नए बिल पर विपक्ष का जोरदार हंगामा: अमित शाह का फिर नए बड़े क़ानून का ऐलान, जेल गए PM, CM, मंत्रियों की बस 31 दिन की मियाद,

Update: 2025-08-20 15:45 GMT

Amit Shah

नई दिल्ली। लोकसभा में बुधवार को उस विधेयक को पेश किया गया, जो आपराधिक मामले में 30 दिन तक जेल या हिरासत में रहने वाले प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को उनके पद से हटाने का प्रावधान करता है। इस बिल के पेश होने पर विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया और इसे लेकर गृह मंत्री अमित शाह और विपक्षी सांसदों के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। हंगामा इतना जबरदस्त रहा कि विपक्ष ने बिल की प्रीति फाड़ कर गृहमंत्री के मुँह पर फेंक डाला ।

गृह मंत्री अमित शाह ने इस पर कहा कि इस विधेयक का मकसद सार्वजनिक जीवन में नैतिकता के गिरते स्तर को ऊपर उठाना और राजनीति में शुचिता लाना है। उन्होंने विपक्ष के विरोध पर तंज कसते हुए कहा कि कुछ नेताओं ने उनके खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणियां कीं। शाह ने स्पष्ट किया, जब कांग्रेस ने मुझे फर्जी केस में फंसाया और गिरफ्तार कराया, तब मैंने गिरफ्तारी से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। बेल पर बाहर आने के बाद भी, जब तक मैं अदालत से पूरी तरह निर्दोष साबित नहीं हुआ, मैंने कोई संवैधानिक पद नहीं लिया था ।

गृह मंत्री ने लोकसभा में ये प्रस्ताव रखा कि 'संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025' को संसद की संयुक्त समिति को भेजा जाए। इस बिल के तहत कोई भी व्यक्ति जेल से प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री के रूप में शासन नहीं कर सकेगा। शाह ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने ऐसी स्थिति की कल्पना नहीं की थी कि भविष्य में कोई नेता गिरफ्तारी के बावजूद इस्तीफा न दे और जेल से सरकार चलाए।

बता दें कि इस विधेयक में प्रावधान है कि आरोपित नेता को गिरफ्तारी के 30 दिन के भीतर जमानत लेनी होगी। यदि जमानत नहीं मिलती, तो 31वें दिन संबंधित नेता को पद से हटा दिया जाएगा या वह स्वतः अयोग्य हो जाएगा। हालांकि, जमानत मिलने पर नेता अपने पद पर वापस लौट सकता है।

गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि एक ओर प्रधानमंत्री ने खुद को कानून के दायरे में लाने के लिए यह संशोधन पेश किया, वहीं कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष इसका विरोध कर रहा है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि 1970 के दशक में तत्कालीन सरकार ने संविधान संशोधन के जरिए प्रधानमंत्री को कानूनी कार्रवाई से छूट दी थी।

विपक्ष ने इस बिल को 'लोकतंत्र विरोधी' करार देते हुए इसका कड़ा विरोध किया। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि यह विधेयक राजनीतिक प्रतिशोध के लिए लाया गया है। हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही को कई बार स्थगित करना पड़ा।

शाह ने कहा कि अब देश की जनता को तय करना है कि क्या जेल से सरकार चलाना नैतिक रूप से उचित है। इस बिल पर चर्चा और संयुक्त समिति की समीक्षा के बाद इसके भविष्य पर निर्णय होगा।

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