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पाकिस्तान बेनकाब : कश्मीर घाटी में बहने लगी अमन की बयार

Update: 2019-08-18 15:06 GMT

जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद - 370 और 35ए अब इतिहास बन चुका है। संसद ने कानून पारित किया और राष्ट्रपति ने अपनी अनुमति प्रदान कर दी है। कुछ अलगाववादी तथा उनके समर्थक जो इन अनुच्छेदों का उपयोग अपने निहित स्वार्थों के लिए किया करते थे, वह अब सुप्रीम कोर्ट चले गये हैं। हालांकि बड़ी अदालत से उन्हें अब तक कोई राहत नहीं मिली है। मिलने के आसार भी नहीं हैं क्योंकि सरकार का यह फैसला पूर्णत: न्यायिक और तर्कसंगत है। भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 समाप्त कर जम्मू कश्मीर में विकास की बयार बहाने का प्रयास किया है। कौन नहीं जानता कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है। फिर जम्मू कश्मीर के जो परिवारवादी, स्वार्थवादी, अलगाववादी राजनेता गाहे-बगाहे पाकिस्तान की भाषा बोलते रहते थे। वह खाते-पीते और मौज तो भारत के संसाधनों से करते थे लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को जनसभाओं में चेतावनी देते थे कि इन अनुच्छेदों को कभी भी हटाया नहीं जा सकता, घाटी में कोई तिरंगा फहराने वाला नहीं मिलेगा, आज वह सभी हतप्रभ हैं। इन नेताओं को देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का भी प्रत्यक्ष अथवा अपरोक्ष समर्थन रहता था। केंद्र सरकार व सुरक्षाबलों की रणनीति से अलगावावादी नेताओं, पत्थरबाजों तथा दो-तीन परिवारवादी नेताओं की कश्मीर की धरती से जड़ें हिल चुकी हैं। यही कारण है कि यह लोग किसी न किसी प्रकार से जम्मू कश्मीर का अमन-चैन बिगाड़ने तथा झूठी अफवाहों के आधार पर हिंसा फैलाने का अवसर खोज रहे हैं।

सनद रहे कि जम्मू कश्मीर में ईद और स्वाधीनता दिवस शांतिपूर्वक बीत चुका है। ऐसा तीन दशक बाद हुआ है। इससे जम्मू कश्मीर में खून की नदियां बहाने की धमकी देने वाले लोगों की आंखें फटी की फटी रह गयी हैं। उन्हें गुमान था कि कश्मीर की हवा उनके इशारे पर बहती है। जबकि सच्चाई यह है कि कश्मीर की फिजां को वही लोग खराब करते थे। स्वतंत्रता दिवस के दिन पूरे जम्मू कश्मीर में तिरंगा फहराया गया। पूरी कश्मीर घाटी जश्न के आगोश में डूबी रही। पुलवामा, शोपियां, अनंतनाग सहित कश्मीर घाटी के सभी नागरिक हाथों में तिरंगा लेकर तथा वंदेमातरम के नारों के साथ फिल्मी धुनों पर थिरक रहे थे। अपने घर में नजरबंद उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, सज्जाद लोन तथा शाह फैजल जैसे लोग टीवी पर यह नजारा देख रहे होंगे तब उनके दिल में क्या गुजर रही होगी, समझा जा सकता है। जम्मू कश्मीर में शांति का वातावरण कायम है। हालांकि पाकिस्तान व उनके पाले हुए आतंकवादी तथा अलगाववादी शांति भंग करने का पूरा जोर लगा रहे हैं। लेकिन वहां के लोग उन्हें भाव नहीं दे रहे हैं। स्कूल-कालेज खोले जा रहे हैं। सरकारी दफ्तरों में कामकाज जारी है। संचार सुविधाएं बहाल की जा रही हैं। राज्य के मुख्य सचिव का दावा है कि अब प्रदेश में पूरी तरह से शांति है। कहीं भी पत्थरबाजी नहीं हुई तथा पुलिस की एक भी गोली नहीं चली है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां तथा सेनाएं लगातार हाई अलर्ट पर हैं। सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद है।

इस बीच पाकिस्तान व चीन बड़ी चालाकी के साथ मामले को संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में ले गए। वहां बंद कमरे में वार्ता चली लेकिन वह लोग वहां भी कुछ हासिल नहीं कर सके। पूरी दुनिया में चीन और पाकिस्तान के साथ एक भी देश खड़ा नहीं दिखा। विश्व समुदाय को साफ पता चल चुका है कि चीन और पाकिस्तान की वास्तविकता क्या है। पाकिस्तान वैश्विक मंचों पर अलग- थलग पड़ चुका है। पाकिस्तान की आर्थिक हालत भी बहुत नाजुक है। इसलिए वहां की सरकार अपने लोगों का ध्यान बांटने के लिए सीमा पर तनाव बढ़ाने के लिए आमादा है। हालांकि हमारे जवान उसे मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं।

अब जमू कश्मीर की धरती विकास के नये युग में प्रवेश करने जा रही है। वहां के लोगों का सामाजिक - आर्थिक विकास संभव होगा। बेटियां शिक्षित होंगी। उन्हें तालिबानी फरमानों और तीन तलाक से आजादी मिलेगी। सरकार के प्रयास से उद्योग-धंधे लगेंगे। नवगठित जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विकास का सूरज उगेगा और लोगों के दिन बदलेंगे। कश्मीर घाटी जन्नत में तब्दील होगी।

(मृत्युंजय दीक्षित, लेखक पत्रकार हैं।)


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