नई दिल्ली। फेसबुक के सीईओ मार्क ज़करबर्ग ने भले ही कहा हो कि वो 2019 तक फेसबुक के सारे सिस्टम और खामियां सुधार लेंगे लेकिन फिलहाल ऐसा होता नहीं दिखा रहा। फेसबुक का दुरुपयोग रोकने और यूजर डेटा सम्बंधी समस्याओं पर मार्क काफी समय दे रहे हैं। इसके बावजूद कंपनी प्राइवेसी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट ने उनके इन दावों की पोल खोलकर रख दी है।
जर्मनी के शहर लाइपजिग में हुई 'कैओस कम्प्यूटर कांग्रेस' में इस रिसर्च को पेश किया गया। इस रिपोर्ट के अनुसार आपने मोबाइल पर फेसबुक ऐप इंस्टॉल नहीं किया है या आपका फेसबुक अकाउंट नहीं है तब भी फेसबुक कंपनी दूसरे ऐप की मदद से आपके डेटा तक पहुंच सकती है। ड्यूलिंगो, ट्रिपएडवाइजर, इंडीड और स्काई स्कैनर जैसे नामी एंड्रॉइड ऐप यूजर का डेटा फेसबुक के साथ शेयर कर रहे हैं। 34 में से 23 ऐसे एंड्रॉइड ऐप हैं जो फेसबुक के साथ डेटा शेयर करते हैं। ऐप डेवलपर ऐप डेवलपिंग टूल 'फेसबुक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट किट' के जरिए यूजर का डेटा फेसबुक तक पहुंचा रहे हैं। यूजर जितनी बार एप का इस्तेमाल करता है उतनी बार उसका डेटा फेसबुक तक पहुंचता है।
ये ऐप आपके मोबाइल फोन में सेव किए गए नंबर, फोटो-वीडियो, ई-मेल्स और सर्च साइट्स की पूरी जानकारी फेस बुक तक पहुंचाते हैं। इससे फेसबुक ये तय करता है कि यूजर को किस वक्त कौन सा विज्ञापन दिखाया जाए।
इस पर फेसबुक ने सफाई देते हुए कहा कि नॉन फेसबुक यूजर्स कुकीज को कंट्रोल कर सकते हैं और यह निश्चित कर सकते हैं कि उनके डाटा के अनुसार उन्हें विज्ञापन दिखाए जाए या नहीं।