अमेरिका से तल्खी के बीच विदेश मंत्रालय का बयान: रूस हमारा समय की कसौटी पर खरा उतरने वाला साझेदार
विदेश मंत्रालय - रूस भरोसेमंद साझेदार, ट्रंप की धमकिया और अमेरिका के दबाव में फैसले नहीं होंगे
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयानों के बीच भारत ने साफ कर दिया है कि उसके अंतरराष्ट्रीय रिश्ते किसी तीसरे देश के दबाव में तय नहीं होते। विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत-रूस संबंध लंबे समय से स्थिर और भरोसेमंद रहे है और इन पर सवाल उठाने का कोई आधार नहीं है।
राष्ट्रीय सुरक्षा के हिसाब से लिए जाते है फैसले
जायसवाल ने कहा, “भारत की रक्षा आवश्यकताओं की पूर्ति पूरी तरह से हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं और रणनीतिक आकलन पर आधारित है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत अपने द्विपक्षीय रिश्तों को केवल उनकी योग्यता और साझा हितों के आधार पर देखता है, न कि किसी अन्य देश की नजर से।
अमेरिका पर भी जताया भरोसा
#WATCH | Delhi | MEA spokesperson Randhir Jaiswal says, "India and the United States share a comprehensive global strategic partnership anchored in shared interests, democratic values, and robust people-to-people ties. This partnership has weathered several transitions and… pic.twitter.com/M42PC9sJzf
— ANI (@ANI) August 1, 2025
ट्रंप के कड़े बयानों के बावजूद विदेश मंत्रालय ने भारत-अमेरिका रिश्तों को लेकर भरोसा जताया। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि दोनों देशों की साझेदारी साझा हितों, लोकतांत्रिक सिद्धांतों और गहरे जनसंपर्क पर टिकी है। उन्होंने जोर दिया कि यह रिश्ता कई उतार-चढ़ाव और चुनौतियों के बावजूद लगातार प्रगति करता रहेगा।
रूस से तेल खरीद पर सफाई
#WATCH | Delhi | On media reports that some Indian oil companies have stopped taking oil from Russia, MEA spokesperson Randhir Jaiswal says, "You are aware of our broad approach to energy sourcing requirements, that we look at what is available in the market and the prevailing… pic.twitter.com/gEC7j5w0MK
— ANI (@ANI) August 1, 2025
हाल ही में आई उन रिपोर्टों पर भी MEA ने प्रतिक्रिया दी, जिनमें दावा किया गया था कि भारतीय कंपनियों ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है। प्रवक्ता ने कहा, “हमारी ऊर्जा आपूर्ति का निर्णय बाजार की उपलब्धता और वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए लिया जाता है। हमें किसी विशेष बदलाव की जानकारी नहीं है।”
पिछले कुछ महीनों में रूस भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर बन गया है और अब तेल आयात का 35-40% रूस से आता है।
ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध का मुद्दा
जायसवाल ने ईरान से व्यापार करने वाली भारतीय कंपनियों पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि भारत ने इस पर ध्यान दिया है और मामले की समीक्षा कर रहा है।
यह बयान अमेरिका को एक साफ संदेश है कि भारत अपने रणनीतिक फैसलों में पूरी तरह स्वतंत्र है। रूस के साथ साझेदारी को लेकर भारत का यह दो-टूक रुख बताता है कि चाहे दबाव कितना भी बड़ा क्यों न हो, भारत अपनी राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा।