शलभ मनी त्रिपाठी
तारीख थी एक मार्च 2019। तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान अपनी संसद और देश को संबोधित कर रहे थे। उनका गला बार-बार अटक रहा था। दुनिया की नजरें उन पर टिकी हुई थीं। पाकिस्तान के भीतर घुस सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए भारत के विंग कमांडर अभिनंदन पाक सेना के कब्जे में थे। भारत के भीतर सन्नाटा पसरा हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कट्टर आलोचक मौके की ताक में थे। उन्हें उम्मीद थी कि बहुत जल्द उन्हें पीएम मोदी पर तगड़ा हमला करने का मौका मिलने ही वाला है। पर एकाएक तस्वीर पलट गई। इमरान खान ने ऐलान किया कि अभिनंदन को बिना शर्त पूरे सम्मान के साथ तुरंत छोड़ा जा रहा है। उन्होंने ये भी कहा कि भारत ने ही घुस कर पाकिस्तान के भीतर हमला किया है, फिर भी शांति की खातिर वे भारत के प्रधानमंत्री से बार-बार बात करने की कोशिश कर रहे हैं। यही वह क्षण था जब भारत के 130 करोड़ लोगों के साथ ही साथ दुनिया को ये एहसास हो चला कि अब ये नया भारत है।
इस घटना में प्रधाममंत्री नरेंद्र मोदी की आक्रामक रणनीति और तगड़ी कूटनीति ने भारत की एक सशक्त छवि पेश की। वरना यही पाकिस्तान था, जब 2013 में लांसनायक हेमराज के साथ की गई उसके सैनिकों की बर्बरता दुनिया ने देखी थी। जाहिर है इस बार पाकिस्तान से अकेले अभिनंदन कुमार नहीं लौटे, पिछले कुछ वर्षों में खोया हुआ भारत के लोगों का आत्मविश्वास भी पुरजोर तरीके से लौटा। दुनिया में स्पष्ट संदेश जा चुका था कि यह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर गुहार लगाने वाला नहीं बल्कि दगा करने पर सीमाओं में घुस कर सबक सिखाने वाला नया भारत है। यह ऐसा ऐसा क्षण था जब प्रधानमंत्री मोदी के धैर्य, साहस और उनकी रणनीति ने देश के 130 करोड़ लोगों को खुद के भारतीय होने पर गर्व करने का अवसर दिया।
पिछले नौ वर्षों में ऐसे कई मौके आए। इन नौ वर्षों के दौरान यूं तो प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी ने देश के विकास से लेकर गरीब और महिला कल्याण के क्षेत्र में मिसाल देने जैसे काम किए। परंतु इन नौ वर्षों में उन्होंने नौ ऐसे बड़े निर्णय लिए जो शायद सिर्फ मोदी ही कर सकते थे और जिसके लिए उन्हें इतिहास में सदैव याद रखा जाएगा। अनुच्छेद 370 का खात्मा ऐसा ही एक निर्णय था। हिंदुस्तान से असल में प्यार करने वाले हर सच्चे भारतीय के दिल में अनुच्छेद 370 एक बड़ी टीस थी। तुष्टिकरण के बल पर सत्ता हासिल करने वाले अधिकांश दल 370 के साथ खड़े थे। यह जानते हुए भी कि ऐसा करके वे देश का सर्वाधिक नुकसान ही कर रहे हैं। हैरानी की बात तो ये है कि सदन के भीतर और मीडिया के सामने 370 के पक्ष में बोलने वाले अधिकांश राजनीतिक दलों के लोग कैमरे की जद से हटते ही ये स्वीकार करने से भी नहीं चूकते कि 370 का हटाया जाना देश हित में है लेकिन वोट के लालच में सार्वजनिक तौर पर ऐसा बोल पाना उनके लिए संभव नहीं। ऐसे में 370 का सफाया नामुमकिन ही दिखता था। राजनीतिक के मझे हुए लोग दावे करते थे कि 370 हटाना संभव नहीं है। वे कई बार मजाक भी उड़ाते कि 370 हटाने की बात कहना महज एक राजनीतिक स्टंट है। पर पीएम मोदी ने उन्हें भी चौंका दिया। खून की नदियां ंबहाने और अंतरराष्ट्रीय अदालतों में मुद्दा उठाने की धमकियों से बेपहवाह पीएम मोदी ने डंके की चोट पर ना सिर्फ 370 हटाई बल्कि कश्मीर में पूरी तरह शांति कायम करने के लिए भी मजबूत कदम उठाए। नहीं तो भला कौन सोच सकता था कि कश्मीर में कभी लाल चौक पर हमारा तिरंगा शान से लहराएगा और सरकारी दफ्तरों से लेकर स्कूल कॉलेजों तक में राष्ट्रगान और वंदेमातरम का गान भी होगा। हाल ही में जी-20 पर विदेशी मेहमानों की मौजूदगी में कश्मीर में सफलतापूर्वक संपन्न हुए शानदार आयोजन ने दुनिया को कश्मीर की हकीकत से रूबरू भी करा दिया है। प्रधानमंत्री मोदी के खाते में यूं तो पिछले 9 वर्षों के दौरान उपलब्धियां ही उपलब्धियां हैं। पर मुस्लिम बहनों की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार कुरीति तीन तलाक को जड़ से खत्म करने का उनका फैसला हमेशा याद रखा जाएगा। पूर्व पीएम राजीव गांधी इस बात के सबसे बड़े उदाहरण हैं कि कैसे प्रचंड जनादेश से बनी कोई सरकार महज वोटों के लालच में जानते बूझते हुए बुराइयों के आगे घुटने टेकती है। तीन तलाक की शिकार देश की बेटी शाहबानो सुप्रीम अदालत से तीन तलाक के खिलाफ आदेश लेकर आईं थीं। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय लागू करने की औपचारिकता भर बची थी। लेकिन इसी बीच कांग्रेस हुकुमत रातोंरात बिल ले आई और लोकतंत्र के पवित्र मंदिर से देश की सुप्रीम अदालत का निर्णय पलट दिया। मुस्लिम समाज में ही तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ ही संपूर्ण देश इस सरकार के इस निर्णय से हैरान रह गया। हर कोई यह मान बैठातीन तलाक की कुप्रथा अब देश से कभी खत्म न हो पाएगी।। पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने चिरपरिचित अंदाज में चौंकाया। उनके नेतृत्व में एनडीए सरकार ने संसद के भीतर कानून लाकर तीन तलाक जैसी वाहियात परंपरा को हमेशा हमेशा के लिए दफन कर दिया। मुस्लिम बहनों के साथ ही देश को भी हर दृष्टि से इस फैसले का बड़ा लाभ मिला है और मिलता रहेगा।
(लेखक स्वतंत्र रूप से लेखन करते हैं)