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जब राजीव गांधी के सामने दिलीप चतुर्वेदी को एसएस आहलूवालिया ने चलती ट्रेन से दिया था धक्का

पुरानी यादों के झरोखे से

Update: 2020-02-17 02:19 GMT

विजय कुमार गुप्ता

मथुरा। बात उस समय की है जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री पद से हट चुके थे। वे एक जन सभा को संबोधित करने के लिये फ्रांटियर मेल द्वारा दिल्ली से भरतपुर जा रहे थे। मथुरा के पत्रकारों को इसकी भनक लग गई और पत्रकारों का दल भी उसी ट्रेन में सवार हो लिया।

पत्रकार सवाल पर सवाल पूछे जा रहे थे और भरतपुर स्टेशन पर ट्रेन धीमी होने लगी। राजीव गांधी के साथ तत्कालीन विधायक प्रदीप माथुर के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री एसएस आहलूवालिया व अन्य राष्ट्रीय नेता भी थे। जब प्लेटफार्म पर ट्रेन रैंग रही थी और पत्रकार राजीव गांधी से प्रश्न पर प्रश्न पूछे जा रहे थे। यह बात एसएस आहलूवालिया को नागवार गुजर रही थी। इसी मध्य दिलीप चतुर्वेदी जो वर्तमान में दैनिक हिंदुस्तान मथुरा के जिला प्रतिनिधि हैं तथा उस समय दैनिक आज में थे, की एसएस आहलूवालिया से नौंक-झौंक हो गयी। इसी दौरान आहलूवालिया बौखला उठे और उन्होंने दिलीप चतुर्वेदी को चलती ट्रेन से धक्का दे दिया। दिलीप लड़खड़ाते हुए प्लेटफार्म पर आ गए और जमीन पर गिरते-गिरते बाल-बाल बचे तथा उन्होंने अपने को संभाल लिया।

इस बात पर सभी पत्रकार एकदम क्रोधित होकर राजीव गांधी से आहलूवालिया द्वारा की गई इस नीचतापूर्ण हरकत की शिकायत करने लगे। राजीव गांधी को भी आहलूवालिया की यह बात बहुत नागवार गुजरी और न सिर्फ उन्होंने आहलूवालिया को उनके इस कृत्य के लिये डांटा बल्कि स्वयं भी हाथ जोड़ कर माफी मांगी।

चलती ट्रेन में एक और रोचक किस्सा हुआ। जब प्रदीप माथुर ने पत्रकार वार्ता के बाद मेरा परिचय राजीव गांधी से यह कहकर कराया कि ये विजय गुप्ता जी हैं, हमारे यहां के वरिष्ठ पत्रकार हैं। इस पर राजीव गांधी ने खड़े होकर अभिवादन करते हुए मुझसे सीट पर बैठने को कहा तब मैंने उनसे कहा कि पहले आप तशरीफ रखिये। राजीव गांधी बोले कि नहीं आप पहले बैठे। फिर मैंने पुनः आग्रह किया कि आपके सामने पहले मेरा बैठना ठीक नहीं, आप ही पहले बैठिये। तीन-चार बार पहले आप, पहले आप हुई और फिर पता नहीं राजीव गांधी को क्या सूझा कि उन्होंने मेरे दोनों कंधों को पकड़ा और पूरी ताकत लगाकर जबरदस्ती पहले मुझे सीट पर बैठाया और खुद बाद में बैठे।

ऐसी महानता थी राजीव गांधी में कि वे छोटे से छोटे व्यक्ति की भी इतनी कद्र करते थे। उनकी सौम्यता और सज्जनता तारीफेकाबिल थी।

भरतपुर तक की इस यात्रा में तत्कालीन विधायक प्रदीप माथुर से उनकी निकटता स्पष्ट प्रतीत हो रही थी। एक बार तो उन्होंने प्रदीप माथुर की बढ़ी हुई तौंद पर भी कटाक्ष किया और कहा कि प्रदीप तुम्हारी तौंद बहुत बढ़ रही है, इसे कम करो। प्रदीप माथुर झेंप गए और बोले कि ठीक है सर, अब इसे कम करूंगा।

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