महादेव ऐप, कोयला- शराब घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग: चैतन्य बघेल को बंसल-अग्रवाल से मिला पैसा, कई राज्यों में किया इन्वेस्ट
ED Evidence Against Chaitanya Baghel : रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 18 जुलाई को गिरफ्तार किया। रायपुर की विशेष PMLA अदालत में पेश किए जाने के बाद चैतन्य को 22 जुलाई तक की ED हिरासत में भेज दिया गया। कोर्ट में ED ने चैतन्य पर शराब घोटाला, कोल घोटाला, और महादेव सट्टेबाजी ऐप से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप लगाए हैं। यह कार्रवाई 18 जुलाई को भिलाई, दुर्ग जिले में उनके निवास पर हुई छापेमारी के बाद की गई है। रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि, इस कार्रवाई के दौरान ED ने नए साक्ष्य मिले हैं।
ED ने अपनी जांच में दावा किया कि 2019 से 2022 तक भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान छत्तीसगढ़ में 2,161 करोड़ रुपये का शराब घोटाला हुआ। इस घोटाले में एक समानांतर उत्पाद शुल्क नेटवर्क का संचालन हुआ, जिसमें नौकरशाहों, राजनेताओं, और निजी ठेकेदारों ने मिलकर शराब की अवैध बिक्री की, जिससे राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ। जानकारी के मुताबिक, ED ने चैतन्य बघेल को इस घोटाले से प्राप्त "अपराध की आय" का प्राप्तकर्ता बताया है।
विशेष रूप से ED ने अदालत में कहा कि, पप्पू बंसल और विजय अग्रवाल के बयान: कारोबारी पप्पू बंसल और होटल कारोबारी विजय अग्रवाल ने पूछताछ में स्वीकार किया कि उन्होंने चैतन्य बघेल को हवाला नेटवर्क के जरिए करोड़ों रुपये पहुंचाए। बंसल ने बताया कि उन्होंने अनवर ढेबर से डिपेन चावड़ा के माध्यम से 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी संभाली, जिसमें से 80-100 करोड़ रुपये चैतन्य के निर्देश पर के.के. श्रीवास्तव को दिए गए।
रियल एस्टेट में निवेश
चैतन्य ने कथित तौर पर शराब घोटाले से प्राप्त 16.70 करोड़ रुपये की आय को दो फर्मों, जिसमें साहेली ज्वैलर्स के जरिए 5 करोड़ रुपये, और बेनामी लेनदेन के माध्यम से रियल एस्टेट में निवेश किया। ED ने "विठ्ठल ग्रीन" प्रोजेक्ट में वित्तीय अनियमितताओं का हवाला दिया, जहां कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लन ने अपने कर्मचारियों के नाम पर 19 फ्लैट बुक करके 5 करोड़ रुपये चैतन्य की फर्म, बघेल डेवलपर्स, को दिए।
ED को होटल कारोबारी विजय अग्रवाल से जानकारी मिली कि चैतन्य का महादेव सट्टेबाजी ऐप के खजांची से संबंध था। अग्रवाल राजस्थान में महादेव ऐप के खजांची की शादी में शामिल हुए थे, जहां उन्होंने चैतन्य के लिंक की जानकारी दी। हालांकि, ED ने अभी तक महादेव ऐप मामले में चैतन्य के खिलाफ ठोस आरोपों की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
इसके अलावा, ED ने कोल घोटाले में चैतन्य की संलिप्तता का दावा किया है, लेकिन इसकी विस्तृत जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई। जांच में हवाला कारोबारियों के जरिए कोल घोटाले से जुड़े धन के लेनदेन की बात सामने आई है।
छापेमारी में मिले सबूत
ED ने 10 मार्च 2025 को भिलाई, रायपुर, और बस्तर में चैतन्य बघेल, पप्पू बंसल, और विजय अग्रवाल के ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें 30 लाख रुपये नकद, सोना, चांदी, और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे पेन ड्राइव और दस्तावेज जब्त किए गए। 15 जुलाई 2025 को होटल कारोबारी अग्रवाल के ठिकानों पर एक और छापेमारी में अतिरिक्त साक्ष्य मिले। इन छापेमारियों में जब्त दस्तावेजों और बयानों की समीक्षा के बाद ED ने 18 जुलाई को भिलाई में बघेल निवास पर दोबारा छापा मारा और चैतन्य को गिरफ्तार किया। ED ने दावा किया कि चैतन्य ने छापेमारी के दौरान सहयोग नहीं किया, जिसके कारण उन्हें PMLA की धारा 19 के तहत हिरासत में लिया गया।
ED ने बताया कि, कारोबारी पप्पू बंसल ने स्वीकार किया कि उन्होंने चैतन्य बघेल के साथ मिलकर शराब घोटाले से प्राप्त 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी को संभाला और विभिन्न हवाला कारोबारियों के जरिए इसे स्थानांतरित किया। बंसल के खिलाफ पहले से ही गैर-जमानती वारंट जारी है, लेकिन उनके बयानों को ED ने चैतन्य के खिलाफ सबूत के रूप में इस्तेमाल किया।
वहीँ, होटल कारोबारी विजय अग्रवाल ने महादेव ऐप और शराब घोटाले से जुड़े वित्तीय लेनदेन की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि चैतन्य को हवाला नेटवर्क के माध्यम से धन पहुंचाया गया और महादेव ऐप के खजांची से उनके संबंध थे।
इसके अलावा अनवर ढेबर, डिपेन चावड़ा, और के.के. श्रीवास्तव जैसे सह-आरोपियों के बयानों ने भी चैतन्य की संलिप्तता को पुष्ट करने में मदद की। ED ने इन बयानों के आधार पर चैतन्य को अपराध की आय का प्राप्तकर्ता और मनी लॉन्ड्रिंग में सक्रिय भागीदार बताया।
चैतन्य ने रायपुर के महर्षि विद्या मंदिर से प्रारंभिक शिक्षा, भिलाई के शंकराचार्य विश्वविद्यालय से बीकॉम, और भिलाई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एमबीए की डिग्री हासिल की। चैतन्य रियल एस्टेट क्षेत्र में सक्रिय हैं और भिलाई में उनकी फर्म, बघेल डेवलपर्स, ने विट्ठलपुरम और विट्ठल ग्रीन्स जैसी दो रिहायशी टाउनशिप बनाई हैं।
चैतन्य का कांग्रेस से जुड़ाव है, लेकिन वह संगठन में कोई औपचारिक पद नहीं संभालते। उनकी राजनीतिक एंट्री की योजना 2019-2022 के दौरान बघेल सरकार के समय बनाई गई थी, लेकिन आंतरिक खींचतान के कारण यह अमल में नहीं आई। 2023 में पाटन विधानसभा सीट से उन्हें चुनाव लड़ाने पर विचार हुआ था, लेकिन संभव नहीं हो सका।
इससे पहले बीते जुलाई 2024 में खूबचंद बघेल पीजी कॉलेज के प्रोफेसर विनोद शर्मा पर हमले के मामले में चैतन्य से पूछताछ हुई थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
चैतन्य बघेल के वकील क्या बोले
चैतन्य के वकील फैजल रिजवी और हर्षवर्धन परगानीहा ने अदालत में दलील दी कि उनके पास 200 एकड़ से अधिक की कृषि भूमि से वैध आय है, जो उनकी संपत्ति और खर्च को उचित ठहराती है। उन्होंने ED के सभी आरोपों को खारिज किया और कहा कि चैतन्य के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं हैं।
ED की जांच में अब तक क्या- क्या हुआ
ED के अनुसार, 2019-2022 के दौरान शराब घोटाले में नकली होलोग्राम और हेराफेरी वाले विदेशी शराब लाइसेंस (FL-10A) का उपयोग कर अवैध बिक्री की गई। इसने 2,161 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया। अब तक 205 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है।
ED ने मार्च 2025 में महादेव सट्टेबाजी ऐप मामले में भूपेश बघेल के ठिकानों पर छापेमारी की थी। चैतन्य के इस मामले से संभावित संबंधों की जांच चल रही है, लेकिन कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई। इसके अलावा कोल घोटाले में चैतन्य की भूमिका की जांच जारी है, लेकिन ED ने अभी तक विस्तृत जानकारी साझा नहीं की है।
जनवरी 2024 में ED ने पूर्व मंत्री कवासी लखमा, अनवर ढेबर, पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, और ITS अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी को गिरफ्तार किया था। 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने ED की पहली ECIR को रद्द कर दिया था, जिसके बाद EOW/ACB ने 17 जनवरी 2024 को नई FIR दर्ज की।