स्वयंसेवकों के भाव और जीवन बल से चलता है संघः डॉ. मोहन भागवत

Update: 2025-11-17 05:35 GMT

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने कहा कि स्वयंसेवकों के भाव और जीवन बल से ही संघ चलता है। मानसिकता से हर स्वयंसेवक प्रचारक ही बन जाता है। संघ की यही शक्ति है। उन्होंने बताया कि आज संघ का विस्तार हुआ है। कार्य की दृष्टि से अनुकूलताएं और सुविधाएं भी बढ़ी हैं, परंतु इसके साथ कई चुनौतियां और कठिनाइयां भी आई हैं। हमें वैसा ही रहना है, जैसा हम विरोध और उपेक्षा के समय थे। उसी भावबल से संघ आगे बढ़ेगा।

सरसंघचालक डॉ. भागवत रविवार को पाथेय कण संस्थान के नारद सभागार में ज्ञान गंगा प्रकाशन की ओर से आयोजित '… और यह जीवन समर्पित' ग्रंथ के विमोचन समारोह में बोल रहे थे। यह पुस्तक राजस्थान के दिवंगत 24 संघ प्रचारकों की जीवन गाथा का संकलन है।

डॉ. भागवत ने प्रचारकों और वरिष्ठ स्वयंसेवकों के जीवन पर आधारित इस नए ग्रंथ का उल्लेख करते हुए कहा कि यह पुस्तक केवल गौरव की भावना नहीं जगाती, बल्कि कठिन रास्ते पर चलने की प्रेरणा भी देती है। उन्होंने स्वयंसेवकों का आह्वान किया कि वे इसे न केवल पढ़ें, बल्कि अपने जीवन में उतारें। उन्होंने कहा, "यदि उनके तेज का एक कण भी हमने अपने जीवन में धारण कर लिया, तो हम भी समाज और राष्ट्र को आलोकित कर सकते हैं।"

कार्यक्रम की शुरुआत में पुस्तक का परिचय और प्रस्तावना संपादक भागीरथ चौधरी ने प्रस्तुत की। आभार ज्ञापन ज्ञान गंगा प्रकाशन समिति के अध्यक्ष डॉ. मुरलीधर शर्मा ने किया। वहीं समिति के उपाध्यक्ष जगदीश नारायण शर्मा ने सरसंघचालक डॉ. भागवत का अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया। कार्यक्रम में राजस्थान क्षेत्र संघचालक डॉ. रमेशचंद्र अग्रवाल सहित अनेक गणमान्य महानुभाव उपस्थित रहे।

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