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देश में तेजी से बढ़ रहा है ऑनलाइन व्यापार

प्रहलाद सबनानी

Update: 2019-10-21 07:35 GMT

हाल ही में ऑनलाइन बिक्री के जो आँकड़े आए हैं उन्हें काफ़ी अहमियत दी जा रही है। हमारे देश में सामान्यत: त्योहारी मौसम में बाज़ार में रौनक़ बढ़ जाती है। देश में दो मुख्य ई-कामर्स कम्पनियों ने नवरात्रि के दौरान कऱीब 19000 करोड़ रुपए की बिक्री को अंजाम दिया है। यह बम्पर बिक्री ऐसे समय पर हुई है जब कहा जा रहा है कि देश में लोग पैसा ख़र्च नहीं कर रहे हैं। अत: क्या इसे बाज़ार में माँग की वापिसी का संकेत माना जाय।

देश में बड़ी तेज़ी के साथ डिजीटलीकरण हो रहा है। मोबाइल फोन पर अब उत्पाद खऱीद की सुविधा उपलब्ध हो गयी है। अत: लोग ब्रिक-मोरटर खऱीद से ऑनलाइन खरीद की ओर जा रहे हैं। अच्छी डील्ज मिल रही हैं। घर पहुँच डिलीवरी हो रही है। युवा वर्ग तो बहुत पहिले से ऑन-लाइन खरीद के प्रति आकर्षित था, अब अधेड़ उम्र के लोग भी इस प्लेटफॉर्म पर शिफ़्ट हो रहे हैं। दूसरे एवं तीसरे दर्जे के शहर भी अब तेज़ी से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर जा रहे हैं।

दरअसल, देश में अब लोग ऑन-लाइन खऱीद के फ़ायदे देखने लगे हैं। जैसे-जब घर पहुँच सेवा उपलब्ध हो रही है तो खऱीददारी करने के लिए बाहर क्यों जाएँ। यदि बाहर मार्केट में जाना है तो आधा घंटा दुकान पर पहुँचने में लगता है। आजकल मार्केट में भीड़ अधिक होने के कारण वाहन को पार्क करने में परेशानी आती है। वाहन पार्किंग के लिए पैसे भरने होते हैं। बाज़ारों में भीड़ भी अत्यधिक होने लगी है। रोड पर ट्रैफि़क जाम की दिक्कत होने लगी है। इसके विपरीत, ऑनलाइन खऱीददारी से समय की बचत हो रही है, पट्रोल के ख़र्च की बचत हो रही है, कार पार्किंग के ख़र्च की बचत हो रही है। ग्राहकों को ऑनलाइन खऱीददारी में उत्पाद का विकल्प बहुत ज़्यादा मिल रहा है अन्यथा विभिन्न उत्पादों के लिए अलग-अलग दुकानों पर जाना पड़ सकता है। वेबसाइट पर उत्पाद के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से मिल जाती है। साथ ही, ई-कामर्स कम्पनियाँ बहुत सारी छूट, बहुत सारी स्कीम, उपलब्ध करा रही हैं। तुलनात्मक रूप से बहुत कम क़ीमत पर उत्पाद मिल रहा है।

आजकल देश में बड़ी-बड़ी ई-कामर्स कम्पनियाँ ग्राहकों को आसान किश्तों में सामान बेच रही हैं और वो भी बग़ैर किसी ब्याज के। ग्राहकों को आसानी से ऋण स्वीकृत कर देते हैं। कम्प्यूटर, टीवी, फ्रिज, स्कूटर, कार, आदि आसान किश्तों में उपलब्ध हैं। अब तो क्रेडिट कार्ड पर भी ईएमआई की सुविधा मिल रही है। पाइंट्स मिल रहे हैं। उपभोक्ता के लिए पूरी डील को बहुत ही आकर्षक बनाकर पेश किया जा रहा है। जिसके कारण छोटे छोटे शहरों एवं गांवों से भी उपभोक्ता ऑनलाइन कम्पनियों की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

ऑनलाइन कम्पनियों ने देश के उपभोक्ताओं की रुचि के बारे में डेटाबेस तैयार कर लिया है जिसके आधार पर उन्हें पता चल जाता है कि किस ग्राहक की क्या पसंद है, उसी हिसाब से ये लोग ग्राहकों को उत्पाद के विकल्प उपलब्ध कराते हैं। ग्राहक की, इन कम्पनियों के प्रति, निष्ठा उत्पन्न कर लेते हैं। उत्पाद चुनने में ग्राहक की बहुत मदद करते हैं। उत्पाद के बारे में सारी उलझनें समाप्त कर देते हैं। ऑनलाइन कम्पनियाँ खऱीदे गए उत्पाद वापसी की भी सुविधा देती हैं।

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ई-कामर्स कम्पनियाँ अपना माल तो बेच ही रही हैं, साथ ही, ग्रामीण इलाक़ों एवं छोटे शहरों में कई दुकानदारों का माल भी बेच रही हैं। कई उत्पादक कम्पनियाँ भी सीधे ही अपना माल ग्राहकों को ऑनलाइन प्लेटफोर्म पर बेच रही हैं। अत: देखा जाय तो व्यापक स्तर पर मौक़ा तो सभी को मिल रहा है। आज गुजरात का एक ग्राहक नोर्थईस्ट के उत्पादों को सीधे ही खऱीद रहा है। देश की अर्थव्यवस्था आज समेकन की प्रक्रिया के दौर से गुजऱ रही है और फिर बदलाव तो प्रकृति का नियम है इसे रोका नहीं जा सकता। अत: छोटे-छोटे दुकानदारों को भी देखना होगा कि इस विस्तारित नेटवर्क का फ़ायदा किस प्रकार उठा सकते हैं।

5 लाख विक्रेता एवं 600 से ज़्यादा शहरों के दुकानदार ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर ई-कामर्स कम्पनियों से जुड़े हैं। कई महिलाएँ विक्रेता भी जुड़ी हैं एवं कई शिल्पकार भी जुड़े हैं। सम्भावनाएँ सबके लिए बढ़ रही हैं, ऐसा पहिले सोचा नहीं जा सकता था। नेट पर चले जाइए और पूरी दुनिया में अपना उत्पाद दिखाइए। कोई दुकान खोलने की ज़रूरत ही नहीं रही है। देश के युवाओं को इस व्यवस्था का फ़ायदा लेना चाहिए। वे उद्यमकर्ता बन सकते हैं। अपने शौक़ को व्यापार में बदल सकते हैं।

देश में चूँकि क्रेडिट अव डेबिट कार्ड्ज़ का चलन बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है अत: अब छोटे छोटे दुकानदारों को भी ग्राहकों को आकर्षक ऑफऱ देने चाहिए एवं भुगतान हेतु क्रेडिट एवं डेबिट कार्ड् स्वीकार करने चाहिए। आज हर व्यक्ति कार्ड से भुगतान करना चाह रहा है। इससे रोकड़ में व्यापार कम होता जाएगा। यह देश हित में भी है क्योंकि मुद्रा के चलन के कम होने से देश में जाली मुद्रा का चलन भी बंद होगा। सारा व्यापार टैक्स नेट पर आ जाएगा। करों की चोरी पर रोक लग जाएगी। विकसित देशों में लगभग पूरा व्यापार ही कार्ड से भुगतान पर चलता है। हमारे देश के कई बड़े शहरों यथा मुंबई में सब्ज़ी एवं फलों के छोटे छोटे व्यापारी एवं ठेले पर उत्पाद बेचने वाले भी कार्ड के माध्यम से भुगतान प्राप्त करने लगे हैं।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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