विशेष साक्षात्कार: विश्व को नई राह दिखाना हिंदू समाज का ईश्वर प्रदत्त कर्तव्य है- डॉ. भागवत

Update: 2025-05-25 09:27 GMT

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा है कि अपने सारे भेद और स्वार्थ भूलकर हिन्दुत्व के शाश्वत धर्म मूल्यों के आधार पर एक सामर्थ्य संपन्न, नीति संपन्न तथा सब प्रकार से वैभव संपन्न भारत को खड़ा करना पड़ेगा। जब मैं धर्म कहता हूं तो 'रिलीजन' की बात नहीं करता। सत्य, शुचिता, करुणा व तपस के आधार पर मानव जीवन की पुनर्रचना हो, इसकी विश्व को आवश्यकता है और भारत उसका पथ प्रदर्शक हो, यह अपरिहार्य है। विश्व को नई राह दिखाना भारत यानी हिंदू समाज का ईश्वर प्रदत्त कर्तव्य है। इन परिस्थितियों में संघ कार्य के महत्व को समझते हुए 'मैं और मेरा परिवार' के दायरे से बाहर आकर, अपने जीवन को उदाहरण बनाते हुए सबको साथ लेकर आगे बढ़ना समय की आवश्यकता है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर दिए गए एक विशेष साक्षात्कार में डॉ. भागवत ने कहा कि कृषि, उद्योग, विज्ञान और तकनीक की क्रांति हो गई, अब धर्म क्रांति की आवश्यकता है। हिंदू समाज को अब जाग्रत होना ही पड़ेगा। भारत की सुरक्षा और सामर्थ्य के बारे में उनका कहना है कि हमें सज्जनता और शक्ति दोनों की आराधना करनी पड़ेगी। दुष्टता को बलपूर्वक नष्ट करना ही पड़ेगा, शक्ति संपन्न होना ही पड़ेगा क्योंकि दुष्ट लोगों की दुष्टता का अनुभव हम अपनी सभी सीमाओं पर ले रहे हैं। हमें कोई जीत न सके इतना सामर्थ्य होना ही चाहिए। सुरक्षा के मामले में हम किसी पर निर्भर न हों, क्योंकि स्वयं का बल ही वास्तविक बल है। हिंदू की चिंता तब होगी, जब हिंदू सशक्त बनेगा। दुनिया में जहां-जहां भी हिंदू हैं, उनके लिए हिंदू संगठन के नाते मर्यादा में रहकर सामर्थ्यानुसार सब कुछ करने के लिए ही संघ है।

स्वयंसेवक की प्रतिज्ञा ही 'धर्म, संस्कृति और समाज का संरक्षण कर राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति' करना है। उन्होंने कहा कि आत्मविस्मृति, स्वार्थ और भेद से लड़ते हुए हम बढ़ रहे हैं और आज समाज के विश्वासपात्र बने हैं। हमारा विश्वास है कि अपनत्व के आधार पर समाज के सभी लोग एक मानसिकता में आ जाएंगे। एक और एक मिलकर दो होने के बजाय ग्यारह होगा। संघ की पंच परिवर्तन की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि इससे वातावरण बनेगा और वही परिवर्तन का आधार बनेगा। महिलाओं की उपेक्षा के आरोप पर उन्होंने कहा कि संघ में हर स्तर पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व और सक्रिय सहभागिता है। हमारी माता-बहनों का हाथ लगता है, तभी संघ चलता है। जनजाति समाज के बारे में उन्होंने कहा कि इस समाज को सशक्त और सामर्थ्यवान बनाने के लिए संघ काम कर रहा है। हम चाहते हैं कि इस समाज का नेतृत्व उन्हीं के बीच से खड़ा हो।

एक दिन हर देश का अपना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ होगा

डॉ. भागवत ने कहा कि संघ जिस तरह से कार्य कर रहा है, उसे देखकर दुनिया के अन्य देश भी अपना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ खड़ा करेंगे। पूरे विश्व के जीवन में परिवर्तन लाने वाली यह प्रक्रिया 2047 के बाद प्रारंभ होगी और अगले 20-30 सालों में पूरी हो जाएगी, इसे पूरा होने में 100 वर्ष नहीं लगेंगे।

Tags:    

Similar News