SwadeshSwadesh

बेटों को सच्चाई के रास्ते पर चलकर समाज की सेवा करने का दिया मंत्र

स्वप्नदृष्टा हरिदास अग्रवाल जी एक प्रेरक जीवन

Update: 2018-10-15 16:32 GMT

- दान धर्म, सामाजिक कार्यों व पशु पक्षियों से था विशेष लगाव

- समाज में शिक्षा के अभाव को देखकर हो जाते थे द्रवित

- उनके सपनों को साकार कर रहा है आरके ग्रुप

मथुरा। हर एक महान सपने की शुरूआत एक स्वप्नदृष्टा से होती है। वृंदावन के गणेशीलाल बजाज और गोदावरी बाई के एक साधारण परिवार में जन्मे हरिदास अग्रवाल भी एक ऐसे ही स्वप्नदृष्टा थे। शिक्षाविद्, स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता हरिदास जी ने समाज को शिक्षा से संपन्न करने, देश को शिक्षा के जरिए प्रगति की ओर अग्रसर करने के सपने देखे। ऐसी शिक्षा जो हमारी भावी पीढ़ी को मजबूत बनाए, जिससे हमारे देश का नाम उज्जवल हो। हरिदास जी ने गुलाम भारत से लेकर आजाद भारत तक की यात्रा के तमाम उठापठक, विसंगतियों को बहुत करीब से देखा था। उन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी धर्म और ईमानदारी के रास्ते को ही चुना।

सच्चाई के रास्ते पर चलकर कड़ी मेहनत के साथ अपने लक्ष्य को हासिल करने की लगन उनका मूलमंत्र था। धार्मिक आयोजनों में बढ़-चढ़कर भाग लेना, मंदिरों का जीर्णोद्धार कराना, सामाजिक संस्थाओं को आर्थिक और शारीरिक सहयोग, गरीब असहायों को दान करना, पशु पक्षियों एवं साधु सेवा उनका शौक रहा। प्रातःकाल पक्षियों को दाना डालना, बंदरों और कुत्तों को रोटी खिलाना तथा मछलियों को आटा डालना उनके नित्यकर्म में शामिल था। वो अपनी अत्यधिक व्यस्तता के बाद भी अपने इस कर्म पर जीवन पर्यंत अडिग रहे। वो छोटे बच्चों को पढ़ाना पसंद करते थे। उनकी योजना थी कि अगर उनके पास पर्याप्त रकम हो तो वे शिक्षण संस्थान की शुरूआत करेंगे। अपनी इसी प्रगतिशील और कल्याणकारी सोच के साथ उनकी दिनचर्या चला करती थी। समाज में शिक्षा के अभाव के दर्द को उन्होंने बेहद करीब से देखा खासकर बेटियों की शिक्षा के लिए वो हमेशा सजग रहते और लोगों को प्रेरित करते रहते थे। उनका सपना था कि समाज में शिक्षा के अभाव को दूर कर बेटे और बेटियों को समानता के साथ शिक्षा मिले ताकि नई पीढ़ी अपने जीवन को स्वाभिमान के साथ जी सके। वो अपने इस सपने का जिक्र अपने बेटे और आरके ग्रुप के चेयरमैन डाॅ. रामकिशोर अग्रवाल से किया करते थे। डाॅ. रामकिशोर अग्रवाल के कैरियर की शुरूआत 1972 में रसायन विज्ञान के प्रवक्ता के रूप में हुई। एक महान पिता के मेधावी पुत्र के रूप में उन्होंने पिता के सपनों को समझा, उसे आत्मसात किया। डाॅ. रामकिशोर अग्रवाल ने श्रेष्ठ माहौल एवं अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ युवा पीढ़ी को उच्च शिक्षा देने की ठानी। इस क्रम में 1997 में बतौर संस्थापक चेयरमैन बीएसए इंजीनियरिंग काॅलेज की स्थापना की। यह शिक्षा यात्रा 1998 में राजीव एकेडमी फाॅर टेक्नोलाॅजी एंड मैनेजमेंट, 1999 में राजीव एकेडमी फाॅर फार्मेसी, 2001 में केडी डेंटल काॅलेज एंड हाॅस्पीटल, 2004 में राजीव एकेडमी फाॅर टीचर एजूकेशन, सभी शिक्षण संस्थान मथुरा में, 2005 में जीएल बजाज इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलाॅजी एंड मैनेजमेंट, 2007 में जीएल बजाज इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च दोनों शिक्षण संस्थान ग्रेटर नोएडा, 2009 में जीएल बजाज ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशन, 2011 में राजीव इंटरनेशनल स्कूल, 2014 में केडी मेडिकल काॅलेज हाॅस्पीटल एंड रिसर्च सेंटर सभी शिक्षण संस्थान मथुरा के रूप में जारी है। इस ग्रुप के संस्थानों को लगभग 24 पुरस्कारों व सम्मानों से नवाजा जा चुका है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग 2018 में यह भारत के टाॅप इंजीनियरिंग काॅलेज में से एक है। राजीव इंटरनेशनल स्कूल में प्राइमरी शिक्षा दी जा रही है। अब मथुरा में केडी मेडिकल यूनिवर्सिटी और ग्रेटर नोएडा में जीएल बजाज यूनिवर्सिटी बनाने की तैयारी चल रही है। चमत्कारिक व्यक्तित्व के धनी डाॅ. रामकिशोर अग्रवाल को मथुरा में उच्च शिक्षा के जनक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अपने पिता हरिदास अग्रवाल जी के सपने को साकार करने के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में समाज को अपना बहुमूल्य योगदान प्रदान किया और बेहतर से बेहतर करने की कोशिश में निरंतर प्रयत्नशील है। स्वप्नदृष्टा हरिदास अग्रवाल जी का शिक्षा रूपी मानस बीज आज समृद्ध वटवृक्ष का रूप धारण कर चुका है।

कर्ज लेकर न चुकाने का भुगतना पड़ता है दुष्परिणाम

स्वर्गीय हरिदास अग्रवाल किसी से कर्ज लेने के बाद सूद सहित वापस करने की नसीहत भी अपने पुत्रों को दिया करते थे। उनका कहना था कि अगर हम इस जन्म में लिए कर्ज को अदा नहीं करते है तो फिर 84 लाख योनियों में हमें अलग-अलग रूपों में इस कर्ज की अदायगी करनी पड़ती है। इसमें बहुत कष्ट होता है और इसका दुष्परिणाम हमारी पीढ़ियों तक को भुगतना पड़ता है। पिता की इस नसीहत को डाॅ. रामकिशोर अग्रवाल ने आत्मसात कर लिया है और वर्तमान की विपरीत परिस्थितियों में ये बात प्रत्यक्ष रूप से दिखाई भी दे रही है।

Similar News