उदयपुर में पुरातत्व संपदा पर मंडरा रहा खतरा: लापरवाह प्रशासनिक अधिकारियों के संरक्षण में पनप रहा पत्थर के अवैध उत्खनन का काला कारोबार

Update: 2025-06-30 07:31 GMT

अमित शुक्‍ला, गंजबासौदा: क्षेत्र के उदयपुर में एक हजार वर्ष पुरानी पुरातत्व संपदा पर अब पत्थर के काले कारोबार के कारण खतरा मंडराने लगा है और अगर ऐसा ही चलता रहा तो हो सकता है आने वाले समय में उदयपुर की यह विरासत पत्थर के अवैध उत्खनन के कारोबार की भेंट चढ़ जाए।

क्योंकि आरोप यह लग रहे हैं कि यह पूरा कारोबार प्रशासनिक अधिकारियों के संरक्षण में ही पनपता है, कहने को तो इस क्षेत्र में प्रमुख रूप से वन विभाग, पुरातत्व विभाग, खनिज विभाग, राजस्व विभाग के अलावा ग्राम पंचायत भी है लेकिन फिर भी यह काला कारोबार अजगर की तरह संपूर्ण क्षेत्र में पसरा हुआ है।

बात करें पुरातत्व संपदा की तो यहां सात स्थान पुरातत्व विभाग के अधीन है जिसमें दो केंद्रीय पुरातत्व विभाग व 5 राज्य पुरातत्व विभाग के अधीन है और हद की बात यह है कि पुरातत्व संपदा रावण टोल व 12 खंभी के समीप ही धड़ल्ले से पत्थर का अवैध उत्खनन व अवैध पत्थर स्टॉक खुले आम चल रहे हैं।

कहने को तो पुरातत्व संपदा के 100 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का कोई भी निर्माण प्रतिबंधित है और पुरातत्व विभाग ने देखने के लिए यहां प्रतिबंध के बोर्ड भी लगाए हैं लेकिन दूर की तो छोड़िए नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर के समीप निर्माण चल रहे हैं और यह कहने में हमें कोई संकोच नहीं होगा कि जिन पर यह निर्माण रोकने की जिम्मेदारी है वह उदयपुर की ग्राम पंचायत ही यह निर्माण करवा रही है वर्तमान समय में ही अनेक मकान यहां निर्माणाधीन हैं जिनकी अनुमति व स्वीकृति स्वयं पंचायत ने ही दी है।

लेकिन इस ओर किसी का कोई ध्यान नहीं है न ही उदयपुर के पत्थर के अवैध कारोबार पर कोई कार्यवाही होती है। बस देखने दिखाने के लिए कभी कभार प्रशासनिक अधिकारी द्वारा छुट पुट कार्यवाही होती जरूर है लेकिन फिर कुछ दिन बाद यह काला कारोबार पुनः सुचारू रूप से प्रारंभ हो जाता है।

एन जी टी की कार्यवाही का भी कोई असर नहीं, खुले आम चल रहा कारोबार 

विगत वर्ष एन जी टी ने भी पूरे मामले में संज्ञान लिया था उस समय प्रशासनिक अधिकारियों ने ताबड़तोड़ कार्यवाही भी की थी और अवैध पत्थर के उत्खनन को लगभग बंद ही करवा दिया था साथ पत्थर के वैध व अवैध पत्थर के स्टॉकों की भी सघन जांच हुई थी जिसका प्रभाव यह हुआ था कि यह काला कारोबार कुछ समय के लिए बंद ही हो गया था लेकिन जैसे ही मामला शांत हुआ यह पूरा कारोबार धड़ल्ले से पुनः प्रारंभ हो गया लापरवाह प्रशासनिक अधिकारियों पर साठगांठ के आरोप इसलिए लगते हैं कि यहीं वन विभाग ने चौकी भी बना रखी है लेकिन प्रतिदिन दर्जनों पत्थर से भरे बड़े बड़े ट्रक अवैध उत्खनन कर पत्थर का अवैध परिवहन करते हुए खुले आम पत्थर के अवैध स्टॉक पर पहुंचने हैं लेकिन इन्हें न तो कोई टोकता है मीडिया की बात जब इस क्षेत्र के वन विभाग के प्रभारी डिप्टी रेंजर महेंद्र दांगी से हुई तो उन्होंने कहा कि वन विभाग में एक भी वैध खदान है ही नहीं और अवैध उत्खनन को रोकने की जिम्मेदारी भी इन्हीं की है।लेकिन फिर भी करीब दो सैकड़ा से अधिक अवैध खदान और करीब एक दर्जन अवैध पत्थर के स्टॉक अगर उदयपुर क्षेत्र में ही संचालित हैं तो जिम्मेदार कौन है और अगर फिर सांठगांठ के आरोप लगें तो फिर इसमें गलत क्या है।

धमाकों से दहलता है क्षेत्र, फिर भी प्रशासन मौन –

एक तरफ केंद्र व राज्य सरकार नदी, पहाड़, जंगल बचाने के लिए जन जागृति सहित दर्जनों योजना चला रही है तो दूसरी तरफ खुले आम सबके सामने पहाड़ों को खोदा जा रहा है अवैध रूप से वन भूमि में बारूद से ब्लास्ट किए जा रहे हैं जिसके कारण पूरा क्षेत्र धमाकों से दहल उठता है लेकिन प्रशासनिक अधिकारी से लेकर आम जन भी चुप हैं तो फिर जंगल और पहाड़ों को बचाने के लिए जिम्मेदार कौन है डिप्टी रेंजर महेंद्र दांगी ने कहा कि अवैध परिवहन को रोकने तीन स्थानों पर तीन कैमरे लगे हैं लेकिन जब उनसे पूछा कि क्या कैमरे चैक किए तो उन्होंने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि यह काम ऊपर के अधिकारियों का है। ऐसा ही जवाब ग्राम पंचायत के सचिव ने दिया की मंदिर के आसपास निर्माण हो रहे मकान की आप क्यों स्वीकृति दे रहे उन्हें रोकते क्यों नहीं तो सचिव महोदय बोले कि रोकने की जवाबदेही प्रशासन की है। अब आप स्थानीय प्रशासन का रवैया समझ चुके होंगे होने को तो यहां पुलिस चौकी भी है परंतु वह केवल तमाशबीन ही है। ओर पूरा अवैध कारोबार खुले आम धड़ल्ले से चल रहा है।

इनका कहना है

"पूरे मामले में आपके द्वारा जानकारी दी गई है में दिख बाता हूं क्या मामला है।" अंशुल गुप्ता, कलेक्टर विदिशा

"आपके द्वारा अवैध उत्खनन व परिवहन के विषय में जानकारी दी हमें भी पत्थर के अवैध उत्खनन की पूर्ण जानकारी है हम शीघ्र ही कार्यवाही करेंगे।"  - हेमंत यादव, डीएफओ, विदिशा

"आपके द्वारा अवैध उत्खनन व पुरातत्व संपदा के नुकसान की बात बताई गई है पूरे मामले में संबंधित विभागों से कार्यवाही की लिए बात करूंगा।" - विजय राय, एसडीएम,  गंजबासौदा

"हम समय समय पर कार्यवाही के लिए कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, एसडीएम को पत्र लिखते हैं कार्यवाही नहीं होती तो हम रिमांडर भी भेजते हैं हम कह ही सकते में बुलडोजर लेकर स्वयं कार्यवाही करने तो नहीं जा सकते अगर कार्यवाही नहीं हो रही है तो आप उन्हीं से पूछिए।" - संदीप महतो, प्रभारी केंद्रीय पुरातत्व विभाग, विदिशा

"अवैध उत्खनन को रोकने के लिए 3 जगह 3 कैमरे लगे हुए हैं आप को जो भी पूछना है आप रेंजर साहब से पूछो वो ही बताएंगे।"  - महेंद्र दांगी, डिप्टी रेंजर, उदयपुर क्षेत्र

"हम शासन के निर्देशों के आधार पर ही निर्माण करवा रहे हैं और अवैध निर्माण को रोकने की जवाबदारी मेरी नहीं है। वह जवाबदारी शासन की है।" - ओम प्रकाश सेन, सचिव, ग्राम पंचायत उदयपुर 

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