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अब बारी 125 करोड़ लोगों की...

अपनी बात : दिनेश राव

Update: 2019-03-15 11:46 GMT

कहते हैं कि दुश्मन का दोस्त दुश्मन ही होता है। उससे सहृदयता की उमीद कतई नहीं की जा सकती है। वह कब पीठ पर खंजर घोंप दें, भरोसा नहीं। कुछ ऐसा ही हुआ आतंकी अजहर मसूद को लेकर। उसे वैश्विक आतंकी घोषित कराने को लेकर भारत के प्रयासों को जबरदस्त धक्का लगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन ने एक बार फिर से अपने वीटो का प्रयोग करते हुए अजहर मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित होने से बचा लिया। हालांकि चीन से यही उ मीद थी, लेकिन पुलवामा हमले के वक्त जिस तरह से चीन ने इस घटना की निंदा की थी, उससे ऐसा लग रहा था कि इस बार चीन ऐसा नहीं करेगा लेकिन वक्त आने पर उसने एक बार फिर से भारत की पीठ पर खंजर भोंकने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

चीन ने तो अपनी औकात दिखा दी, लेकिन अब बारी उन 125 करोड़ लोगों की है जिनकी बांहें पाकिस्तान के बाद दोगले चीन से बदला लेने के लिए फडफ़ड़ा रही हैं? सोशल मीडिया पर जो लोग चीन के खिलाफ तरह तरह की प्रतिक्रिया देकर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं, अब उनकी बारी आ गई है कि वह सोशल मीडिया से बाहर निकलकर सच्चा देशभक्त होने का अपना परिचय दें। इसके लिए न तो किसी हथियार की जरुरत है और न ही बालाकोट की तरह किसी प्रकार की सर्जिकल स्ट्राइक की। चीन के दोगलेपन का जवाब उसकी रीढ़ की हड्डी समझे जाने वाले व्यापार को खत्म करके देना होगा। चीन के प्राण उसके व्यापार में ही बसते हैं। इसे खत्म करने का एक ही तरीका है, चीनी वस्तुओं का बहिष्कार। भारत में आने वाली हर चीनी वस्तु को यदि हम खरीदने से इंकार कर दे, तो चीन यहीं पर ही खत्म हो जाएगा। उसकी हेकड़ी खत्म हो जाएगी। केंद्र सरकार को चाहिए की चीन से पूरी तरह से आयात बंद कर दे। चीन से भारत में लगभग 60 अरब डॉलर का आयात होता है, अगर इसे बंद कर दिया जाए तो आर्थिक रूप से चीन पर जो मार पड़ेगी, वह किसी सर्जिकल स्ट्राइक से कम नहीं होगी।

दूसरी बात यह है कि अजहर मसूद को लेकर भारत को अब दूसरी रणनीति पर काम करना होगा। यह तय है कि जब तक चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य रहेगा तब तक वह भारत के हर मामले में टांग अड़ाता रहेगा। यह पहला अवसर नहीं है जब चीन के कारण अजहर मसूद को भारत वैश्विक आतंकी घोषित नहीं करवा पाया। इससे पहले तीन दफा इसी चीन के कारण भारत को सुरक्षा परिषद में मात खाना पड़ी। भारत को चाहिए कि वह अजहर मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित कराने के बजाय इस बात पर विचार करें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद चीन को वीटो पावर देने पर दोबारा विचार करे। पाकिस्तान पर शिकंजा कस सके, इस रणनीति पर विचार हो ताकि मजबूर होकर पाकिस्तान को अजहर मसूद पर नकेल कसनी पड़े। 

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