ChatGPT का 2025 वार्षिक रीकैप: भारत में AI उपयोग का बदलता चेहरा
ChatGPT 2025 रीकैप से सामने आए भारत में AI उपयोग के नए संकेत, गवर्नेंस शहरी विकास और नीति विमर्श में बढ़ती AI सहभागिता।
2025 खत्म होते-होते आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिर्फ तकनीकी टूल नहीं रह गया है यह सोच योजना और संवाद का हिस्सा बनने लगा है । इसी बदलाव की झलक OpenAI के नए फीचर ChatGPT के साथ आपका वर्ष 2025 में साफ दिखाई देती है. यह फीचर पूरे साल के दौरान किसी यूज़र के AI उपयोग का सार बताता है और बताता है कि उसका उपयोग पैटर्न वैश्विक स्तर पर कहां खड़ा है लेकिन इसके भीतर छिपे संकेत कहीं ज्यादा गहरे हैं खासतौर पर भारत जैसे देश के संदर्भ में।
भारत: बड़े यूज़र बेस, लेकिन गवर्नेंस उपयोग शुरुआती दौर में
भारत आज दुनिया के सबसे बड़े ChatGPT उपयोगकर्ता समूहों में शामिल है अनुमान के मुताबिक वैश्विक यूज़र्स में भारत की हिस्सेदारी 12 से 15 प्रतिशत के बीच है. इसका मतलब है कि देश में सक्रिय AI उपयोगकर्ताओं की संख्या करीब 3.5 से 4.5 करोड़ हो सकती है। इनमें से केवल शीर्ष 1 प्रतिशत यूज़र ही ऐसे हैं जिनका AI उपयोग निरंतरता गहराई और रणनीतिक सोच के स्तर पर अलग दिखाई देता है, इस वर्ग के भीतर भी गवर्नेंस नीति और शहरी नियोजन से जुड़ा उपयोग अभी बेहद सीमित है।
छोटे सवालों से आगे बढ़ चुका है AI का इस्तेमाल
डेटा-आधारित अध्ययन बताता है कि AI का उपयोग अब केवल त्वरित जानकारी या सामान्य सवालों तक सीमित नहीं है । कुछ यूज़र ऐसे भी हैं जो महीनों तक लगातार गहराई से और स्ट्रक्चर्ड तरीके से AI का उपयोग कर रहे हैं यह उपयोग खासतौर पर नीति-शहरी विकास योजना, पर्यावरण और सार्वजनिक हित से जुड़े विषयों में दिख रहा है. ऐसे यूज़र सवाल नहीं पूछते, बल्कि विमर्श बनाते हैं।
‘लॉन्ग-टेल’ पैटर्न में दिखती है गंभीर सहभागिता
रीकैप के आंकड़े एक दिलचस्प पैटर्न की ओर इशारा करते हैं. कुल यूज़र्स में ऐसे विचारशील उपयोगकर्ता बहुत कम हैं लेकिन उनका जुड़ाव कहीं ज्यादा गहरा है। यह वही ‘लॉन्ग-टेल’ डिजिटल पैटर्न है जो बड़े प्लेटफॉर्म्स पर देखने को मिलता है.जहां बहुसंख्यक लोग सीमित उपयोग करते हैं और कुछ ही लोग गहन सहभागिता दिखाते हैंAI के मामले में भी यही हो रहा है।
भोपाल जैसा शहर, AI के नए प्रयोग की मिसाल
इस अध्ययन में भोपाल को एक राजधानी-आधारित उदाहरण के तौर पर देखा गया है। एक ऐसा शहर, जहां विरासत. पर्यावरण और भविष्य की जरूरतों के बीच संतुलन बनाना रोज़ की चुनौती है। रीकैप से जुड़े संकेत बताते हैं कि ऐसे शहरों में AI धीरे-धीरे सोच योजना और संवाद का सहायक उपकरण बन रहा है. यह केवल तकनीकी मदद नहीं, बल्कि निर्णय-प्रक्रिया को समझने का जरिया भी बनता जा रहा है । यह स्टडी CREDAI के अध्यक्ष और ‘कमाल का भोपाल’ नागरिक अभियान के फाउंडर मनोज मीक के AI प्लेटफॉर्म-जनरेटेड डेटा और सार्वजनिक संदर्भों की व्याख्या पर आधारित है AI डेटा के अनुसार, मनोज मीक वैश्विक स्तर पर ChatGPT के शीर्ष 1 प्रतिशत यूज़र्स में शामिल हैं और 3.6 प्रतिशत स्ट्रेटेजिक यूज़र्स की श्रेणी में आते हैं.लेकिन वे इसे व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि नागरिक जिम्मेदारी के तौर पर देखते हैं जहां AI सार्वजनिक संवाद को बेहतर बनाने का माध्यम है।