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चंद्रमा पर प्रथम कदम : मनुष्य का एक छोटा पग, मानव की ऊंची छलांग

संकलन एवं प्रस्तुति-डॉ. सुखदेव माखीजा

Update: 2019-07-21 13:08 GMT
चंद्रतल पर प्रथम मानव पदार्पण की स्वर्णजयंती (21 जुलाई) के उपलक्ष में विशेष प्रस्तुति  

विश्व के हर क्षेत्र के साहित्य की बाल कथाओं, लोककथाओं, प्रेमकथाओं, पौराणिक-धार्मिक ग्रंथों, तथा विज्ञान कथाओं में चंद्रमा से सम्बंधित कल्पनाओं, परिकल्पनाओं, किवदंतियों, विश्वासों तथा आस्थाओं के विस्तृत वर्णन उपलब्ध हैं। विज्ञान कथाओं-उपन्यासों की श्रंखला में संभवत: प्रथम बार सनÓ 1885 में ज्यूल्स वार्न ने "स्नह्म्शद्व श्वड्डह्म्ह्लद्ध ह्लश रूशशठ्ठ: फ्रॉम अर्थ टू मून, तत्पश्चात सनÓ 2001 में एच.जी.वेल्स ने "स्नद्बह्म्ह्यह्ल रूड्डठ्ठ शठ्ठ ह्लद्धद्ग रूशशठ्ठ" फस्र्ट मैन ओन द मून तथा लगभग इसी दशक में भारतीय लेखक बाबू केशव प्रसाद सिंह ने चन्द्रलोक की यात्रा कहानी के माध्यम से परिकल्पनाएं प्रस्तुत करके जन सामान्य में चन्द्रमाँ के विषय के प्रति जिज्ञासाएं जागृत कीं। परन्तु आधुनिक विज्ञान के दृष्टिकोण से व्यक्तिगत साक्ष्य के आधार पर चंद्रतल की तथ्यात्मक वास्तविकता तब प्रकट हुई जब आज से पचास वर्ष पूर्व अमेरिका के मानक समयानुसार, सन 1969 में 20-21 जुलाई की मध्य रात्रि में 02 बजकर 56 वें मिनट पर अन्तिरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग ने पृथ्वीलोक के मानव के रूप में अन्तिरिक्ष चन्द्रयान अपोलो -11 के माध्यम से चंद्रतल पर प्रथम मानवीय पग रखते हुए ऐतिहासिक उदगार प्रकट करते हुए अपना ध्वनि सन्देश प्रेषित किया कि- ञ्जद्धड्डह्लह्य शठ्ठद्ग ह्यद्वड्डद्यद्य ह्यह्लद्गश्च शद्घ ड्ड द्वड्डठ्ठ, ड्ड द्दद्बड्डठ्ठह्ल द्यद्गड्डश्च शद्घ द्वड्डठ्ठद्मद्बठ्ठस्र" मनुष्य का यह एक छोटा पग, मानव की ऊंची छलांग है।

19 मिनट पश्चात साथी चंद्रयात्री एल्ड्रिन ने चन्द्रलोक को भव्य एकांत की संज्ञा प्रदान की। इन अविस्मरणीय संदेशों को उसी समय भारत सहित विश्व के लाखों लोगों ने रेडियो प्रसारण के मध्यम से एक साथ सुना। विश्व के प्रथम चन्द्र अभियान से सम्बद्ध मानवीय साहस एवं विज्ञान की इस अद्भुत उपलब्धि का संक्षिप्त चरणबद्ध विवरण निम्नानुसार है-

संचालन संस्था- नेशनल एरोनॉटिक्स एवं स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा -अमेरिकी संस्था। अभियान अपोलो चन्द्र अभियान-यूनान के ग्रीक देवता अपोलो को समर्पित प्रथम अपोलो यान- अपोलो-1 परीक्षण विस्फोट में तीन अन्तरिक्ष यात्रियों की दु:खद मृत्यु अपोलो-2 से 7 परीक्षण एवं प्रशिक्षण, अपोलो-8 ,9,10 -समानव चन्द्र कक्षा (ऑर्बिट)-परीक्षण अपोलो -11- प्रथम समानव चन्द्रयान संचालक (कमांड मोड्यूल)- कोलंबिया चन्द्र वाहन - ल्युनार मोड्यूल ईगल- प्रक्षेपक रोकेट-सैटम -5 प्रक्षेपण केंद्र- जॉन एॅफ कैनेडी स्पेस सेंटर-फिलोरिडा-अमेरिका अन्तरिक्ष चंद्रयात्री (1) नील आर्मस्ट्रांग - मुख्य कमांडर-प्रथम चंद्रयात्री (2) एडविन बज एल्ड्रिन - चन्द्र वाहन कमांडर द्वितीय चंद्रयात्री (3) माईकल कोलिन्स - कमांड मोड्यूल नियंत्रक (चन्द्र परिक्रमा कक्षा में)

चंद्रारोहण यात्रा प्रारंभ तिथि -16 जुलाई 1969; 13-32 (अमेरिकी मानक समय) चन्द्र वाहन ईगल का चंद्रलोक में शुभागमन - 20 जुलाई 1969 चंद्रमा पर प्रथम मानव पदार्पण तिथि- 21 जुलाई 1969 समय-02-56-15 (भारतीय समय प्रात: 08-26) प्रथम मानव नील आर्मस्ट्रांग ने 21 जुलाई 1969, सोमवार को चन्द्रवाहन ईगल की 09 सीडिय़ों से उतर कर, अमेरिकी मानक समय- 02-56-15(भारतीय समय प्रात: 08-26) पर चंद्रतल पर अपना बायां पैर स्थापित करके मानव इतिहास का एक अदभुत कीर्तिमान बनाया।

द्वितीय मानव चन्द्र अतिथि का पदार्पण-एल्ड्रिन बज एडविन-समय 03-16-15 चंद्रतल पर भ्रमण की दूरी लगभग 60 मीटर परिधि में। सम्पन्न कार्य-(1) छायांकन (फिल्मांकन फोटोग्राफी) (2) चन्द्र मृदा(मिट्टी)/चट्टान का संग्रहण (लगभग -21.55 किलोग्राम) (3) स्मृति चिन्हों की स्थापना - अमेरिकी राष्ट्रीय ध्वज, अपोलो -1 अभियान में दुर्घटना में मृत तीन अन्तिरिक्ष यात्रियों तथा प्रथम अन्तरिक्षयात्री युरी गागरिन (रशिया) के सम्मान पदक, विश्व के 74 देशों के राज्याध्यक्षों के संदेशो की ध्वनि अंकित सीडी, शांति सन्देशपट्टिका, खगोलीय वैज्ञानिक उपकरण चन्द्र भ्रमण की अवधि - 02घंटे-31 मिनट -40 सेकण्ड चंद्रतल पर भ्रमण एवं चन्द्रयान में विश्राम सहित कुल अवधि - लगभग -21 घंटे वापसी यात्रा आरम्भ तिथि - 21 जुलाई 1969 - समय -17- 54 पृथ्वीलोक में पुनरागमन - 24 जुलाई 1969 -समय - 16-51 पुनरागमन स्थल - प्रशांत महासागर, अन्य अपोलो चन्द्र यात्राएं - अपोलो- 12, 13(असफल),14,15,16,17 (नवम्बर 1969 से दिसम्बर 1972)- अब तक चन्द्र यात्री -12

विशेष उल्लेख - भारतीय चन्द्र अभियान (मानव रहित) - भारतीय अन्तिरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) संचालित - चंद्रयान-01 - 22 अक्टूबर 2008 से 28 अगस्त 2009 - चंद्रयान-02 - संभावित तिथि- 22 जुलाई 2019

संदर्भ आभार-नासा, विज्ञान पत्रिकाओं, अन्तिरिक्ष सम्बद्ध वेबसाईट (दर्शाए गए मुख्य समय अमेरिकी मानक समयानुसार हैं)


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