Tahawwur Rana: आतंकी तहव्वुर राणा को राहत, परिवार से फोन पर बात करने की मिली अनुमति
Terrorist Tahawwur Rana gets Permission to talk his Family on Phone : नई दिल्ली। पटियाला हाउस कोर्ट दिल्ली ने 26/11 मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को सोमवार को राहत दी है। कोर्ट ने आतंकी तहव्वुर राणा को अपने परिवार को एक बार फोन करने की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि, यह कॉल जेल के नियमों के अनुसार और तिहाड़ जेल अधिकारियों के एक वरिष्ठ अधिकारी की निगरानी में की जाएगी।
सुनवाई के दौरान पटियाला हाउस कोर्ट ने राणा के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर एक विस्तृत स्थिति रिपोर्ट मांगी है, जिसे 10 दिनों के भीतर प्रस्तुत किया जाना चाहिए। जेल अधिकारियों को दिए गए अपने जवाब में, एनआईए ने इस एक बार के फोन कॉल की अनुमति को मंजूरी दी थी।
इसके अलावा, कोर्ट ने जेल अधिकारियों से एक विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी है, जिसमें इस बात पर उनका रुख स्पष्ट किया गया है कि क्या जेल मैनुअल के अनुसार राणा को भविष्य में नियमित फोन कॉल की अनुमति दी जानी चाहिए।
दावा है कि तहव्वुर राणा ने अपनी कंसल्टेंसी फर्म में डेविड हेडली को नौकरी दी थी। इस फर्म की मुंबई शाखा के काम के लिए हेडली मुंबई आया और लश्कर-ए-तयैबा के आतंकी हमलों की तैयारी के लिए ताज महल होटल और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस जैसी प्रमुख जगहों की रेकी की।
जांचकर्ताओं का मानना है कि राणा ने अपनी कंसल्टेंसी फर्म की आड़ में हेडली से रेकी का काम करवाया। 2008 में लश्कर-ए-तयैबा के 10 आतंकियों ने मुंबई में घुसकर शहर में हमले किए, जिसमें छह अमेरिकी नागरिकों और कुछ यहूदियों समेत 166 लोग मारे गए।
राणा का भारत में प्रत्यर्पण
एनआईए ने अन्य भारतीय खुफिया एजेंसियों और एनएसजी के साथ मिलकर प्रत्यर्पण प्रक्रिया को पूरा किया। राणा को भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत एनआईए की न्यायिक कार्यवाही के आधार पर अमेरिका में हिरासत में लिया गया। राणा की कई कानूनी अपीलें और अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में आपातकालीन याचिका खारिज होने के बाद प्रत्यर्पण संभव हुआ।
इसमें अमेरिकी न्याय विभाग, कैलिफोर्निया के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट के यूएस अटॉर्नी ऑफिस, यूएस मार्शल सेवा, एफबीआई के नई दिल्ली कार्यालय, और यूएस विदेश विभाग के लीगल एडवाइजर कार्यालय का सहयोग रहा। भारत के विदेश और गृह मंत्रालय के निरंतर प्रयासों से राणा के लिए प्रत्यर्पण वारंट हासिल हुआ। यह भारत के लिए महत्वपूर्ण कदम था ताकि आतंकवाद में शामिल व्यक्तियों को दुनिया के किसी भी कोने से न्याय के कठघरे में लाया जा सके।