जगद्गुरुओं के नाम पर होंगे राम मंदिर के चारों प्रवेश द्वारों के नाम: अलौकिक पुष्करणी सरोवर बनकर तैयार, तेजी से चल रहा राम मंदिर का निर्माण…

Update: 2025-06-09 12:02 GMT

अयोध्या। राम मंदिर के चारों प्रवेश द्वारों का नाम जगद्गुरुओं के नाम पर रखे जाएंगे। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की महत्वपूर्ण बैठक मणिराम छावनी में महंत नृत्य गोपाल दास की अध्यक्षता में संपन्न हुई, जिसमें मंदिर परिसर के चारों प्रवेश द्वारों को जगद्गुरुओं के नाम पर समर्पित करने का निर्णय लिया गया।

बिड़ला धर्मशाला के सामने, क्षीरेश्वर महादेव मंदिर के सामने, निर्माणाधीन द्वार तथा रामकोट मोहल्ले के उत्तरी द्वार को नाम देने पर सहमति बनी। इनमें से एक द्वार का निर्माण पूर्ण हो चुका है।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि नवंबर 2025 में मंदिर के शिखरों पर ध्वजारोहण किया जाएगा। सप्त मंडप का निर्माण पूर्ण हो चुका है, जहां निषादराज, शबरी, अहिल्या सहित ऋषियों की मूर्तियां स्थापित कर दी गई हैं। मुख्य मंदिर के प्रथम तल पर रेलिंग और लिफ्ट का कार्य पूरा होने पर दर्शन प्रारंभ होंगे।

70 एकड़ परिसर में चार किलोमीटर लंबी हाईटेक सुरक्षा युक्त बाउंड्री वॉल, ऑडिटोरियम और तीर्थ क्षेत्र कार्यालय का निर्माण किया जा रहा है। पंचवटी वाटिका का निर्माण प्राकृतिक स्वरूप में होगा, ताकि पशु-पक्षी विचरण कर सकें। सप्त ऋषि मंडप के बीच स्थित पुष्करणी सरोवर बनकर तैयार है।

दुर्लभ ग्रंथ संरक्षित किए जाएंगे : राम दरबार में दर्शन व्यवस्था के लिए सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के साथ मंथन जारी है। मुख्य मंदिर के द्वितीय तल पर प्रभु राम से संबंधित दुर्लभ ग्रंथ संग्रहित किए जाएंगे।

मंदिर निर्माण में रक्षा मंत्रालय, रेल मंत्रालय, आईआईटी और पुरातत्व विभाग जैसे संस्थानों का सहयोग मिल रहा है। जहां रामलला टेंट में विराजमान थे, वहां एएसआई टीम सर्वे कर रही है और 500 वर्षों के संघर्ष पर शोध भी होगा।

रामलला के पुराने मंदिर के संरक्षण की पहल शुरू

राम जन्मभूमि परिसर में विराजमान रामलला के पुराने अस्थायी मंदिर को अब ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित किया जाएगा। इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए भारत सरकार के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के विशेषज्ञों की टीम रविवार को अयोध्या पहुंची और श्रीराम जन्मभूमि परिसर का गहन निरीक्षण किया।

एएसआई की यह टीम उस पुराने मेक शिफ्ट स्ट्रक्चर की संरचना, सामग्री और ऐतिहासिक महत्व का गहराई से अध्ययन करेगी, जिसमें वर्षों तक रामलला विराजमान रहे। यह मंदिर न सिर्फ एक धार्मिक आस्था का केंद्र रहा है, बल्कि राम मंदिर आंदोलन की जीवित स्मृति भी है।

इसके संरक्षण की प्रक्रिया को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और एएसआई मिलकर आगे बढ़ा रहे हैं। भवन निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि ट्रस्ट ने फैसला लिया है कि यह प्राचीन अस्थायी मंदिर आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखा जाए। इसके लिए तकनीकी विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है ताकि मूल संरचना को क्षति पहुंचे बिना इसे संरक्षित किया जा सके।

ग्रंथों का घर बनेगा राम मंदिर का द्वितीय तल : इसके साथ ही एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के द्वितीय तल पर 'श्रीराम ग्रंथागार' की स्थापना की जाएगी, जिसमें राम कथा, रामायण और भारतीय संस्कृति से जुड़ी दुर्लभ पुस्तकें, पांडुलिपियां और शोधग्रंथ रखे जाएंगे। यह ग्रंथागार शोधकर्ताओं और श्रद्धालुओं दोनों के लिए खुला रहेगा। ट्रस्ट सूत्रों के अनुसार, ग्रंथागार न केवल धार्मिक ग्रंथों का संग्रह होगा, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों को श्रीराम के जीवन, आदर्शों और संस्कृति से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम भी बनेगा। 

Tags:    

Similar News