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सीबीआई ने किए 'बेहद गंभीर' खुलासे : सर्वोच्च न्यायालय

Update: 2019-03-26 17:05 GMT

सारदा चिटफण्ड घोटाला

नई दिल्ली/स्व.स.से.। सर्वोच्च न्यायालय ने सारदा चिटफंड घोटाला मामले में कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से हाल ही में हुई पूछताछ से संबंधित प्रगति रिपोर्ट में सीबीआई द्वारा किए गए खुलासे को मंगलवार को बेहद गंभीर करार दिया गया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि यदि कुछ बहुत ही गंभीर तथ्यों की जानकारी उसे दी गई है तो वह इसके प्रति अपनी आंखें नहीं मूंद सकती है। पीठ ने इसके साथ ही जांच ब्यूरो को निर्देश दिया कि राजीव कुमार के खिलाफ उचित कार्रवाई के लिए वह आवेदन दायर करे। पीठ ने जांच ब्यूरो को इस संबंध में आवेदन दायर करने के लिए दस दिन का समय दिया और कहा कि कुमार तथा अन्य लोग इसके बाद सात दिन के भीतर अपना जवाब दाखिल कर सकते हैं। पहले राजीव कुमार ही इस चिट फंड घोटाले की जांच करने वाले विशेष जांच दल के मुखिया थे। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि चूंकि सीबीआई की रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में दायर की गई है, इसलिए वह दूसरे पक्ष को सुने बगैर इस समय कोई आदेश पारित नहीं कर सकती। सर्वोच्च न्यायालय सारदा चिट फंड घोटाले की जांच में सहयोग नहीं करने और कथित रूप से सबूत नष्ट करने के मामले में पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक और कोलकाता के तत्कालीन पुलिस आयुक्त सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई की अवमानना अर्जी पर सुनवाई कर रही थी। बता दें कि इस साल फरवरी के पहले हफ्ते में पूछताछ के लिए सीबीआई की टीम राजीव कुमार के घर पहुंची तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। इस मामले को लेकर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गई थी। सीबीआई के सुप्रीम कोर्ट का रूख करने के बाद कोर्ट ने राजीव कुमार को शिलॉन्ग स्थिति सीबीआई दफ्तर में पेश होने को कहा था। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा था कि राजीव कुमार को गिरफ्तार न किया जाए।

2460 करोड़ का सारदा चिटफंड घोटाला

सारदा समूह से जुड़े पश्चिम बंगाल के कथित चिटफंड घोटाले के 2,460 करोड़ रुपए तक का होने का अनुमान है। पश्चिम बंगाल पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि 80 फीसदी जमाकर्ताओं के पैसे का भुगतान किया जाना बाकी है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, सारदा समूह की चार कंपनियों का इस्तेमाल तीन योजनाओं के जरिए पैसा इधर-उधर करने में किया गया। ये तीन योजना थीं- सावधि जमा, आवर्ति जमा और मासिक जमा आय। 

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