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आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल ने संसदीय समितियों से दिया इस्तीफा

Update: 2020-12-19 12:11 GMT

नईदिल्ली। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के अध्यक्ष व राजस्थान के नागौर से लोकसभा सदस्य हनुमान बेनीवाल ने संसद की तीन समितियों से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को अपना इस्तीफा भेज दिया है। बेनीवाल ने शनिवार को तीन संसदीय समितियों से इस्तीफा देने के बाद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि किसान आन्दोलन के समर्थन में एवं जनहित के मुद्दों पर समितियों को अवगत कराने के बावजूद कार्यवाही नही किए जाने के कारण वह संसदीय समितियों से इस्तीफा दे रहे हैं।

बेनीवाल ने बिरला को पत्र लिख अपना इस्तीफा देते हुए कहा, " संसद में मुझे उद्योग सम्बन्धी स्थाई समिति, याचिका समिति व पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति का सदस्य बनाया गया है, मैं इन तीनों समितियों से इस्तीफा देता हूं।" उन्होंने पत्र में इस्तीफे का कारण बताते हुए आगे लिखा, " चूंकि मेरे द्वारा राजस्थान के बाडमेर जिले में हुए हमले से जुड़े मामले में विशेषाधिकार हनन का मामला, जिसमें संसद की दखल के बाद भी एक वर्ष से अधिक समय व्यतीत होने के बावजूद मुकदमा दर्ज नहीं होना, नागौर के मूण्डवा में निर्माणाधीन अम्बुजा सीमेंट कम्पनी द्वारा गलत तथ्यों के आधार पर ली गई पर्यावरण स्वीकृति का प्रकरण, बाड़मेर जिले में सीएसआर की राशि का जिले में खर्च नहीं होने तथा बाड़मेर सहित अन्य जिलों में तेल, गैस व अन्य क्षेत्र के उद्योगों में स्थानीय लोगों को रोजगार देने में प्राथमिकता तथा राजस्थान की धरती से निकलने वाले क्रूड ऑयल से मिलने वाली वास्तविक करोड़ों रुपये की रॉयल्टी से राजस्थान राज्य के राजकोष को वंचित रखने सहित जनहित से जुड़े कई मामलों में बतौर सदस्य संसद की समितियों को अवगत कराया परन्तु उक्त मामलों में किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं होना अत्यन्त दुःखद है । चूंकि लोकसभा की समितियों की सिफारिश तथा समिति की दखलंदाजी के बावजूद किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं होने से समितियों का जो महत्व लोकतांत्रिक व्यवस्था में प्रदत है उसका कोई औचित्य नहीं रहता।"

उल्लेखनीय है कि किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए बेनीवाल ने बीते 30 नवम्बर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिख संसद से पारित तीन नए कृषि कानूनों को वापस लिये जाने की भी मांग की थी। उन्होंने शाह को लिखे पत्र में कहा था कि किसान हितों को ध्यान में रखते हुए आरएलपी राजग का साथी बने रहने पर भी पुनर्विचार करेगा।

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