ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में सियासी संग्राम: राहुल गांधी का सरकार से सवाल 'भारत ने उस रात सरेंडर क्यों कर दिया?"
नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र के दौरान मंगलवार को ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले को लेकर लोकसभा में जबरदस्त बहस देखने को मिली। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए सवाल उठाया कि "22 अप्रैल की रात रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को फोन क्यों किया?" उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति, फैसलों और सीजफायर की टाइमिंग पर गंभीर संदेह जताया।
राहुल गांधी ने कहा कि, "पहलगाम में जो हुआ, वह खौफनाक था। पाकिस्तानी आतंकवादियों ने निर्दोष भारतीयों को बर्बरता से मारा। उस वक्त हम पूरी मजबूती से सरकार के साथ खड़े थे, लेकिन अब हमें जवाब चाहिए।" उन्होंने सवाल उठाया कि इंटेलिजेंस फेलियर कैसे हुआ, आतंकी कैसे पहुंचे और ऑपरेशन को बीच में रोककर अचानक सीजफायर क्यों घोषित किया गया?
"हमारे जवान टाइगर हैं, उन्हें खुली छूट दी जाए"
राहुल गांधी ने लोकसभा में कहा कि "शेर को पिंजरे में नहीं रखा जा सकता। हमारे सैनिक टाइगर हैं, उन्हें ऑपरेशन के लिए पूरी फ्रीडम मिलनी चाहिए।" उन्होंने कहा कि सेना को अपनी रणनीति तय करने और उसे अंजाम देने की स्वतंत्रता होनी चाहिए, जैसे 1971 के युद्ध के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जनरल मानेक शॉ को दी थी।
"सरकार ने पाकिस्तान को बताया-हम नहीं लड़ना चाहते"
नेता प्रतिपक्ष ने दावा किया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्वयं स्वीकार किया है कि ऑपरेशन सिंदूर 22 मिनट तक चला और फिर पाकिस्तान को यह कहकर फोन किया गया कि हमने "गैर-सैन्य ठिकानों पर हमला किया है और हम एस्केलेशन नहीं चाहते।" राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि रात 1:35 बजे सरकार ने DGMO को सीजफायर के आदेश दे दिए।
राहुल ने कटाक्ष करते हुए कहा, "उस रात भारत ने सरेंडर कर दिया। आपने अपनी पॉलिटिकल विल पाकिस्तान को बता दी कि आप लड़ना ही नहीं चाहते।" उन्होंने यह भी कहा कि दुश्मन को यह बताना कि आप आगे नहीं बढ़ेंगे, सैनिकों का मनोबल तोड़ने जैसा है।
राहुल गांधी के भाषण के मुख्य बिंदु
- "एक क्रूर हमला (पहलगाम), निर्दयी हमला जो स्पष्ट रूप से पाकिस्तानी सरकार द्वारा आयोजित और षडयंत्र किया गया था। युवा और वृद्ध लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई। हम सभी ने, इस सदन के प्रत्येक व्यक्ति ने, मिलकर, पाकिस्तान की निंदा की है।"
- "जिस क्षण #ऑपरेशनसिंदूर शुरू हुआ, बल्कि शुरू होने से पहले ही, विपक्ष ने, सभी दलों ने, यह प्रतिबद्धता जताई कि हम सेना और भारत की निर्वाचित सरकार के साथ चट्टान की तरह खड़े रहेंगे। हमने उनके कुछ नेताओं की ओर से कुछ व्यंग्यात्मक टिप्पणियाँ सुनीं। लेकिन हमने कुछ नहीं कहा। यह कुछ ऐसा था जिस पर भारत गठबंधन के सभी वरिष्ठ नेतृत्व सहमत थे। हमें बहुत गर्व है कि एक विपक्ष के रूप में, हम एकजुट रहे जैसा कि हमें होना चाहिए था।"
- "...दो शब्द हैं - 'राजनीतिक इच्छाशक्ति' और 'कार्रवाई की स्वतंत्रता'। यदि आप भारतीय सशस्त्र बलों का उपयोग करना चाहते हैं, तो आपके पास 100% राजनीतिक इच्छाशक्ति और संचालन की पूर्ण स्वतंत्रता होनी चाहिए। कल, राजनाथ सिंह ने 1971 और सिंदूर की तुलना की। मैं उन्हें याद दिलाना चाहूंगा कि 1971 में राजनीतिक इच्छाशक्ति थी। सातवां बेड़ा हिंद महासागर के रास्ते भारत की ओर आ रहा था। तत्कालीन प्रधानमंत्री ने कहा था कि हमें बांग्लादेश के साथ जो करना है, करना होगा, जहाँ भी आना हो, आओ... इंदिरा गांधी ने जनरल मानेकशॉ से कहा था कि 6 महीने, 1 साल, जितना भी समय आपको चाहिए, ले लीजिए क्योंकि आपको कार्रवाई और युद्धाभ्यास की स्वतंत्रता होनी चाहिए। 1 लाख पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया और एक नए देश का गठन हुआ।"
- "...अगर आपने मेरी बात सुनी होती, तो आप वो पाँच विमान नहीं खोते..." "लेफ्टिनेंट जनरल राहुल सिंह ने 11 मई को एक कार्यक्रम में कहा था कि जब डीजीएमओ स्तर की वार्ता चल रही थी, तो पाकिस्तान ने दरअसल कहा था कि हमें पता है कि फलां महत्वपूर्ण विमान तैयार है और कार्रवाई के लिए तैयार है। मैं आपसे अनुरोध करूँगा कि आप उसे वापस बुला लें। और उन्होंने ऐसा कहा है, तो यह बिल्कुल स्पष्ट है कि उन्हें चीन से युद्ध की जानकारी मिल रही थी..."