मिशन 2019 : हिन्दुत्व के साथ दलित-ओबीसी को भी साधने की कवायद

Update: 2018-08-12 07:06 GMT

मेरठ। मिशन 2019 को फतह करने के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी कार्यकर्ताओं को 350 प्लस का फार्मूला दिया है। इसे हासिल करने के लिए दलित व अन्य पिछड़ा वर्ग को लामबंद करने की मुहिम तेज कर दी दई गै। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अलीगढ़ मुस्लिम विवि में दलितों को आज तक आरक्षण नहीं मिलने की बात कहकर अपने इरादे जाहिर कर दिए। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की अगुवाई में अन्य पिछड़ा वर्ग को साधने की कोशिश की जा रही है।पश्चिम उत्तर प्रदेश में भाजपा को 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनावों में प्रचंड बहुमत हासिल हुआ। इसमें भाजपा के परंपरागत वोटरों के साथ-साथ दलित और अन्य पिछड़ी जातियों का अहम योगदान रहा, लेकिन जिस तरह से कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा का उपचुनाव में हार मिली। उसने भाजपा की पेशानी पर बल डाल दिए हैं। इसी कारण भाजपा ने दो दिवसीय प्रदेश कार्यसमिति की बैठक मेरठ में आयोजित की, ताकि वेस्ट यूपी के वोटरों को संदेश दिया जा सके कि सरकार इस क्षेत्र को भूली नहीं है। निकाय चुनावों में भी भाजपा को मेरठ नगर निगम और अलीगढ़ नगर निगम में हार का सामना करना पड़ा। जबकि कैराना व नूरपुर भी वेस्ट में ही आते हैं। इसी कारण पूरा भाजपा संगठन और सरकार यहां आई है।

दलितों के उग्र रुख से भाजपा असहज

कभी जातीय हिंसा तो कभी एससी-एसटी एक्ट को लेकर भीम आर्मी जैसे दलित संगठन लगातार अपनी गतिविधियां बढ़ा रहे हैं। इससे भाजपा की परेशानी बढ़ रही। बसपा समेत तमाम दल भाजपा पर दलित विरोधी होने का आरोप लगा रहे हैं। जिसकी सफाई देने में भाजपा नेताओं को पसीने छूट रहे हैं। यही कारण रहा कि प्रदेश कार्यसमिति बैठक का स्थल भाजपा को शहीद मातादीन बाल्मीकि के नाम पर रखना पड़ा और उद्घाटन सत्र में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को भाजपा को दलित हितैषी घोषित करना पड़ा।

अन्य पिछड़ा वर्ग की जातियों को भी साधेंगे

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने यूपी में 73 प्लस का नारा दिया है, लेकिन पार्टी जानती है कि अन्य पिछड़ा वर्ग को साधे बिना ऐसा करना असंभव है। उपचुनाव में जिस तरह से जाट वोटर फिर से रालोद के पाले में पहुंचा, उससे भाजपा नेतृत्व परेशान है। कार्यसमिति बैठक के अंतिम दिन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पार्टी के सांसदों व विधायकों को संगठन मजबूती के साथ-साथ सरकार की उपलब्धियों से जनता को संतुष्ट करने का लक्ष्य देंगे। इसी पर 2019 के लोकसभा चुनावों का दारोमदार टिका हुआ है। 

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