संघ कार्य के 100 वर्ष: महाकौशल अंचल में बालाघाट से हुआ संघ का श्रीगणेश
डॉ. आनंद सिंह राणा
संघ कार्य के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन में सहभागिता
स्वतंत्रता संग्राम में बालाघाट जिले के स्वयंसेवकों ने सक्रिय सहभागिता निभाई। अनंत शिवराम लोहकरे (बाला साहेब) स्वतंत्रता आंदोलन में सन् 1939 से ही जुड़े रहे। उन्हें राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा माता-पिता से मिली थी। उनकी माताजी ने 1931 में नमक सत्याग्रह में भाग लिया था।
सन् 1939 में श्री गुरुजी बालाघाट आए थे, तब उन्होंने लोहकरे परिवार से संपर्क किया। उस समय पूरा परिवार जेल में बंद कर दिया गया था। इसके बाद शिवराम लोहकरे के भाई कृष्णराय कलेक्टर से मिलने गए, और कलेक्टर ने उनके पिता को स्वयं जाकर छुड़वाया, किंतु शिवराम लोहकरे को नहीं छोड़ा। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अन्ना जी विद्वान्स और पुरुषोतम हरकने उनके सहयोगी रहे।
महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ. केशव रात्रि बलिराम हेडगेवार ने सन् 1925 में विजयादशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। तब से संघ ने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में बल्कि हर संकट के समय अपना सर्वस्व अर्पित कर देश और समाज की रक्षा की। यह क्रम अनवरत् प्रवाहित है।
बालाघाट में नियमित संघ शाखाओं के विस्तार में दादाराव परमार्थ और दत्तोपंत दबडघाव का विशेष योगदान रहा। बालाघाट में संघ की शाखा का प्रारंभ सन् 1926 में डॉ. हेडगेवार ने किया। उस समय डाक एवं तार विभाग में कार्यरत श्री महात्वादी ने शाखा प्रारंभ कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पहली शाखा गणपति रात्र पांडेय के बाड़े में स्थापित की गई, जिसे आज केलकर के बाड़े के नाम से जाना जाता है।
शाखा प्रारंभ होने के बाद अन्ना देवपुजारी के प्रयासों से कार्य में गति आई। उस समय अजा जी जिला संघचालक, महादेव राव बाईकर नगर संघचालक और भैया साहब इंदुरकर शारीरिक प्रमुख थे। जिले में प्रारंभिक प्रचारक के रूप में नर्मदा प्रसाद सोनी, सुंदर सिंह शक्रचार और गोविंद श्रीवास्तव की सेवाएं भी शामिल रही। साथ ही जिले में भारतीय मजदूर संघ, विद्यार्थी परिषद, विश्व हिन्दू परिषद, भारतीय शिक्षक संघ सहित अन्य अनुषांगिक संगठनों का कार्य भी चला।
बालाघाट जिला अत्यंत सौभाग्यशाली है कि संघ के प्रथम सरसंघचालकों का गहरा संबंध रहा। वहीं तीसरे सरसंघचालक बाला साहब देवरस का जन्म बालाघाट के कारंजा ग्राम में हुआ था। आद्य सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार के चाचा रामपायली में थे और डॉ. हेडगेवार अक्सर वहीं आकर रहते थे। बालाघाट के रामपायली में उनका दूसरा घर था, इसलिए उनके बचपन की यादें भी वहीं जुड़ी हुई हैं।
जेल में बंद स्वयंसेवक परिवारों की चिंता
संघ के पहले प्रतिबंध के समय कसूलाल कटरे, मैया लाल इंदुरकर, भाऊसाहेब केलकर और अत्रा जी विद्वान्स को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद 60-65 लोगों ने सत्याग्रह करके गिरफ्तारी दी। कुछ कार्यकर्ता भूमिगत रहकर कार्य करते रहे। उन्होंने उन कार्यकर्ता परिवारों की चिंता की, जिनके मुखिया जेल में बंद थे। आपातकाल में भी कुछ स्वयंसेवक जेल में रहे, जिनमें अन्ना जी विद्वान्स, वसंत राय देवरस, रमेश चंद्र रमलानी और कृष्णराव हरकरे शामिल थे।
डॉ. हेडगेवार ने पुलिस थाने में बम फेंके थे
डॉ. हेडगेवार ने रामपायली में पुलिस स्टेशन को बम से उड़ाने का प्रयास किया था। द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरुजी के पिता बालाघाट नगर के विद्यालय में अध्यापक थे। श्री गुरुजी बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के प्रतिभावान छात्र रहे। उनका प्रारंभिक अध्ययन वहीं हुआ और उन्हें एक बार भाषण प्रतियोगिता में पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।
डॉ. हेडगेवार का संदेश था- “दूसरों से सहायता की आशा करना या भीख माँगना दुर्बलता का चिन्ह है। इसलिए स्वयंसेवक बंधुओ, निर्भयता के साथ घोषणा करो कि हिन्दुस्थान हिन्दुओं का ही है।”
- डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार