की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के दृष्टिकोण से था। उन्होंने यह भी बताया कि इस आदेश का उद्देश्य केवल गैर-कानूनी गतिविधियों को रोकना था, न कि RSS या किसी अन्य संगठन की वैध गतिविधियों को प्रभावित करना।