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खनन के खिलाफ आत्मदाह करने वाले संत की मौत, वसुंधरा राजे ने सरकार को ठहराया जिम्मेदार

Update: 2022-07-23 12:08 GMT

भरतपुर। जिले के डीग क्षेत्र में आदिबद्री धाम और कनकांचल में हुए अवैध खनन के खिलाफ आंदोलन के दौरान स्वयं को आग लगाने वाले बाबा विजयदास का दिल्ली में उपचार के दौरान निधन हो गया। बाबा विजय दास का करीब दो दिन से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उपचार चल रहा था। शनिवार देर रात करीब 2.30 बजे बाबा अंतिम सांस ली। संत ने 20 जुलाई को आत्मदाह किया था। संत की पार्थिव देह नई दिल्ली से यूपी के बरसाना लाई जाएगी, जहां उनकी पोती को संत के अंतिम दर्शन कराए जाएंगे। इसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। 

मान मंदिर के कार्यकारी अध्यक्ष राधाकांत शास्त्री ने बताया कि शनिवार देर रात 2.30 बजे बाबा विजयदास का दिल्ली के अस्पताल में देहावसान हो गया। संत विजय दास हरियाणा में फरीदाबाद जिले के बडाला गांव के रहने वाले थे। साधु बनने से पहले से पहले उनका नाम मधुसूदन शर्मा था। एक हादसे में उनके बेटे और बहू की मौत हो गई थी। इसके बाद परिवार में बाबा और उनकी एक पोती बचे थे। अब सिर्फ पोती रह गई। बेटे और बहू की मौत के बाद वह अपनी पोती को लेकर उत्तर प्रदेश के बरसाना के मान मंदिर आ गए थे। संत विजय दास ने अपनी पोती दुर्गा को गुरुकुल में डाल दिया था। वे संत रमेश बाबा के संपर्क में आए और साधु हो गए। नया नाम मिल गया- बाबा विजयदास। फिर 2017 में वह धार्मिक मान्यता वाले आदिबद्री और कनकांचल इलाके में खनन को रोकने के लिए शुरू हुए आंदोलन से जुड़ गए। 

पशुपति नाथ मंदिर के महंत - 

उन्हें डेढ़ साल पहले पसोपा गांव के पशुपति नाथ मंदिर का महंत बनाया गया। उनके पास मंदिर प्रबंधन की पूरी जिम्मेदारी थी। दिल्ली में पोस्टमार्टम के बाद दोपहर तक उनका पार्थिव शरीर बरसाना लाया जाएगा। निधन की खबर मिलते ही बरसाना में शोक की लहर फैल गई। साधु-संत पहुंचने लगे हैं। बाबा के करीबी संत राधाकृष्ण शास्त्री ने बताया कि अंतिम संस्कार बरसाना में मान मंदिर के पास ही होगा। वहीं, भरतपुर जिला प्रशासन ने पसोपा से साधु-संतों और ग्रामीणों को बरसाना ले जाने के लिए 10 बसों की व्यवस्था की है।

पूर्व सीएम ने सरकार को ठहराया जिम्मेदार - 

पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुन्धरा राजे ने भरतपुर जिले में संत विजय दास की मौत के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। राजे ने कहा है कि जिस राज्य में संतों को आंदोलन करना पड़े, लोकहित में मांगो को मनवाने के लिए अपनी बली देनी पड़े, तो उस राज्य में इससे बड़ी अराजकता कोई और नहीं हो सकती। राजे ने कहा कि घटना के बाद भी मुख्यमंत्री असहाय हो कर खुद स्वीकार करें कि प्रदेश में अवैध खनन नहीं रुक रहा। इससे ही स्पष्ट हो जाता है कि संत की मौत का जिम्मेदार कोई है तो वह राज्य सरकार है। पूर्व सीएम ने कहा कि वे संत विजय बाबा के परलोक गमन से बहुत आहत हैं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।


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