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मूसलाधार बरसात ने खिला दी नगर निगम और यमुना मिशन की बांछें

-यमुना से निकली सिल्ट यमुना में ही समाने लगी, सरकारी धन के दुरूपयोग से लोगों में आक्रोश

Update: 2020-07-09 04:27 GMT

तेज बरसात के बाद यमुना से निकली सिल्ट यमुना में ही बहकर जाने लगी है

अजय खंडेलवाल

मथुरा। मूसलाधार बरसात ने नगर निगम और यमुना मिशन की बांछें खिला दी है। अब यमुना से निकाली गई सिल्ट बरसात के पानी और यमुना के बढ़ते जलस्तर के चलते ही यमुना में समाने लगी है। इस बीच कार्य की गति जो तेज होनी चाहिए वो और धीमी हो गई है। ऐसे में सवालों का उठना लाजिमी है।

आखिर वो ही हुआ जिसका अंदेशा जताया जा रहा था। यमुना से निकली सिल्ट अभी यमुना में ही ढेरों के रूप में पड़ी है और तेज मूसलाधार बरसात आ गई। इसके चलते यमुना से निकाली सिल्ट यमुना में ही बहकर जाने लगी है। नगर निगम के इस कारनामे को लेकर पहले ही सवाल उठ रहे थे, इस दौरान ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने भी अपने निरीक्षण के दौरान इस कार्य को तेजी के साथ करने की हिदायत भी दी। लेकिन हो ठीक इसके उलट रहा है।




 


यमुना में लगे सिल्ट के ढेरों को उठाने के लिए जेसीबी और ट्रैक्टर तो लगे है लेकिन ये अपनी क्षमता के मुकाबले 20 फीसदी ही कार्य कर रहे है। इतना ही नहीं अब निगम एक और कार्य कर रहा है जिसका स्थानीय लोग पुरजोर विरोध कर रहे है। नगर निगम के कर्मचारी असकुंडा घाट से विश्राम घाट तक यमुना के किनारे ही मिट्टी और सिल्ट को दीवार से चिपका रहे है।

इसके चलते वहां कीड़े पनप रहे है, भूगर्भ जल प्रदूषित हो रहा है। इस बात का असकुंडा घाट स्थित नृसिंह मंदिर के सेवायत पंडित मनोज मिश्रा ने विरोध किया तो उनकी मान-मनौव्वल की जाने लगी।

लोगों का नगर निगम से सीधा सवाल है जब नालों से सिल्ट यमुना में सीधे गिर रही है तो फिर प्राथमिकता के आधार पर इन नालों को टेप कर इस सिल्ट को यमुना में जाने से रोकना चाहिए। इस कार्य की बजाय यमुना से सिल्ट निकालने में संसाधन और जनता के धन का अपव्यय किया जा रहा है। सवाल ये भी है कि इस सारे गोलमाल को देखते हुए भी जन नेता, नगर निगम के मेयर और आला अधिकारी चुप क्यों है।


पैरोकारों को भी जबाव देते नहीं बन रहा

अब तक यमुना मिशन और नगर निगम के इस कारनामे की पैरवी करने वाले भी बरसात के बाद खुद को असहज महसूस कर रहे है। यमुना के किनारे स्वदेश के संवाददाता से बातचीत में निगम के इस कार्य की पैरवी करने वाले मुकेश चतुर्वेदी कई सवालों पर निरूत्तर हो गए। बरसात में यमुना में ही बह रही सिल्ट, ट्रैक्टर ट्राॅली से सिल्ट उठने के काम में लेटलतीफी, क्षमता से चौथाई सिल्ट ट्राॅली में ले जाने के सवाल पर वो सकपका गए। संवाददाता ने पूछा कि बिना डाला लगे ट्राॅली से जो गंदगी जा रही है वो पुराने पुल के पास घटिया चढ़ने के दौरान यमुना में ही गिर रही है, इस ट्राॅली से गिर रही गदगी से जीआईसी तक पूरी सड़क नरक बन रही है, इससे राहगीर परेशान हो रहे है। इस पर चतुर्वेदी ने ट्राॅली कम भरने पर हादसे का डर होने की सफाई दी, डाला न लगाने की गलती भी स्वीकारी।  

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