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गोपियों ने बाल स्वरूप कान्हा के साथ खेली छड़ीमार होली

Update: 2019-03-18 18:03 GMT

नंदभवन से निकला ठाकुर जी का डोला

मथुरा/गोकुल। ब्रज में होली का उल्लास सोमवार को गोकुल की कुंज गलियों तक पहुंच गया। नंदभवन से ठाकुरजी का डोला निकला तो पुष्प वर्षा के साथ रंग, गुलाल ने श्रद्धालुओं को सराबोर कर दिया। मुरलीघाट पर गोपियों ने बाल स्वरूप कान्हा से छड़ीमार होली खेली। इस होल के अलौकिक दृश्य को देखकर देश-विदेश से आए हजारों श्रद्धालु निहाल हो गए।

ब्रज में होली का उत्सव चालीस दिन मनाया जाता है। नंदगांव, बरसाना और श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर लठामार होली के बाद सोमवार को गोकुल में छड़ी मार हुरंगा खेला गया। यहां सुबह से ही गोकुल में देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं की भीड़ थी। हर कोई यहां बरसने वाले होली के रंगों में सराबोर होने को लालयित था। सुबह नंदभवन से ठाकुर जी का डोला निकला। श्रद्धालु ढोल नगाड़े की ढाप पर झूमते हुए चल रहे थे। इस डोले पर पुष्प वर्षा करने की होड़ मच गई। गोकुल की गलियों और सडक़ों पर रंग गुलाल की बरसा होने लगी। इससे पहले नंद किला स्थित नंद भवन में ठाकुर जी के समक्ष राजभोग रखा गया। दोपहर बाद ठाकुरजी का डोला यमुना किनारे मुरलीघाट पर पहुंचा। यहां सजी-धजी गोपियों के हाथों में छड़ी थी। कान्हा के सखाओं के रूप में बाल ग्वाल भी पारंपरिक पोशाकों में थे।

मुरलीघाट पर ठाकुर जी से अनुमति लेने के साथ ही विश्व प्रसिद्ध छड़ी मार हुरंगा शुरू हो गया। इस बीच होली के गीतों के बोल 'बाबा नंद के द्वार मची है होली' पर श्रद्धालु थिरकने लगे। रंग के इस आनंद में देश और विदेश से आए श्रद्धालु सराबोर रहे।

सुबह से ही गोकुल में होली की मस्ती छा रही। मान्यता है कि गोकुल में भगवान श्रीकृष्ण का बचपन बीता। ऐसे में गोपियां यहां उनसे छड़ी मारकर हंसी ठिठोली करती हैं और होली खेलती हैं। द्वापर की इसी अलौकिक लीला को छड़ी मार हुरंगे के रूप में मनाया जाता है। जिसे देखने के लिए देश और विदेश से श्रद्धालु आते हैं। नंद किले के मैनेजर गिरधारी भटिया, सेवायत मोहन लाल, पांचीलाल मुखिया और मनमोहन शर्मा ने बताया कि यहां बल्लभ कुल संप्रदाय के तीर्थ यात्री अधिकांश होली खेलने के लिए आते हैं।

गोकुल में छड़ी से खेली जाती है होली

मथुरा। गोकुल में भगवान श्रीकृष्ण का बाल स्वरूप है। यहां वो बाल्य अवस्था तक ही रहे थे। ये ही वजह है कि नंदगांव और बरसाना में लठामार होली होती है और यहां गोपियां भगवान श्रीकृष्ण के साथ छड़ीमार हुरंगा खेलती है।  

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