पानीपत में चुनावी उलटफेर: EVM वोटिंग पर SC के आदेश से हुई दोबारा वोटिंग, बदल गया चुनाव नतीजा

Update: 2025-08-14 08:52 GMT

पानीपत में चुनावी उलटफेर

पानीपत: करीब दो साल दस महीने पहले हुए पानीपत के सरपंच चुनाव में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। तीन जजों की खंडपीठ ने ईवीएम की दोबारा गिनती कराई, जिसमें हार चुका प्रत्याशी 51 वोटों से विजयी घोषित हुआ। इससे पहले पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने दोबारा गिनती से इनकार कर दिया था, जिसके खिलाफ उम्मीदवार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

सुप्रीम कोर्ट ने मात्र दो महीने में अपनी निगरानी में ईवीएम खुलवाकर फैसला सुना दिया, जो देश में अपने तरह का पहला मामला माना जा रहा है। अब गुरुवार को पानीपत के इसराना बीडीओ कार्यालय में मोहित बुआना लाखु के नए सरपंच के रूप में शपथ लेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने किया फैसला

पानीपत के बुआना लाखू गांव में सरपंच चुनाव का ऐसा दिलचस्प मामला सामने आया, जिसमें एक ही दिन दो सरपंच घोषित कर दिए गए। 2 नवंबर 2022 को हुई मतगणना में पहले कुलदीप को जीत का प्रमाणपत्र मिला, लेकिन कुछ घंटों बाद हुई दोबारा गिनती में मोहित को विजेता घोषित कर दिया गया। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मामला पूरी तरह साफ हो गया है।

गिनती में हुई गलती ने बदल दिया चुनावी गणित

बुआना लाखु के सरपंच चुनाव में सात प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन असली टक्कर कुलदीप और मोहित के बीच थी। मतगणना के दौरान निर्वाचन अधिकारी से बूथ नंबर 69 पर बड़ी गलती हो गई। मोहित के वोट कुलदीप के खाते में और कुलदीप के वोट मोहित के खाते में जोड़ दिए गए। सभी बूथों के योग के आधार पर कुलदीप को विजयी घोषित कर प्रमाणपत्र भी दे दिया गया, जबकि असल में यह जीत मोहित की थी।

कोर्ट में पहुंचा मामला

जांच में यह साफ हुआ कि एक बूथ के पीठासीन अधिकारी की गलती से दोनों प्रत्याशियों के वोटों के आंकड़े आपस में बदल गए थे। नतीजतन सभी बूथों के कुल योग में असली विजेता हार गया और दूसरे नंबर पर रहने वाला प्रत्याशी जीत गया।

रिटर्निंग अधिकारी ने गलती सुधारते हुए मोहित को विजेता घोषित कर दिया, लेकिन नियमानुसार प्रमाणपत्र पहले ही मिल चुका होने के कारण कुलदीप ने हार स्वीकार नहीं की। वह 12 नवंबर 2022 को हाई कोर्ट से स्टे ले आया। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 1 जून 2025 को हाई कोर्ट ने दोबारा मतगणना से इनकार करते हुए फैसला कुलदीप के पक्ष में सुना दिया।

सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में दोबारा गिनती

12 जून को मोहित ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। 31 जुलाई को पहली सुनवाई के बाद अदालत ने 7 जुलाई को अपनी निगरानी में दोबारा मतगणना का आदेश दिया। उसी दिन हुई गिनती में कुलदीप को 1000 और मोहित को 1051 वोट मिले, जिससे मोहित 51 वोटों से आगे निकल गए।

अदालत ने फैसला सुरक्षित रखते हुए 11 अगस्त को सुनाया, जिसमें न्यायमूर्ति सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और एनके सिंह की पीठ ने मोहित को विजेता घोषित कर जिला प्रशासन को दो दिन के भीतर शपथ दिलाने के आदेश दिए। पीठ ने कहा कि ओएसडी (रजिस्ट्रार) की रिपोर्ट पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है। खासकर जब पूरी पुनर्गणना की विधिवत वीडियोग्राफी की गई थी।

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