संसदीय सलाहकार समिति की बैठक: सरकार ने किया स्पष्ट - पाकिस्तान से DGMO के अलावा किसी भी तरह से कोई बातचीत नहीं
संसदीय सलाहकार समिति की बैठक
नई दिल्ली। सीमा पार आतंकवाद पर सोमवार को संसदीय सलाहकार समिति की बैठक हुई। इस बैठक में सरकार ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान को लेकर चल रही कॉन्ट्रोवर्सी पर भी जवाब दिया। समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि, पाकिस्तान से DGMO के अलावा किसी भी तरह से कोई बातचीत नहीं हुई।
संसदीय सलाहकार समिति की बैठक में भारत सरकार की रणनीति, जिसमें कूटनीतिक पहल शामिल थी, के बारे में बताया गया। इसमें कहा गया कि, "भारत ने आतंकी ठिकानों पर हमला किया, जिससे पाकिस्तान की पोल खुल गई, जो आतंकवाद के केंद्र तीन प्रमुख शिविरों की रक्षा नहीं कर सका। इससे पाकिस्तानी सेना के मनोबल पर असर पड़ा है।"
तुर्की, अजरबैजान और चीन के अलावा सभी देशों से समर्थन मिला :
"चूंकि हमने इसे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई बनाया, इसलिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भारत का समर्थन किया है। यह पाकिस्तान के खिलाफ नहीं था, इसलिए समर्थन केवल तीन देशों - तुर्की, अजरबैजान और चीन के अलावा सभी देशों से आया।"
डीजीएमओ स्तर के अलावा किसी भी तरह से कोई बातचीत नहीं :
कांग्रेस ने कथित तौर पर विदेश मंत्री द्वारा पाकिस्तान को सूचना दिए जाने के विवाद को उठाया। सरकार ने स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच डीजीएमओ स्तर के अलावा किसी भी तरह से कोई बातचीत नहीं हुई, और वह भी हमलों के बाद। घटनाक्रम इस प्रकार रहा - आतंकी ठिकानों पर हमला किया गया, पीआईबी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की, भारत के डीजीएमओ ने पाकिस्तानी डीजीएमओ से संपर्क किया।
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कांग्रेस द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को बेईमानी और घटनाओं को गलत तरीके से पेश करने वाला बताया।
सिंधु जल संधि पर प्रतिनिधिमंडल ने जानना चाहा कि क्या सरकार इसे जारी रखने का इरादा रखती है या यह सिर्फ प्रतीकात्मक है। सरकार ने कहा कि संधि स्थगित है और सांसदों को भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों के बारे में जानकारी दी जाएगी।
विदेश मंत्री ने विभिन्न देशों की राजधानियों में संसदीय प्रतिनिधिमंडलों के बीच हुई बातचीत की भावना को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय एकता की अपील की। सांसदों ने राष्ट्रपति ट्रंप के दावों और अन्य टिप्पणियों के बारे में जानना चाहा, सरकार ने बताया कि अमेरिका और अन्य देश जो भारत को पाकिस्तान से बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे, उन्हें बताया गया कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते।