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एयर मार्शल वीआर चौधरी बने नए वायुसेना प्रमुख, भदौरिया ने सौंपी 'आसमानी सुरक्षा'

Update: 2021-09-30 09:10 GMT

नई दिल्ली।  देश के 26वें वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया 41 साल के शानदार करियर के बाद गुरुवार को सेवानिवृत्त हो गए। बतौर एयर चीफ उन्होंने आज सुबह आखिरी बार राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण किया। इसके बाद भदौरिया ने 27वें वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल वीआर चौधरी को चीफ ऑफ एयर स्टाफ का कार्यभार सौंप दिया। नए और पुराने वायुसेना प्रमुखों को वायुसेना मुख्यालय में गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया। नए वायुसेना प्रमुख चौधरी शुक्रवार को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण करके शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे।

जहां से शुरू, वहीं से खत्म - 

आज सेवानिवृत्त हुए वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया के 41 साल लम्बे शानदार करियर की खासियत रही है कि उन्होंने वायु सेना प्रमुख के रूप में जिस 'पैंथर्स' स्क्वाड्रन, हलवारा एयरबेस से मिग-21 में पहली उड़ान भरी थी, वहीं रिटायर होने से पहले फिर उसी एयरबेस पर और उसी स्क्वाड्रन के साथ 13 सितम्बर को मिग-21 में अंतिम उड़ान भरकर वायुसेना प्रमुख का अपना करियर समाप्त कर दिया। एयर चीफ मार्शल भदौरिया 15 जून 1980 को भारतीय वायुसेना के लड़ाकू दस्ते में शामिल किये गए थे। दो साल पहले 30 सितंबर 2019 को एयर चीफ मार्शल बीरेंद्र सिंह धनोआ के कार्यमुक्त होने के बाद वह 26वें वायुसेना प्रमुख बने थे। ओवर आल मेरिट क्रम में पहला स्थान प्राप्त करने पर उन्हें स्वॉर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया जा चुका है।

भदौरिया को है 26 प्रकार के विमान उड़ाने का अनुभव - 

भदौरिया के उड़ान अनुभव की बात करें तो उनके पास 26 प्रकार के लड़ाकू और परिवहन विमानों को उड़ाने का कुल 05 हजार घंटों से अधिक का अनुभव है। वे प्रयोग जांच पायलट और लेविल ए वाले फ्लाइंग इंस्ट्रक्टक और पायलट अटैक इंस्ट्रक्टर भी रहे हैं। एयर मार्शल भदौरिया हल्के युद्धक विमानों पर प्रारंभिक उड़ान जांचों में प्रारंभिक तौर पर शामिल रह चुके हैं। वे जगुआर स्क्वाड्रन और प्रीमियर एयर फोर्स स्टेशन कमान, एयरक्राफ्ट और सिस्टम टेस्टिंग स्टेबलिस्टमेंट में फ्लाइट टेस्ट स्क्वाड्रन के कमान अधिकारी, फ्लाइट कोम्बेट एयरक्राफ्ट परियोजना पर आधारित राष्ट्रीय उड़ान परीक्षण केंद्र के प्रमुख जांच पायलट और परियोजना निदेशक पद पर भी काम कर चुके हैं।

जीपीएस के जरिये बमबारी करने का तरीका ईजाद किया - 

करीब चार दशक की सेवा के दौरान भदौरिया ने जगुआर स्क्वाड्रन और एक प्रमुख वायुसेना स्टेशन का नेतृत्व किया। उन्होंने जीपीएस का इस्तेमाल कर जगुआर विमान से बमबारी करने का तरीका ईजाद किया। यह वर्ष 1999 में 'ऑपरेशन सफेद' सागर में जगुआर विमान की बमबारी में भूमिका से खासतौर से जुड़ा है। वह वायुसेना के उन चुनिंदा पायलटों में से एक हैं जिन्होंने राफेल विमान उड़ाया है। जुलाई में भारत और फ्रांस की वायु सेनाओं के बीच गरुड़ अभ्यास के दौरान भदौरिया ने राफेल विमान उड़ाया था। वायुसेना प्रमुख राकेश कुमार सिंह भदौरिया ने फ्रांस के साथ 'राफेल' सौदे को अंतिम रूप देने में अहम भूमिका निभाई थी। वे उन शीर्ष अधिकारियों में भी शामिल हैं, जिन्हें फ्रांस जाकर 'राफेल' उड़ाने का मौका मिल चुका है।

ऐसा रहा 26वें वायुसेना अध्यक्ष का सफर - 

  • * पुणे की राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में प्रशिक्षित हैं
  • * बांग्लादेश के कमांड एंड स्टाफ कॉलेज से रक्षा अध्ययन में परास्नातक, चार दशक लंबा करियर
  • * 1980 में वायुसेना के लड़ाकू दस्ते में शामिल हुए
  • * 5,000 घंटे से अधिक विमान उड़ाने का अनुभव
  • * 26 तरह के लड़ाकू और परिवहन विमान उड़ाए

प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित

  • * भदौरिया को 2002 में वायुसेना मेडल (वीएम),
  • 2013 में अति विशिष्ट सेवा मेडल (एवीएसएम) और
  • 2018 में परम विशिष्ट सेवा मेडल (पीवीएसएम) से नवाजा गया।

कई अहम पद संभाले

  • * मार्च 2017 से जुलाई 2018 तक दक्षिणी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ पद पर रहे।
  • * अगस्त 2018 में वायुसेना की प्रशिक्षण कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ का पदभार संभाला।
  • * मई 2019 में एयर मार्शल अनिल खोसला के सेवानिवृत्त होने पर वायुसेना के उपाध्यक्ष पद पर काबिज हुए।
  • 'तेजस' परियोजना के निदेशक
  • * ए श्रेणी के उड़ान प्रशिक्षक, अग्रिम मोर्चे पर तैनात दक्षिण-पश्चिमी कमान के जगुआर दस्ते की कमान संभाली।
  • * राष्ट्रीय उड़ान परीक्षण केंद्र में 'तेजस' परियोजना के निदेशक, चीफ टेस्ट पायलट पद पर सेवाएं दे चुके हैं।
  • * जनवरी 2016 से फरवरी 2017 तक वायुसेना के डिप्टी प्रमुख रहे, विमान प्रशिक्षण दस्ते का नेतृत्व किया।
  • * जनवरी 2019 में एड-डि-कैंप (युद्धभूमि में राष्ट्राध्यक्ष के सहायक की पदवी) की मानद उपाधि से नवाजे गए थे।
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