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लोन मोरिटेरियम पर उच्चतम न्यायालय ने कहा- अंतरिम आदेश जारी रहेगा, अगली सुनवाई 28 सितंबर को

Update: 2020-09-10 08:00 GMT

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 28 सितंबर तक लोन रीपेमेंट मोरेटोरियम को बढ़ा दिया और इस अवधि (31 अगस्त तक) के दौरान किस्तों का भुगतान न करने के कारण किसी भी लोन को एनपीए घोषित नहीं करने का निर्देश दिया है। लोन मोरेटोरियम मामले की आज सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले को बार-बार टाला जा रहा है। अब इस मामले को सिर्फ एक बार टाला जा रहा है वो भी फाइनल सुनवाई के लिए। इस दौरान सभी अपना जवाब दाखिल करें और मामले में ठोस योजना के साथ अदालत आएं।

सुप्रीम कोर्ट के बैंक लोन अकाउंट को अगले दो महीने तक एनपीए घोषित नहीं किए जाने के आदेश से कर्जधारकों को बड़ी राहत मिली है। दरअसल, अगर किसी व्‍यक्ति के लोन को एनपीए घोषित कर दिया जाता है तो उसकी सिबिल रेटिंग खराब हो जाती है। इससे उसे भविष्‍य में लोन लेने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद होम लोन, व्हीकल लोन, क्रेडिट कार्ड की किस्‍त मोरेटोरियम खत्‍म होने के दो महीने बाद तक नहीं चुकाने पर भी बैंक उसे NPA घोषित नहीं करेंगे। हालांकि, डिफॉल्ट पर जुर्माना या ब्याज वसूल सकते हैं।

वरीष्ठ अधिवक्ता राजीव दत्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि लाखों लोग अस्पतालों में हैं। बहुत से लोगों ने अपनी आय के स्रोत खो दिए हैं। केंद्र सरकार को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए, स्थगन के मुद्दे पर राहत देने और ब्याज पर छूट देने का फैसला करना चाहिए। उन्होंने अदालत को बताया कि अभी भी चक्रवृद्धि ब्याज वसूला जा रहा है। राहत कहां है? ऋण का पुनर्गठन किया जा रहा है, जो पहले किया जाना चाहिए था।

वहीं सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट से कहा, उच्चतम स्तर पर विचार हो रहा है। राहत के लिए बैंकों और अन्य हितधारकों के परामर्श में दो या तीन दौर की बैठक हो चुकी है और चिंताओं की जांच की जा रही है। वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एम आर शाह की तीन जजों की बेंच सुनवाई की।सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं और सरकार को दो सप्ताह में एक विस्तृत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया और मामले को दो सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया।

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