आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी जिस आत्मविश्वास और निरंतर प्रगति के साथ आगे बढ़ रही है, उसके दो ताजा और सशक्त उदाहरण हैं- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा अमेरिकी उपग्रह ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 का सफल प्रक्षेपण और नई पीढ़ी की आकाश मिसाइल प्रणाली का सफल परीक्षण। ये दोनों उपलब्धियां भले ही अलग-अलग क्षेत्रों से संबंधित हैं, लेकिन संदेश एक ही है: भारत अब केवल उभरता हुआ देश नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक सक्षम, भरोसेमंद और आत्मनिर्भर राष्ट्र बन चुका है।
इसरो द्वारा 6,100 किलोग्राम वजनी अमेरिकी उपग्रह का सफल प्रक्षेपण भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ता है। यह अब तक भारत की धरती से प्रक्षिप्त किया गया सबसे भारी उपग्रह है। यह उपलब्धि दर्शाती है कि भारत की अंतरिक्ष क्षमता अब केवल राष्ट्रीय अभियानों तक सीमित नहीं रही, बल्कि वह अंतरराष्ट्रीय व्यावसायिक अंतरिक्ष बाजार में भी मजबूती से अपनी पहचान बना रहा है। एलवीएम-3 जैसे शक्तिशाली और भरोसेमंद प्रक्षेपण यान का सफल उपयोग यह साबित करता है कि भारत बड़े, जटिल और तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण अभियानों को भी पूरी कुशलता से पूरा करने में सक्षम है।
ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 उपग्रह की विशेषता इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती है। यह उपग्रह सीधे सामान्य स्मार्टफोन तक चौथी और पांचवीं पीढ़ी की मोबाइल सेवाएं पहुंचाने में सक्षम है। अर्थात् बिना मोबाइल टावर के, धरती के किसी भी कोने से आवाज और वीडियो कॉल, संदेश भेजने तथा इंटरनेट सेवाओं का उपयोग संभव होगा। यह तकनीक दूर-दराज और पिछड़े इलाकों के लिए संचार क्रांति का माध्यम बन सकती है। साथ ही आपदा प्रबंधन, समुद्री संचार और वैश्विक संपर्क के क्षेत्र में भी यह नई संभावनाएं पैदा करेगी। इस मिशन में भारत की भूमिका यह दर्शाती है कि विश्व अब भारतीय अंतरिक्ष तकनीक पर भरोसा कर रहा है।
दूसरी ओर, आकाश-एनजी मिसाइल प्रणाली का सफल परीक्षण भारत की सैन्य शक्ति और रणनीतिक आत्मनिर्भरता का सशक्त प्रमाण है। यह पूरी तरह स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली है, जिसे आधुनिक हवाई खतरों को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है। आज के समय में, जब ड्रोन, क्रूज मिसाइल और तेज गति वाले हवाई हमलों का खतरा बढ़ रहा है, ऐसे में आकाश-एनजी जैसी प्रणाली देश की सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक हो जाती है।
आकाश-एनजी की सबसे बड़ी ताकत इसकी आधुनिक स्वदेशी तकनीक है। इसमें भारतीय रेडियो तरंग खोजक, ठोस ईंधन रॉकेट मोटर और एक साथ कई लक्ष्यों को भेदने की क्षमता है। लगभग 30 किलोमीटर की मारक दूरी और 18 किलोमीटर तक की ऊँचाई पर दुश्मन के हवाई खतरों को नष्ट करने की क्षमता इसे अत्यंत प्रभावी बनाती है। इसके शामिल होने से भारतीय सेना और वायुसेना की रक्षा क्षमता और अधिक मजबूत होगी। यह सफलता 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' की सोच को वास्तविक रूप देती है।
इन दोनों उपलब्धियों के पीछे केंद्र सरकार, विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की दूरदर्शी नीतियों और निरंतर सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। बीते वर्षों में अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देना, स्वदेशी तकनीक को प्राथमिकता देना और निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना – इन सभी प्रयासों ने भारत को इस मुकाम तक पहुंचाया है। सरकार की स्पष्ट नीति और मजबूत इच्छाशक्ति ने वैज्ञानिकों और अभियंताओं को बड़े लक्ष्य हासिल करने का आत्मविश्वास दिया है।
इन उपलब्धियों को एक साथ देखने पर स्पष्ट होता है कि भारत अब विकास और सुरक्षा दोनों मोर्चों पर समान रूप से सशक्त हो रहा है।