छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला: हाईकोर्ट में संपत्ति कुर्की पर फैसला सुरक्षित, ED कार्रवाई को सूर्यकांत तिवारी और सौम्या चौरसिया ने दी थी चुनौती

Update: 2025-07-03 13:17 GMT

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के चर्चित कोयला लेवी घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा सूर्यकांत तिवारी, सौम्या चौरसिया और उनके परिवार के सदस्यों की संपत्तियों को कुर्क करने के फैसले को बिलासपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। इस मामले में केजेएसएल कोल पावर और इंद्रमणि मिनरल्स ने भी अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से याचिकाएं दायर की हैं। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस विभू दत्त गुरु की डबल बेंच में सभी 10 याचिकाओं पर गहन सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया है।

ईडी की कार्रवाई 

रायपुर में प्रवर्तन निदेशालय ने 30 जनवरी 2025 को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत सूर्यकांत तिवारी, उनके भाई रजनीकांत तिवारी, कैलाशा तिवारी, दिव्या तिवारी, सौम्या चौरसिया, उनके भाई अनुराग चौरसिया, मां शांति देवी, समीर विश्नोई और अन्य से संबंधित 49.73 करोड़ रुपये की 100 से अधिक चल और अचल संपत्तियों को अनंतिम रूप से कुर्क किया। इनमें बैंक बैलेंस, वाहन, नकदी, आभूषण और जमीन शामिल हैं। इस कार्रवाई के खिलाफ सभी संबंधित पक्षों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर कीं।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील हर्षवर्धन परगनिहा, निखिल वार्ष्णेय, शशांक मिश्रा, अभ्युदय त्रिपाठी और अन्य ने अपनी दलीलें पेश कीं। वहीं, ईडी की ओर से वकील डॉ. सौरभ कुमार पांडे ने पक्ष रखा। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने सभी पहलुओं पर विचार करते हुए फैसला सुरक्षित रखा।

सौम्या चौरसिया को जमानत सूर्यकांत तिवारी जेल में

सौम्या चौरसिया को हाल ही में हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है, और कोर्ट ने उन्हें छत्तीसगढ़ के बाहर रहने का निर्देश दिया है। वहीं, इस मामले का मुख्य आरोपी सूर्यकांत तिवारी अभी भी जेल में बंद है।

कोयला लेवी घोटाला क्या है?

प्रवर्तन निदेशालय की जांच में सामने आया कि कुछ लोगों ने छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ राजनेताओं और नौकरशाहों के साथ साठगांठ कर कोयला परिवहन के लिए ऑनलाइन परमिट सिस्टम को ऑफलाइन कर दिया। इसके बाद कोयला व्यापारियों से प्रति टन 25 रुपये की अवैध लेवी वसूली गई। यह सिलसिला जुलाई 2020 से जून 2022 तक चला। 15 जुलाई 2020 को खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर विश्नोई ने इसके लिए आदेश जारी किया था।

इस घोटाले का मास्टरमाइंड सूर्यकांत तिवारी को माना गया है। जांच के अनुसार, जो व्यापारी इस लेवी का भुगतान करता था, उसे ही खनिज विभाग से परमिट और परिवहन पास जारी किया जाता था। इस राशि को सूर्यकांत तिवारी के कर्मचारियों के पास जमा किया जाता था। इस तरह कुल 570 करोड़ रुपये की अवैध वसूली की गई।

अवैध कमाई का उपयोग

जांच में यह भी खुलासा हुआ कि इस घोटाले से प्राप्त राशि का उपयोग सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं को रिश्वत देने, चुनावी खर्चों को पूरा करने और कई चल-अचल संपत्तियों की खरीद में किया गया। आरोपियों ने इस अवैध धन से जमीन, वाहन, आभूषण और अन्य संपत्तियां खरीदीं।

हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा है। कोर्ट का निर्णय इस घोटाले से जुड़े आरोपियों और उनकी संपत्तियों के भविष्य पर बड़ा प्रभाव डालेगा। इस मामले में अगली सुनवाई और कोर्ट के फैसले का इंतजार किया जा रहा है।  

Tags:    

Similar News