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आरटीआई एक्ट : पवित्र अस्त्र के दुरुपयोग की इजाजत नहीं दी जा सकती

Update: 2018-10-21 11:57 GMT

जयपुर/स्वदेश वेब डेस्क। राजस्थान सूचना आयोग ने भिन्न-भिन्न आवेदनों के जरिए एक ही सूचना बार-बार मांगने को सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई एक्ट) का दुरुपयोग माना है। आयोग ने आठ अपीलें एक साथ खारिज करते हुए अपीलकर्ताओं को चेतावनी दी कि वह आरटीआई एक्ट के दुरुपयोग की प्रवृत्ति से बचें।

राजस्थान के सूचना आयुक्त आशुतोष शर्मा ने अपने फैसले में कहा कि संसद ने आरटीआई के रूप में आम नागरिक के हाथ में एक पवित्र अस्त्र दिया है। इससे शासन-प्रशासन में पारदर्शिता व जवाबदेही की भावना बढ़ी है, परन्तु शासन-प्रशासन के कामकाज को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने के लिए ऐसे पवित्र अस्त्र के दुरुपयोग की इजाजत नहीं दी जा सकती। ऐसा कृत्य सूचना का अधिकार अधिनियम के दुरुपयोग की श्रेणी में आता है। सरकारी कार्यालय में कामकाज प्रभावित होने से अंततः आम जनता ही पीड़ित होती है।

आवेदक एक, लगा दिए 1502 आरटीआई आवेदन, अधिकारी दबाव में

दरअसल, गोपीराम अग्रवाल ने स्वायत्त शासन निदेशालय एवं मुख्य नगर नियोजक के परिपत्रों की पालना के बारे में बांसवाड़ा नगर परिषद से सूचनाएं मांगी थीं। नगर परिषद की ओर से आयोग के समक्ष कहा गया कि अग्रवाल ने परिषद में 1502 आरटीआई आवेदन दाखिल कर रखे हैं। इससे अधिकारी दबाव में हैं और नगर परिषद का सामान्य कामकाज प्रभावित हो रहा है। अपीलकर्ता सिर्फ तारीख बदल कर थोड़े-थोड़े दिन के अंतराल में हूबहू आवेदन पेश करता है, फिर भी उसको सूचनाएं दी जा रही हैं लेकिन आवेदक को आरटीआई एक्ट के दुरुपयोग से रोका जाए।

आयोग ने कहा- समान सूचना मांगना खारिज करने योग्य

सूचना आयुक्त शर्मा ने गत दिनों गोपीराम अग्रवाल की 8 द्वितीय अपीलें खारिज करते हुए अपने फैसले में कहा कि पूर्व में दाखिल सूचना आवेदन की हूबहू प्रति में सिर्फ तारीख का बदल कर समान सूचना के लिए एक के बाद एक, आठ सूचना आवेदन दाखिल करना न केवल अनुचित बल्कि आपत्तिजनक ही कहा जा सकता है। एक ही सूचना के लिए बार-बार आवेदन लगाने पर उस सूचना को तलाश करने, दस्तावेजों की गणना कर प्रतिलिपि शुल्क गणना करने आदि पूरी प्रक्रिया ही अनावश्यक रूप से लोक प्राधिकरण के साधन-संसाधनों और रोजमर्रा के कार्यों को प्रभावित करती है। मेरे विचार से आरटीआई एक्ट की प्रस्तावना एवं उद्देश्य के आलोक में शासन-प्रशासन के दक्ष संचालन को ध्यान में रखते हुए एक ही सूचना को बार-बार दिया जाना आरटीआई एक्ट की धारा-79 के तहत भी अपेक्षित नहीं है और खारिज करने योग्य हैं।  

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