Health News: स्क्रीन स्ट्रेस का खतरा बढ़ रहा स्कूली बच्चों पर, सेहत और दिमाग पर भी हो रहा इसका असर
Health News: आजकल स्कूली बच्चों में स्क्रीन स्ट्रेस का खतरा काफी ज्यादा हो गया है।
Health News: आजकल स्कूल जाने वाले बच्चों का ज़्यादातर समय मोबाइल, लैपटॉप और टीवी स्क्रीन के सामने गुजर रहा है। ऑनलाइन क्लास, होमवर्क भेजना, यूट्यूब पर वीडियो देखना या गेम खेलना ये सब बच्चों की दिनचर्या का हिस्सा बन चुके हैं। लेकिन यह आदत धीरे-धीरे बच्चों की आंखों, मानसिक विकास और सामाजिक व्यवहार पर बुरा असर डाल रही है। एक्सपर्ट की मानें तो ज्यादा देर स्क्रीन देखने से बच्चों की आंखों में जलन, सूखापन और धुंधलापन जैसी दिक्कतें बढ़ रही हैं। सिरदर्द और नींद न आने की शिकायत भी आम होती जा रही है। बच्चों की आंखें अभी पूरी तरह विकसित नहीं होतीं इसलिए उन पर ज्यादा असर पड़ता है।
मानसिक सेहत पर भी दिख रहा असर
स्क्रीन का ज्यादा इस्तेमाल सिर्फ आंखों तक सीमित नहीं है। इसका असर बच्चों की मानसिक सेहत पर भी देखने को मिल रहा है। ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कम होती जा रही है। बच्चा पढ़ाई में मन नहीं लगाता और छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ा हो जाता है। नींद पूरी न होने से वह दिनभर थका-थका महसूस करता है। स्क्रीन स्ट्रेस बच्चों के सामाजिक व्यवहार को भी प्रभावित करता है। ऐसे बच्चे अकेले रहना पसंद करते हैं, दोस्तों से बात करने में झिझकते हैं और आत्मविश्वास की कमी महसूस करते हैं। कई बार मोबाइल से दूर करने पर बच्चे गुस्से में चीजें फेंकने तक लगते हैं।
माता-पिता को उठाना चाहिए आसान कदम
इससे बचने के लिए माता-पिता को कुछ आसान कदम उठाने चाहिए। घर में स्क्रीन टाइम के लिए एक नियम तय करें जैसे एक दिन में सिर्फ एक घंटे वीडियो या गेम का समय। मोबाइल या लैपटॉप का इस्तेमाल हमेशा बड़ों की निगरानी में हो। बच्चों को मोबाइल से हटाकर किताबें, ड्राइंग, म्यूजिक या आउटडोर खेलों की तरफ प्रेरित करें। बच्चे वही सीखते हैं जो वो अपने पेरेंट्स से देखते हैं, इसलिए मां-बाप भी स्क्रीन का कम इस्तेमाल करें।