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शिमला सीट पर भाजपा लगाएगी हैट्रिक!

Update: 2019-03-29 06:16 GMT

शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस सीट के अंतर्गत शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों की 17 सीटें आती हैं। यह संसदीय क्षेत्र कांग्रेस का परम्परागत गढ़ रहा है। इस सीट पर लगातार छह बार जीत का रिकॉर्ड बनाने वाली कांग्रेस को पिछले एक दशक से जीत नसीब नहीं हुई है। कांग्रेस जहां नौ बार इस सीट पर विजय रही, वहीं पिछले दो बार से भाजपा का कब्ज़ा है। भाजपा के वीरेंद्र कश्यप मौजूदा सांसद हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में वीरेंद्र कश्यप ने कांग्रेस के मोहन लाल ब्राक्टा को करीब 84 हजार वोटों से हराकर लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की थी। अब इस सीट पर भाजपा की कोशिश जीत की हैट्रिक लगाने की है।

खास बात यह है कि भाजपा ने मौजूदा सांसद वीरेंद्र कश्यप की जगह सुरेश कश्यप को उम्मीदवार बनाया है। सुरेश इसी संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले सिरमौर जिला के पच्छाद से विधायक हैं। वह पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। हालांकि कांग्रेस ने अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। पार्टी ने पूर्व सांसद धनीराम शांडिल को उम्मीदवार बनाने के संकेत दिए हैं। धनीराम वर्ष 1999 और 2003 में शिमला सीट से सांसद रह चुके हैं। वर्ष 1999 में उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम की हिमाचल विकास पार्टी से चुनाव लड़ा था। वर्ष 2004 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी।

रोचक पहलू यह है कि शिमला प्रदेश का एकमात्र ऐसा संसदीय क्षेत्र है, जहां से कांग्रेस लगातार छह बार विजय हुई है। यहां से कांग्रेस के कृष्ण दत्त सुल्तानपुरी ने वर्ष 1980 से लेकर 1998 तक लगातार छह बार जीत दर्ज की थी। यदि तीन अवसरों को छोड़ दिया जाए तो शिमला संसदीय क्षेत्र कांग्रेस का अभेध किला रहा है। वर्ष 1967 और 1971 में जहां कांग्रेस के प्रताप सिंह विजयी रहे, वहीं वर्ष 1977 में गैर-कांग्रेसी लहर के चलते भारतीय लोकदल के बालक राम ने शिमला सीट पर जीत दर्ज की थी।  

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