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ईद पर मस्जिद खोलने के मामले में अदालत का हस्तक्षेप से इनकार

पहले सरकार से मस्जिद खोलने की लगाएं अर्जी

Update: 2020-05-21 06:49 GMT

इलाहाबाद । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ईद के मौके पर मस्जिद और ईदगाह खोलने संबंधी याचिका को खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता पहले प्रदेश की सरकार से मस्जिदें खोलने की अर्जी लगाए। मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायाधीश सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने कहा कि बिना सरकार को अर्जी दिए सीधे उच्च न्यायालय में याचिका दायर नहीं की जा सकती। दरअसल, याचिकाकर्ता ने सरकार के समक्ष अपनी माँग रखे बगैर जनहित याचिका दायर कर मस्जिदों को खोलने की माँग की थी। जिस पर अदालत ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। यह दूसरा प्रसंग है जब अदालत ने मुस्लिम पक्ष को आइना दिखाया है।

कोराना से उपजी भयंकर त्रासदी और आम लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए सरकार ने पूर्णबंदी लागू की है। सभी धर्मस्थलों को बंद करने के आदेश दिए हैं। बावजूद इसके मुस्लिम पैरोकार न जाने क्यों बार-बार अदालत का दरवाजा खटखटा रहे हैं। जबकि मुस्लिम उलेमाओं ने साफतौर पर कह दिया है कि नमाज अता करने के लिए मुस्लिमों को मस्जिदों में जाने के बजाए घर पर नमाज अता की जानी चाहिए। शाहिद नाम के एक व्यक्ति ने ईद की नमाज के लिए ईदगाह व जुमे की नमाज के लिए एक घंटे मस्जिदों को खोलने को लेकर जनहित याचिका लगाई थी। अर्जी में दलील दी गई थी कि जमात में ईद और जुमे की नमाज होती इसके साथ ही अर्जी में जून माह तक जुमे की नमाज के लिए भी अनुमति माँगी गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि ईद के दिन मस्जिद में जाकर नमाज पढना जरूरी होता है। अगर ऐसा न किया जाए तो इबादत पूरी नहीं होती है।

गौरतलब है कि पिछले शुक्रवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मस्जिद से अजान पर बड़ा फैसला देते हुए कहा था कि अजान इस्लाम का हिस्सा है, लेकिन ध्वनि विस्तारक यंत्र से अजान देना इस्लाम का हिस्सा नहीं हो सकता। इसके लिए कोर्ट ने तर्क दिया था कि लाउडस्पीकर के आने से पहले मस्जिदों से मानव आवाज में अजान दी जाती थी। मानव आवाज में मस्जिदों से अजान दी जा सकती है।


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