दहेज पर सख्ती, मृत्युभोज में 13 की सीमा: हिंदू आचार संहिता लाएगी सामाजिक क्रांति!
वाराणसी, 15 जुलाई 2025: भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म के मूल्यों को संरक्षित करते हुए समाज में फैली कुरीतियों को जड़ से खत्म करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। अक्टूबर 2025 में हिंदू आचार संहिता को सार्वजनिक किया जाएगा, जो न केवल सामाजिक एकता को बढ़ावा देगी, बल्कि शादी-ब्याह और अन्य परंपराओं में फिजूलखर्ची पर भी लगाम लगाएगी। काशी विद्वत परिषद के नेतृत्व में तैयार इस संहिता को देश भर के संतों और विद्वानों का समर्थन प्राप्त है, और इसे हिंदू समाज के घर-घर तक पहुंचाने की योजना है।
शादी में सादगी, दहेज पर रोक
नई आचार संहिता में वैदिक परंपराओं को पुनर्जनन देने का प्रयास किया गया है। इसमें शादी को दिन में संपन्न करने का निर्देश है, ताकि सादगी और पवित्रता बनी रहे। सबसे अहम, दहेज की प्रथा को पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया है। कन्यादान को ही विवाह का मूल माना गया है, जबकि प्री-वेडिंग जैसे आधुनिक चलन पर भी रोक लगाई गई है। यह कदम न केवल आर्थिक बोझ को कम करेगा, बल्कि सामाजिक समानता को भी बढ़ावा देगा।
मृत्युभोज में 13 लोग, सादगी को बढ़ावा
आचार संहिता ने मृत्युभोज की परंपरा को भी सरल बनाया है। अब केवल 13 लोग ही इस आयोजन में शामिल हो सकेंगे, जिससे अनावश्यक खर्च और दिखावे पर अंकुश लगेगा। यह व्यवस्था सामाजिक और आर्थिक दबाव को कम करने में महत्वपूर्ण साबित होगी।
15 साल की मेहनत, 70 विद्वानों की भागीदारी
इस संहिता को तैयार करने में 15 साल का गहन शोध और देश के 70 विद्वानों की मेहनत शामिल है। मनु स्मृति, पराशर स्मृति, देवल स्मृति, भागवत गीता, रामायण, महाभारत और पुराणों के प्रमुख अंशों को आधार बनाकर इसे अंतिम रूप दिया गया। देश भर के धर्मस्थलों पर 40 से अधिक बैठकें हुईं, जिनमें उत्तर और दक्षिण भारत के विद्वानों ने समान रूप से योगदान दिया। शंकराचार्य, रामानुजाचार्य, रामानंदाचार्य जैसे संतों की सहमति से यह संहिता समाज के लिए एक मार्गदर्शक बनने को तैयार है।
महिलाओं को समान अधिकार, कन्या भ्रूण हत्या पर सख्ती
हिंदू आचार संहिता न केवल परंपराओं को संरक्षित करती है, बल्कि समाज में लैंगिक समानता को भी बढ़ावा देती है। इसमें कन्या भ्रूण हत्या को महापाप घोषित किया गया है। साथ ही, महिलाओं को यज्ञ जैसे धार्मिक अनुष्ठानों में पुरुषों के समान अधिकार दिए गए हैं। यह कदम हिंदू समाज में महिलाओं की स्थिति को और सशक्त करेगा।
घर वापसी की राह आसान
आचार संहिता में घर वापसी की प्रक्रिया को भी सरल बनाया गया है। जो लोग हिंदू धर्म में वापस आना चाहते हैं, उनके लिए एक आसान और सम्मानजनक पद्धति तैयार की गई है। शुद्धिकरण के बाद ब्राह्मण उन्हें अपना गोत्र देकर समाज में शामिल करेगा। यह व्यवस्था सामाजिक समावेश को बढ़ावा देगी और समाज को बांटने वालों को करारा जवाब देगी।
मंदिरों में केवल अर्चकों का प्रवेश
संहिता में मंदिरों के गर्भगृह में केवल अर्चकों (पुजारियों) के प्रवेश की अनुमति दी गई है, जिससे पवित्रता और अनुशासन बना रहे। इसके अलावा, जन्मदिन और अन्य सामाजिक आयोजनों के लिए भी नियम निर्धारित किए गए हैं, ताकि सादगी और संस्कृति का समन्वय हो।
एक लाख घरों तक पहुंचेगी संहिता
काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी और अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि 356 पेज की इस संहिता की एक लाख प्रतियां छपवाकर देश भर में वितरित की जाएंगी। इसके साथ ही, दो पेज की सारांशिका भी तैयार की गई है, जो आम जनता के लिए आसानी से समझने योग्य होगी। अक्टूबर 2025 के अंत तक सांस्कृतिक संसद में इसे औपचारिक रूप से लॉन्च किया जाएगा।
समाज को जोड़ने की अनूठी पहल
यह हिंदू आचार संहिता न केवल कुरीतियों को खत्म करने का प्रयास है, बल्कि समाज को एकजुट करने का भी एक मजबूत संदेश है। यह उन ताकतों के लिए करारा जवाब होगी, जो समाज को बांटने का प्रयास करते हैं। महाकुंभ में संतों के सामने प्रस्तुत की गई इस संहिता को अब देश भर में लागू करने की तैयारी है।
हिंदू आचार संहिता एक नई शुरुआत है, जो परंपराओं को आधुनिकता के साथ जोड़कर समाज को प्रगतिशील और एकजुट बनाने का वादा करती है। यह न केवल हिंदू समाज, बल्कि समस्त मानवता के लिए एक प्रेरणा बन सकती है।