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चीन की विस्तारवादी नीति के तहत चाइनीज ऐप का विश्व ऐप बाजार पर कब्जे इरादा

  • ना तो गूगल का चीन में प्रवेश है और ना एप्पल का
  • हुवेई, श्योमी, ओप्पो, वीवो जैसी कंपनियों के मोबाइल सेट व नेटवर्क का ले रहा सहारा

Update: 2020-07-05 12:48 GMT

नई दिल्ली/वेब डेस्क। इस बात पर यकीन करना कठिन है कि मोबाइल एप्लीकेशन भी अब किसी देश की युद्ध नीति का हिस्सा हो सकता है। भारत और चीन के बीच तनाव के बीच मोबाइल एप्लीकेशन का भी एक बड़ा किरदार सामने आया है।

भारत ने चीन को सबक सिखाने के लिए उसके 59 ऐप बंद कर दिए तो चीन के बिजनेस की सांसेंं भी बंद होने लगींं। चीन की विस्तारवादी नीति की तरह चाइनीज ऐप भी विश्व ऐप बाजार पर कब्जे के इरादे से काम कर रही हैं और उस पर पहला आघात भारत ने किया है। दुनिया में मोबाइल ऐप की संख्या 90 लाख से अधिक है और चीन अकेले 40 प्रतिशत मोबाइल ऐप पर पैसा लगा रहा है। कंज्यूमर मामले के सीनियर कंसलटेंट माने जाने वाले अमेरिकी जाॅन कोएटस्र का कहना है कि मोबाइल ऐप की संख्या इस समय लगभग 90 लाख से अधिक पहुंच गई है।

गूगल प्ले और एप स्टोर की यह है स्थिति 

यह संख्या इतनी ज्यादा है कि यह किसी एक ऐप स्टोर पर चढ़ भी नहीं सकती। गूगल हो या एप्पल स्टोर पर इतने ऐप मौजूद भी नहीं हैं। रिस्क आईक्यू नाम की संस्था मोबाइल ऐप की जानकारी रखती है। रिस्क आईक्यू के अनुसार एप्पल स्टोर पर 4 लाख 65 हजार 676 ऐप मौजूद हैं गूगल प्ले स्टोर पर 7 लाख 114 हजार 678 एप्प दर्ज हैं। एंड्राइड ऐप्स एपीके पर 8 लाख 9 हजार 818 हैं तो एपीके पीयूरेको पर 8 लाख 90 हजार 479 लेकिन सबसे अधिक मोबाइल ऐप एपीकेजीके पर हैं जिनकी संख्या 16 लाख, 87 हजार 757 हैं।

ये आंंकड़े 2019 के हैं। इसका मतलब हैं कि इस बीच हजारों-लाखों मोबाइल ऐप और बन गए होंगे। हममें ये बहुत कम लोग होंगे जो यह जानते होंगे कि अंतिम के तीन मोबाइल ऐप स्टोर चीन के हैं जिनपर इस समय लगभग 40 लाख मोबाइल ऐप मौजूद हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऐप मार्केट में छा जाने के लिए चीन किस तरह खुद को तैयार कर रहा है। ऐप इन चाइना ब्लाॅग के अनुसार चीन के अपने 400 से अधिक ऐप प्ले स्टोर हैं, जिसे टेक्नीकल स्पोर्ट टेनसेंट, अलीबाबा, क्वीहू और बायडू जैसी टेक कंपनिया उलब्ध कराती हैं और जिन्हें हुवेई, श्योमी, ओप्पो, वीवो जैसी कंपनियों के मोबाइल सेट व नेटवर्क के जरिए बाजार में भेजा जाता है।

ना तो गूगल का चीन में प्रवेश है और ना एप्पल का

चाइना मोबाइल और चाइना टेलीकाॅम का 80 प्रतिशत से अधिक एन्डरोयड ऐप्स पर कब्जा है। चीन यह काम यूं ही नहीं कर रहा है। रिस्क आईक्यू के अनुसार 2019 में 200 अरब ऐप डाउनलोड किए गए जिस पर 120 अरब डाॅलर लोगों ने खर्च किए। ऐप इन चाइना ब्लाॅग के अनुसार इसमें से चीन ने 40 अरब डाॅलर की कमाई की। यहां यह भी देखना होगा कि ना तो गूगल का चीन में प्रवेश है और ना एप्पल का। इसलिए इन दोनों कंपनियों की चीन की जनता से कोई कमाई नहीं होती। लेकिन चीन की ऐप कंपनियों को गूगल और एप्पल दोनों से ही अच्छी खासी कमाई होती है। क्योंकि कोई भी ऐप जो महत्वपूर्ण फीचर रखता है उसे गूगल और आईओएस ऐप स्टोर पर चढ़ा दिया जाता है।

बाजार में उतरने वाले सभी ऐप अच्छी क्वालिटी के नहीं होते। कुछ तो लो क्वालिटी में कूकीज कटर होते हैं जो लो कोड या नो कोड पर आधारित होते हैं। इसलिए उनकी आयु भी अधिक नहीं होती।लेकिन उनकी भूमिका चीन के ऐप की गिनती बढ़ाने में सहायक जरूर होती है।

हाल ही में गूगल ने अपने प्ले स्टोर से काफी संख्या में चीनी ऐप को हटा दिया, इनका काम लोगों के साथ फ्राॅड करने का था। सुरक्षित ऐप के मामले में गूगल से भी अच्छा रिकार्ड एप्पल का है, जिस पर कोई भी नया ऐप बिना अच्छी तरह जांच परख के लोड नहीं होता। रिस्क आईक्यू के अनुसार चाइनीज गेम ऐप स्टोर 9 गेम डाॅट काॅम पर 61,669 ऐप ऐसे हैं जो ब्लैकलिस्टेड हैं। इसी तरह चाइनीज मोबाइल कंपनी श्योमी को भी खतरनाक प्ले स्टोर के रूप में रिपोर्ट किया गया है।

चीन की ऐप कंपनियां परेशान

भारत द्वारा चीनी ऐप पर बैन लगाने से चीन की ऐप कंपनियां परेशान हैं और इस बैन से निकलने की योजना बना रही हैं। भारत में सबसे ज्यादा चलने वाले ऐप टिकटाॅक ने यहां तक बयान दिया कि चीन ने कभी भी उसके यूजर्स की जानकारी नहीं मांगी और चीन की सरकार मांगती भी तो वह नहीं देते। टिकटाॅक ने खुद को बीजिंग की नीतियों से दूर रहने का दावा किया। लेकिन दुनिया जानती है कि चीन की बात पर भारोसा करना कितना कठिन है।

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