Jhalawar School Accident: झालावाड़ स्कूल हादसे में मृतक बच्चों का अंतिम संस्कार, पिपलोदी गांव में एक साथ निकली 6 अंतिम यात्रा
Jhalawar School Accident : झालावाड़। राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में 25 जुलाई 2025 को सुबह एक दर्दनाक हादसे ने पूरे क्षेत्र को शोक में डुबो दिया। पिपलोदी सरकारी उच्च प्राथमिक स्कूल की जर्जर छत ढहने से 7 मासूम बच्चों की मौत हो गई, जबकि 28 अन्य बच्चे घायल हुए हैं। इस हादसे ने न केवल स्थानीय समुदाय को झकझोर दिया, बल्कि पूरे देश का ध्यान स्कूलों की जर्जर इमारतों की स्थिति पर केंद्रित कर दिया है।
हादसा शुक्रवार सुबह करीब 7:45 बजे हुआ, जब कक्षा 6 और 7 के लगभग 35 बच्चे स्कूल की प्रार्थना सभा के लिए इकट्ठा हुए थे। अचानक स्कूल की छत ढह गई, जिसके नीचे कई बच्चे दब गए। स्थानीय लोगों, शिक्षकों और पुलिस ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया, लेकिन भारी मलबे के कारण कई बच्चों को गंभीर चोटें आईं। 7 बच्चों की मौत हो गई, जिनमें से 5 भिल समुदाय और एक लोधा समुदाय से थे। मृतकों की पहचान पायल (14), प्रियंका (14), हरीश (8), सोना भाई (5), मिथुन (11), कार्तिक (18), और मीना (8) के रूप में हुई है।
घायल बच्चों को मनोहरथाना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और झालावाड़ जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 8-10 बच्चों की हालत गंभीर बताई जा रही है। कुछ बच्चों को उन्नत उपचार के लिए विशेष स्वास्थ्य केंद्रों में रेफर किया गया है।
सगे भाई-बहन की एक अर्थी
हादसे के बाद पिपलोदी गांव में शोक की लहर है। गांव में चूल्हे नहीं जले, और लोग सदमे में हैं। छह बच्चों का अंतिम संस्कार एक साथ किया गया, जिसमें सगे भाई-बहन कान्हा और मीना को एक ही अर्थी पर अंतिम विदाई दी गई। अंतिम यात्रा में ग्रामीणों के साथ पुलिस के जवान भी शामिल हुए। परिजनों का रोना-बिलखना गांव की गलियों में गूंज रहा है।
मामले की होगी उच्च स्तरीय जांच
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हादसे पर गहरा दुख जताया और घायल बच्चों के लिए उचित उपचार के निर्देश दिए। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "पिपलोदी, झालावाड़ में स्कूल की छत ढहने से हुआ हादसा अत्यंत दुखद और हृदय विदारक है।"
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए कहा कि हादसे की उच्च स्तरीय जांच कराई जाएगी। उन्होंने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया और मृतक बच्चों के परिजनों को 10 लाख रुपये मुआवजा और एक परिजन को संविदा पर नौकरी देने की घोषणा की।
हालांकि, जिला कलेक्टर अजय सिंह ने बताया कि हाल ही में शिक्षा विभाग को जर्जर स्कूल भवनों की सूची देने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन इस स्कूल को सुरक्षित बताया गया था। उन्होंने कहा, "इसकी जांच होगी और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।"
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी हादसे पर शोक व्यक्त किया। पीएम मोदी ने कहा, "यह हादसा दुखद और हृदय विदारक है। मेरी संवेदनाएं प्रभावित परिवारों के साथ हैं।"
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, जिनका झालावाड़ गृह क्षेत्र है, ने हादसे के बाद देर शाम घायल बच्चों से मुलाकात की। उन्होंने कहा, "यदि शिक्षा विभाग ने जर्जर स्कूलों को पहले चिह्नित कर बच्चों को सुरक्षित भवन में शिफ्ट किया होता, तो यह हादसा टल सकता था।"
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जर्जर स्कूलों की शिकायतों को नजरअंदाज करने के कारण यह हादसा हुआ। खड़गे ने कहा, "यह शर्मनाक है कि सरकार बच्चों के भविष्य के लिए स्कूलों की मरम्मत नहीं कर सकी।"
स्थानीय लोगों का आक्रोश
स्थानीय लोगों का कहना है कि स्कूल की इमारत 20 साल पुरानी थी और लगातार बारिश के कारण कमजोर हो गई थी। एक स्थानीय निवासी बलकिशन ने बताया कि उन्होंने तहसीलदार और उप-विभागीय मजिस्ट्रेट को इमारत की स्थिति के बारे में पहले ही सूचित किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। एक छात्र ने बताया कि छत से ईंटें गिर रही थीं, लेकिन शिक्षक ने इसे नजरअंदाज कर बच्चों को बैठने के लिए कहा।
हादसे के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने गुराड़ी सर्कल और एसआरजी अस्पताल के बाहर प्रदर्शन किया, पुलिस वाहनों में तोड़फोड़ की, और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
चार शिक्षक निलंबित
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने प्रिंसिपल मीना गर्ग और चार शिक्षकों को निलंबित कर दिया। साथ ही, स्कूल परिसर की अन्य इमारतों की सुरक्षा जांच के आदेश दिए गए हैं। झालावाड़ कलेक्टर और एसपी अमित कुमार बुदानिया ने मौके पर पहुंचकर बचाव कार्यों का जायजा लिया।