ED Raid Update: मोक्षित कॉर्पोरेशन पर 12 घंटे चली ED रेड, कई अहम दस्तावेज और मोबाइल जब्त

Update: 2025-07-31 03:05 GMT

Mokshith Corporation ED Raid Update: दुर्ग। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) में हुए 650 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 30 जुलाई 2025 को दुर्ग में बड़ी कार्रवाई की। यह छापेमारी मोक्षित कॉर्पोरेशन के संचालक शशांक चोपड़ा के गंजपारा स्थित कार्यालय और निवास पर सुबह 8 बजे शुरू हुई और करीब 12 घंटे तक चली।

जानकारी के मुताबिक, ED और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की संयुक्त टीम ने इस दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, मोबाइल फोन, और रिकॉर्ड जब्त किए। यह कार्रवाई CGMSC द्वारा रिएजेंट, EDTA ट्यूब और CBC मशीन की खरीद में अनियमितताओं के आरोपों के तहत की गई।

क्या है CGMSC घोटाला

EOW की 18,000 पन्नों की चार्जशीट के अनुसार, CGMSC ने 2022 से 31 अक्टूबर 2023 के बीच मोक्षित कॉर्पोरेशन और उसकी सहयोगी कंपनियों के साथ मिलकर अरबों रुपये की खरीद की, जिसमें भारी अनियमितताएं सामने आईं। शशांक चोपड़ा पर टेंडर फिक्सिंग और अधिक कीमत पर सामान खरीदने का आरोप है।

प्रमुख अनियमितताएं इस प्रकार हैं:

CBC मशीन: बाजार में 5 लाख रुपये में उपलब्ध मशीन को 17 लाख रुपये में खरीदा गया।

EDTA ट्यूब: बाजार में 8.50 रुपये की कीमत वाली ट्यूब को 2,352 रुपये में खरीदा गया।

रिएजेंट खरीद: 300 करोड़ रुपये के रिएजेंट बिना जरूरत के खरीदे गए, जिनमें से कई की एक्सपायरी डेट 2-3 महीने थी। इन्हें स्टोर करने के लिए 600 रेफ्रिजरेटर खरीदने की योजना बनाई गई।

अनुपयोगी खरीद: कई स्वास्थ्य केंद्रों में लैब या टेक्नीशियन की कमी के बावजूद रिएजेंट और उपकरण भेजे गए।

EOW ने जनवरी 2025 में शशांक चोपड़ा को गिरफ्तार किया था, और विशेष न्यायाधीश निधि शर्मा तिवारी की अदालत ने उन्हें 7 दिन की रिमांड पर भेजा था।

30 जुलाई 2025 को ED और EOW की संयुक्त टीम ने दुर्ग और रायपुर में 18 ठिकानों पर छापेमारी की। दुर्ग में मोक्षित कॉर्पोरेशन के कार्यालय और शशांक चोपड़ा, उनके भाई सिद्धार्थ चोपड़ा, और शरद चोपड़ा के निवास पर कार्रवाई हुई।

इस दौरान 20 से अधिक ED अधिकारी और CRPF की महिला बल की मौजूदगी में छापेमारी की गई। सिद्धार्थ चोपड़ा का मोबाइल फोन, CGMSC से संबंधित दस्तावेज, 10 साल के ऑडिट रिकॉर्ड, और संपत्ति से जुड़े कागजात जब्त किए गए। फर्जी कंपनियों से जुड़े दस्तावेज और बैंक लॉकरों की जांच की गई। छापेमारी सुबह 8 बजे शुरू होकर रात 8:30 बजे तक चली, जिसके बाद ED की टीम रायपुर रवाना हुई।

EOW की जांच में शशांक चोपड़ा को कार्टेलाइजेशन का मास्टरमाइंड बताया गया। उन्होंने श्री शारदा इंडस्ट्रीज, रिकॉर्डर्स एंड मेडिकेयर सिस्टम, और CB कॉर्पोरेशन के साथ मिलकर टेंडर प्रक्रिया को प्रभावित किया। टेंडर शर्तें ऐसी बनाई गईं कि केवल इन कंपनियों को ही अनुबंध मिले।

चार्जशीट में बसंत कौशिक (जनरल मैनेजर), कमलकांत पटनवार (तकनीकी जनरल मैनेजर), डॉ. अनिल परसाई (उप निदेशक), छिरोद राउतिया, और दीपक कुमार बंधे जैसे अधिकारियों के नाम शामिल हैं। EOW ने 27 जनवरी 2025 को दुर्ग, रायपुर, और पंचकुला में छापेमारी कर 16 ठिकानों से दस्तावेज जब्त किए थे।

CGMSC ने मोक्षित कॉर्पोरेशन को 3 साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया, जिसे छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (नवंबर 2024) और सुप्रीम कोर्ट (20 दिसंबर 2024) ने सही ठहराया। CGMSC की प्रबंध निदेशक पद्मिनी भोई साहू ने कहा कि यह कार्रवाई सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता और नैतिकता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी थी।

राज्य सरकार ने प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट, 1988 और IPC, 1860 के तहत 22 जनवरी 2025 को FIR दर्ज की थी। EOW ने 10 अधिकारियों को जांच के दायरे में लिया, जिनमें IAS और IFS अधिकारी भी शामिल हैं। 


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