व्यापमं घोटाला: 2011 परीक्षा मामले में 12 ‘मुन्ना भाईयों’ को 5 साल की सजा
व्यापमं 2011 परीक्षा घोटाले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। 12 फर्जी परीक्षार्थी बनकर परीक्षा देने वाले दोषियों को पांच साल की सजा और जुर्माना सुनाया।
इंदौरः मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने व्यापमं घोटाले से जुड़े वर्ष 2011 के एक अहम परीक्षा मामले में कड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने फर्जी तरीके से परीक्षा देने वाले 12 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए प्रत्येक को पांच वर्ष के कठोर कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई है। यह निर्णय लगभग 14 वर्षों तक चली न्यायिक प्रक्रिया के बाद सामने आया है।
प्रकरण 2011 में आयोजित व्यापमं परीक्षा से जुड़ा है, जहां आरोपियों ने वास्तविक अभ्यर्थियों की जगह स्वयं परीक्षा देकर अवैध लाभ लेने की कोशिश की। जांच में यह खुलासा हुआ कि आरोपियों ने फर्जी पहचान के सहारे परीक्षा केंद्रों में प्रवेश किया और दस्तावेजों में हेरफेर कर अपनी असली पहचान छिपाई।
सीबीआई कर रही थी मामले की जांच
मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी गई थी। सीबीआई ने विस्तृत जांच के दौरान फिंगरप्रिंट मिलान, हस्तलेखन परीक्षण, दस्तावेजी प्रमाण और गवाहों के बयान जुटाए। इन पुख्ता सबूतों के आधार पर अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया।
कोर्ट ने 12 आरोपियों को पाया दोषी
लंबी सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने यह सिद्ध किया कि सभी 12 आरोपी सुनियोजित तरीके से फर्जीवाड़ा कर परीक्षा में शामिल हुए थे। गवाहों के बयान और तकनीकी साक्ष्यों के गहन परीक्षण के बाद अदालत ने सभी आरोपियों को दोषी करार दिया। शनिवार को सुनाए गए फैसले में अदालत ने स्पष्ट किया कि इस तरह के अपराध शिक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता पर गंभीर प्रहार करते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए दोषियों को कठोर सजा और आर्थिक दंड दिया गया है।
इससे पहले पटवारी एग्जाम मामले में सुनाया था फैसला
इस फैसले से पहले सीबीआई की कोर्ट ने पटवारी भर्ती परीक्षा 2008 में फर्जीवाड़ा करने के मामले में फैसला दिया था। 16 दिसंबर के दिन कोर्ट ने 10 आरोपियों को दोषी करार देते हुए 5 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। इसके साथ ही सभी दोषियों पर 3-3 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था।