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शुक्र के साथ देवगुरु बृहस्पति और दैत्य गुरु बनाएंगे समसप्तक योग

Update: 2020-07-30 06:03 GMT

ग्वालियर। प्रेम सौंदर्य कला, दांपत्य सुख का प्रतिनिधि ग्रह शुक्र 1 अगस्त से सुबह 5 बजकर 9 मिनट पर अपनी राशि बदल रहे हैं। शुक्र देव पिछले चार माह से वृषभ राशि में चल रहे थे। शुक्रदेव अब राशि परिवर्तन कर मिथुन राशि में गोचर करने जा रहे हैं। शुक्र के मिथुन राशि में आने से इनका समसप्तक योग बनेगा। क्योंकि इस समय देवगुरु बृहस्पति धनु राशि में हैं। शुक्र के मिथुन राशि में प्रवेश करते ही उनके साथ ही राहु व बुध ग्रह भी होंगे। वहीं धनु राशि में गुरु के साथ केतु भी मौजूद रहेंगे। इन ग्रहों की एक दूसरे के सातवें घर में नजर रहेगी। शुक्र ग्रह पूरे एक माह तक मिथुन राशि में रहेंगे। शुक्र के परिवर्तन एवं समसप्तक योग से 5 राशियों को विशेष लाभ मिलेगा। जबकि कला के क्षेत्र से जुड़े लोगों को सावधानी से रहने की जरूरत है।

ज्योतिषाचार्य पं सतीश सोनी के अनुसार शुक्र ग्रह को सौंदर्य, कला, ऐश्वर्य, वैभव, कला, संगीत व कामवासना का कारक माना जाता है। शुक्र ग्रह वृषभ और तुला राशि के मालिक हैं। मीन राशि में यह उच्च का और कन्या राशि में यह नीच अवस्था में रहते हैं। जिन जातकों की कुंडली में शुक्र ग्रह प्रबल होता है उन व्यक्तियों को शुक्र आकर्षक बनाता है। प्रबल शुक्र के जातक धन व वैभव से सम्पन्ना होते हैं। उनका जीवन ऐश्वर्यशाली रहता है।

राशियों पर यह रहेगा शुक्र का प्रभाव

मेष : मानसिक और शारीरिक क्षमता में वृद्धि होगी।

वृषभः अचानक धन का बड़ा लाभ मिल सकता है।

मिथुन : कला व सांस्कृतिक क्षेत्र में उन्नाति के अवसर मिलेंगे।

कर्कः दाम्पत्य जीवन में मधुरता रहेगी।

सिंह : नौकरी व पद प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।

कन्याः काम में परिवर्तन शुभ रहेगा।

तुला राशिः लबें समय से अटके काम होंगे पूरे

वृश्चिक : कोध में आकर धन का नुकसान करेंगे।

धनु : सात्विकता व आधुनिकता में वृद्धि के अवसर मिलेंगे।

मकर राशिः शत्रुओं से सावधान रहें।

कुंभ : विद्यार्थियों के लिए बेहतर समय है।

मीनः वाहन, भवन खरीदने का बनेगा योग।

सावन में 10 साल बाद बनेगा शनि प्रदोष का संयोग

1 अगस्त को सावन के दोनों पक्षों में शनि प्रदोष का योग 10 साल बाद बन रहा है। इससे पहले यह योग 7 व 21 अगस्त 2010 को बना था। इसके बाद अब यह योग 7 साल बाद 31 जुलाई व 14 अगस्त को 2027 के सावन में बनेगा। इस साल सावन में शनि प्रदोष पहले पक्ष में 18 जुलाई को था जबकि दूसरे पक्ष में यह 1 अगस्त को रहेगा। शनि प्रदोष मनुष्यों के लिए दुर्लभ होता है। उसमें भी कृष्णपक्ष का शनि प्रदोष अत्यंत ही दुर्लभ कहा जाता है। स्कंदपुराण में बताया गया है कि प्रदोष के समय जो मनुष्य भगवान शिव के चरणों का आश्रय लेगा। उसके घर धन, धान, स्त्री पुत्र, बंधु बांधव और सुख सम्पति बढ़ती रहेगी। भगवान शिव शनिदेव के गुरु हैं इसलिए सावन में शनिवार के दिन पूजा करने से शनिदोषों के कारण होने वाली तकलीफों से राहत मिलती है।

ऐसे पूजन करें

शत्रुनाश और पित्रदोष को दूर करने के लिए भगवान भोलेनाथ को शनिवार को रुद्रा अभिषेक सरसो के तेल से करना चाहिए। इसके बाद जरुरतमंदों को भोजन, कपडे, अन्ना, का दान करना चाहिए।

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