MP News:: क्या होता है GI Tag? ग्वालियर, छतरपुर, बैतूल और खजुराहो की कला को टैग मिलते ही शिल्पकारों में खुशी की लहर
GI Tag: मध्य प्रदेश की शिल्प कालाओं को भारत सरकार की तरफ से जीआई टैग मिला है। इसके बाद से शिल्पकला से जुड़े कलाकारों में खुशी की लहर है। बैतूल की पारंपरिक भरेवा धातु शिल्पकला, छतरपुर की फर्नीचर कला,ग्वालियर का पत्थर शिल्प , खजुराहों की स्टोन आर्ट शामिल है।
भोपालः मध्य प्रदेश में सदियों पुरानी शिल्प कला को बड़ा गौरव मिला है। भारत सरकार की तरफ से इन शिल्पकलाओं को जीआई टैग दिया गया है। इसमें खजुराहो की स्टोन क्राफ्ट, छतरपुर का फर्नीचर , बैतूल का भेरवा कला मेटल क्रॉफ्ट, ग्वालियर का पत्थर शिल्प और पेपर मैशे क्रॉफ्ट शामिल हैं। इन शिल्प कलाओं को जीआई टैग मिलने के बाद से शिल्पाकरों में खुशी की लहर दौड़ गई है। जानिए आखिर जीआई टैग क्या है जिसने शिल्पकारों को इतनी खुशी दी है।
क्या होता है जीआई टैग?
दरअसल, जीआई टैग भारत सरकार की तरफ से मिलने वाला एक तरह का सर्टिफिकेट होता है। यह टैग एक खास तरह के भौगोलिग क्षेत्र से जुड़े उत्पाद को मिलता है जो उसकी पहचान बन जाता है। जैसे दार्जलिंग की चाय या फिर बनारस की साड़ी। इस टैग के मिलने का मतलब होता है कि यह प्रोडक्ट उसी इलाके में खास तरीके से बन सकता है। टैग मिलने से उस क्षेत्र की शिल्पकला की मौलिकता प्रमाणित होती है।
क्या होते हैं टैग के फायदे
इस टैग के मिलने के बाद से नकली माल पर रोक लगती है।
इस शिल्प कला से जुड़े कलाकारों और कारीगरों को अब अपने काम को दुनिया के सामने रखने के नए अवसर मिलेंगे।
जीआई टैग मिलने के बाद यह भी संभव होगा कि देश के प्रधानमंत्री, राजदूत और अन्य उच्च अधिकारी इंटरनेशनल लेवल पर दूसरे देशों को गिफ्ट के तौर पर भेंट करें।
टैग मिलने के बाद अब कोई बाहर का व्यक्ति इन नामों का गलत इस्तेमाल नहीं कर सकेगा।
एमएसएमई मंत्री ने सीएम का जताया आभार
जीआई टैग मिलने के बाद एमएसएमई मंत्री ने इस उपलब्धि के लिए सीएम मोहन यादव का आभार जताया है। इसके साथ ही पूरे विभाग को बधाई दी है। वहीं, जीआई मैन ऑफ इंडिया कहे जाने वाले पद्म श्री डॉ रजनीकांत ने इस एमपी की कला-संस्कृति के लिए ऐतिहासिक पल बताया।