MP Promotion Policy: अधिकारियों - कर्मचारियों के प्रमोशन का रास्ता खुला, जानिए क्या हैं नए नियम

Update: 2025-06-17 10:42 GMT

MP Promotion Policy

मध्यप्रदेश। 9 साल से मध्यप्रदेश के कर्मचारियों और अधिकारियों के प्रमोशन का मामला अटका हुआ था। अब सरकार के निर्णय के बाद अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रमोशन का रास्ता तो खुला ही है साथ ही साथ नई भर्ती भी सुनिश्चित हो गई है।

दरअसल, साल 2002 में मध्यप्रदेश सरकार ने आरक्षण के नियम बनाए थे। इसके तहत प्रमोशन में भी आरक्षण का प्रावधान किया गया था। सरकार के इस फैसले से अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी और अधिकारी खफा हो गए थे। मामला कोर्ट तक पहुंच गया। अदालत में तर्क दिया गया कि, आरक्षण का लाभ केवल एक बार ही मिलना चाहिए।

मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने अप्रैल 2016 में प्रमोशन के इन नियमों को खारिज कर दिया। इसके बाद सरकार हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची। सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए। इसके बाद से मध्यप्रदेश में प्रमोशन अटके हुए हैं।

डॉ. मोहन यादव सरकार का दावा है कि, नए नियमों से सभी वर्ग संतुष्ट होंगे। प्रमोशन के इन नियमों को कैबिनेट के एजेंडे में शामिल करने को लेकर भी गहन मंथन हुआ। पिछली बैठक में प्रमोशन को लेकर प्रेजेंटेशन भी दिया गया था।

ये हैं प्रमोशन के नए नियम :

- दो तरह से लिस्ट तैयार की जाएगी। इसमें पहली लिस्ट में फर्स्ट क्लास के अधिकारी शामिल होंगे। इनका प्रमोशन सीनियरटी और मैरिट के आधार पर रहेगा। दूसरी लिस्ट में क्लास - 2 अधिकारी - कर्मचारी होंगे। इनका प्रमोशन सीनियरटी के आधार पर होगा।

- प्रमोशन के समय अधिकारी - कमर्चारी की ACR रिपोर्ट को देखा जाएगा। दो साल में कम से कम एक बार रिपोर्ट आउटस्टैंडिंग होनी चाहिए।

- 7 साल में 4 रिपोर्ट A + होनी चाहिए। जिसकी एसीआर रिपोर्ट नहीं बनी होगी उसे प्रमोशन नहीं मिलेगा।

- सितंबर से नवंबर तक प्रमोशन होंगे। इसके लिए डीपीसी की बैठक होगी। 31 दिसंबर की स्थिति के आधार पर यह तय होगा कि, कौन योग्य है। इसके बाद 1 जनवरी से पद भरने की प्रक्रिया शुरू होगी।

- रिटायर हुए कमर्चारियों पर यह नियम लागू नहीं होगा। नोटिफिकेशन जारी होने की तारीख से यह नियम लागू होंगे।

- पहले आरक्षित वर्ग के पद को भरा जाएगा। इसके लिए एससी - एसटी वर्ग के लिए क्रमशः 16 और 20 प्रतिशत का फॉर्मूला लगेगा। बाकी पद अनारक्षित वर्ग के लिए हैं। यह भी बताया गया है कि, अगर आरक्षित वर्ग के लिए कोई पात्र उम्मीदवार नहीं मिलता तो वह पद खाली रखा जाएगा।

- विभागीय पदोन्नति समिति के बैठक से पूर्व केवल कारण बताओ सूचना पत्र के आधार पर बंद लिफाफा की कार्यवाही नहीं की जायेगी, जिससे अधिक लोक सेवकों को पदोन्नति के अवसर प्राप्त होंगे। कुल मिलाकर पदोन्नति के पद जिस दिन उपलब्ध हो उसी दिन उपयुक्त योग्य एवं आरक्षित वर्गों के प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखकर भरे जा सके। इस तरह से लगभग 2 लाख नए पद निर्मित होंगे। इससे प्रशासन में सुधार एवं कार्यक्षमता बढ़ेगी।

- चतुर्थ श्रेणी के लिये अंक व्यवस्था नहीं होगी, केवल पदोन्नति के लिए उपयुक्त होने पर ही पदोन्नति प्राप्त हो सकेगी। अर्हकारी सेवा के लिए किसी वर्ष में की गई आंशिक सेवा को भी पूर्ण वर्ष की सेवा माना जायेगा, यदि वर्ष के एक भाग की सेवा भी की गई है तो उसे पूर्ण वर्ष की सेवा माना जाएगा। यदि किसी वर्ष में 6 माह का ही गोपनीय प्रतिवेदन उपलब्ध है तो उसे पूर्ण वर्ष के लिये मान्य किया जा सकेगा। यदि गोपनीय प्रतिवेदन उपलब्ध नहीं होने के कारण किसी की पदोन्नति रुकती है तो उसे पदोन्नति प्राप्त होने पर पूरी वरिष्ठता दी जायेगी। अप्रत्याशित रिक्तियों को चयन सूची/प्रतीक्षा सूची से भरे जाने का स्पष्ट प्रावधान किया गया है।

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