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बहनों ने भाईयों के माथे पर तिलक कर मनाया भाईदूज, अक्षत तिलक का ये है महत्व

Update: 2021-11-06 10:00 GMT

वेबडेस्क। पांच दिवसीय दीपोत्सव पर्व के दौरान भाई दूज भी मनाई गई। शनिवार को अनुराधा नक्षत्र के साथ सौभाग्य और अमृत योग में बहनों ने भाइयों को टीका लगाकर दीर्घायु की कामना की। इसके बाद बहनें अपने भाई की लम्बी उम्र की कामना के लिए व्रत रखकर पूजा अर्चना करने में जुट गई। वहीं भाइयों ने तोहफे के साथ रक्षा का वचन दोहराया। विधि विधान से बहनों ने भाई के मस्तक पर तिलक कर इस परंपरा को आगे बढ़ाया। मंदिरों में भी पूजन अर्चन का सिलसिला जारी रहा। 

दीपोत्सव पर्व के अंतिम दिन भैया दूज मनाई गई। घर-घर में बहनों ने अपने भाई की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखा। इसके बाद उनके मस्तक पर तिलक कर परंपरागत ढंग से लम्बी उम्र की कामना की। आचार्य रामऔतार पाण्डेय के मुताबिक नक्षत्रों के राजा अनुराधा नक्षत्र में भैया दूज का पावन पर्व मनाया जा रहा है। भाई बहन के प्रेम का प्रतीक भाई दूज पर इस बार सौभाग्य और अमृत में मनाया जा रहा है। जिसमें भैया दूज का पर्व का होना लाभकारी माना जाता है। इस शुभ महायोग में हल्दी चूना और अक्षत का दिव्य टीका लगाना शुभ माना जाता है। भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनके सुख समृद्धि की प्रार्थना की और उनसे मनचाहा उपहार प्राप्त किया। वहीं लोगों ने गोला मिश्री एवं मिठाई की जमकर खरीदारी की। रेडीमेड वस्त्र विक्रेताओं के यहां भी भीड़ देखी गई। बाजारों में जमकर चहल-पहल रही।

नंदलाल कन्हैया जी का हुआ पूजन - 

बहनों ने दिन की शुरुआत मंदिरों में जाकर भगवान के पूजन अर्चन से की और उसके बाद विधि विधान से दूज पर्व मनाया गया। आज के दिन नंदलाल कन्हैया जी का पूजन करना शुभ माना जाता है। इस्कॉन मंदिर के साथ शहर के कई प्रमुख मंदिरों में कई बहनों ने जाकर नंदलाल का तिलक पूजन किया। भैया दूज का यह पर्व समाज में बहन भाई के प्रेम के प्रतीक में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भाई दूज की व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए।

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